Sunday, January 1, 2012

Please read this carefully!!!!!! !!!!!!!!!!!!!!
1 ) Do not drink APPY FIZZ . Itcontains cancer causing agent.
2 ) Dont eat Mentos before or after drinking Coke or Pepsi coz the person will die
... ... immediately as the mixture becomes cyanide.. Please fwd to whom u care
3 ) Don \' t eat kurkure because it contains high amount of plastic if U don \' t
Believe burn kurkure n u can see plastic melting. Please forward to
all!!!!!!!!!!!
News report from Times of India
4 ) Avoid these tablets they arevery dangerous
* D cold
* Vicks action- 500
* Actified
* Coldarin
* Cosome
* Nice
* Nimulid
* Cetrizet-D
They contain Phenyl- Propanol -Amide PPA. Which Causes strokes, and these
tablets are banned in U.S.
Forward this to maximum people
Whom You care ....
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास,उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यहीसमय होता है।
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
...
मोरारजी देसाई को जब किसी ने पहली जनवरी को नववर्ष की बधाई दी तो उन्होंने उत्तर दिया था- किस बात की बधाई? मेरे देश और देश के सम्मान का तो इस नववर्ष सेकोई संबंध नहीं।
यही हम लोगों को भीसमझना और समझाना होगा। क्या एक जनवरी के साथ ऐसा एक भी प्रसंग जुड़ा है जिससे राष्ट्र प्रेम जाग सके, स्वाभिमान जाग सके या श्रेष्ठ होने का भाव जाग सके ? आइये! विदेशी को फैंक स्वदेशी अपनाऐं और गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रमी संवत् को ही मनाये

भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्त्व

भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व :
1. यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है। इस दिन से एक अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हजार 117 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने जगत की रचना प्रारंभ की।
2. विक्रमी संवत का पहला दिन: उसी राजाके नाम पर संवत् प्रारंभ होता था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोई भिखारी हो। साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राटभी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने 2067 वर्ष पहले...इसीदिन राज्य स्थापित किया था।
3. प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस : प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना।
4. नवरात्र स्थापना : शक्ति औरभक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यहीहै। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन।
5. गुरू अंगददेव प्रगटोत्सव : सिखपरंपरा के द्वितीय गुरू का जन्म दिवस।
6. समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्यसमाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।
7. संत झूलेलाल जन्म दिवस : सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस : विक्रमादित्य की भांति शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
9. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन: 5112 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
अलग अलग देशों के सम्राट और खगोलशास्त्री भी अपने अपने हिसाब से कैलेण्डर बनाने का प्रयास करते रहे। भारतीय कैलेंडरके प्रचलन में आने के 57 वर्ष के बाद सम्राट आगस्तीन के समय में पश्चिमी कैलेण्डर(ईस्वी सन) विकसित हुआ। लेकिन उसमें कुछ भी नया खोजने के बजाए, भारतीय कैलेंडर को लेकर सीधा और आसान बनाने का प्रयास किया था। पृथ्वी द्वारा 365/366 में होने वाली सूर्य की परिक्रमा को वर्ष और इस अवधि में चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के लगभग 12 चक्कर को आधार मान कर कैलेण्डर तैयार किया और क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रख दिए गए।
पहला महीना मार्च (एकम्बर) से नया साल प्रारम्भ होना था।
1. - एकाम्बर ( 31 )
2. - दुयीआम्बर (30)
3. - तिरियाम्बर (31)
4. - चौथाम्बर (30)
5.- पंचाम्बर (31)
6.- षष्ठम्बर (30)
7. - सेप्तम्बर (31)
8.- ओक्टाम्बर (30)
9.- नबम्बर (31)
10.- दिसंबर ( 30 )
11.- ग्याराम्बर (31)
12.- बारम्बर (30 / 29 ), निर्धारित किया गया।
सेप्तम्बर में सप्त अर्थात सात, अक्तूबर में ओक्ट अर्थात आठ, नबम्बर में नव अर्थात नौ, दिसंबर में दस का उच्चारण महज इत्तेफाक नहीं है लेकिन फिर सम्राट आगस्तीन ने अपने जन्म माह का नाम अपने नाम पर आगस्त (षष्ठम्बर को बदलकर) और भूतपूर्व महान सम्राट जुलियस के नाम पर - जुलाई (पंचाम्बर) रख दिया।
इसी तरह कुछ अन्य महीनों के नाम भी बदल दिए गए। फिर वर्ष की शरुआत ईसा मसीह के जन्म के 6 दिन बाद (जन्म छठी) से प्रारम्भ माना गया। नाम भी बदल इसप्रकार कर दिए गए थे।
जनवरी (31), फरबरी (30/29), मार्च (31), अप्रैल (30), मई (31), जून (30), जुलाई (31),
अगस्त (30), सितम्बर (31), अक्टूबर (30), नवम्बर (31), दिसंबर ( 30) माना गया।
फिर अचानक सम्राट आगस्तीन को ये लगा कि - उसके नाम वाला महीना आगस्त छोटा (30 दिन) का हो गया है तो उसने जिद पकड़ ली कि - उसके नाम वाला महीना 31 दिन का होना चाहिए।
राजहठ को देखते हुए खगोल शास्त्रीयों ने जुलाई के बाद अगस्त को भी 31 दिन का कर दिया और उसकेबाद वाले सेप्तम्बर (30), अक्तूबर (31), नबम्बर (30), दिसंबर ( 31) का कर दिया।
एक दिन को एडजस्ट करने के लिए पहले से ही छोटे महीने फरवरी को और छोटा करके (28/29) कर दि