¶ दीपावली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य ¶
*. त्रेतायुग में भगवान राम जब रावण को हराकर
अयोध्या वापस लौटे तब उनके आगमन पर दीप जलाकर
उनका स्वागत किया गया और खुशियाँ मनाई गईं।
*. यह भी कथा प्रचलित है कि जब श्रीकृष्ण ने
आतताई नरकासुर जैसे दुष्ट का वध किया तब
ब्रजवासियों ने अपनी प्रसन्नता दीपों को जलाकर
प्रकट की।
*. राक्षसों का वध करने के लिए माँ देवी ने
महाकाली का रूप धारण किया।
राक्षसों का वध करने के बाद भी जब
महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव
स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर
स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त
हो गया।
इसी की याद में उनके शांत रूप
लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई।
इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान
है।
*. कार्तिक अमावस्या के दिन सिखों के छठे गुरु
हरगोविन्दसिंहजीबादशाह जहाँगीर की कैद से मुक्त
होकर अमृतसर वापस लौटे थे।
*. कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध
दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था।
इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने
दीप जलाकर खुशियाँ मनाई थीं।
*. 500 ईसा वर्ष पूर्व की मोहनजोदड़ो सभ्यता के
प्राप्त अवशेषों में मिट्टी की एक मूर्ति के अनुसार उस
समय भी दीपावली मनाई जाती थी।
उस मूर्ति में मातृ-देवी के दोनों ओर दीप जलते दिखाई
देते हैं।
*. बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के समर्थकों एवं
अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत
में हजारों-लाखों दीप
जलाकर दीपावली मनाई थी।
*. सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दीपावली के
दिन हुआ था। इसलिए दीप जलाकर खुशियाँ मनाई गईं।
*. ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में रचित कौटिल्य
अर्थशास्त्र के अनुसार कार्तिक अमावस्या के
अवसर पर मंदिरों और घाटों (नदी के किनारे)
पर बड़े पैमाने पर दीप जलाए जाते थे।
*. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का निर्माण
भी दीपावली के ही दिन शुरू हुआ था।
*. जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर ने
भी दीपावली के दिन ही बिहार के
पावापुरी में अपना शरीर त्याग दिया था।
*. पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व
महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ।
इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान
करते समय 'ओम' कहते हुए समाधि ले ली।
*. महर्षि दयानन्द ने भारतीय संस्कृति के महान
जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट
अवसान लिया।
इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की।
।। जय श्रीराम ।।
।। शुभ दीपावली ।।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।