Article 147 के बारे में सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है कि
हमारे देश के संविधान का आर्टिकल 147 कहता है
कि यदि ब्रिटिश पार्लियामेंट कोई रेस्लोल्युशन पास
करदे तो वो भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए
मान्य होगा।
मतलब यदि आज ब्रिटेन का पार्लियामेंट भारत
की सत्ता वापस अपने हाथ लेने का कानून पास
कर दे तो यह पूर्णतया कानूनी होगा और भारत
सरकार को कानूनी तौर पर इसे मानना ही होगा क्योंकि यह संविधान में लिखा हैl
आर्टिकल 147:-
"निर्वचन-इस अध्याय में और भाग 6 के अध्याय 5 में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि के किसी सारवान् प्रश्न के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अतंर्गत भारत शासन अधिनियम, 1935 के (जिसके अंतर्गत उस अधिनियम की संशोधक या अनुपूरक कोई अधिनियमिति है) अथवा किसी सपरिषद आदेश या उसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के अथवा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के या उसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के निर्वचन के बारे में विधि के किसी सारवान् प्रश्न के प्रति निर्देश हैं।"
" Interpretation In this Chapter and in Chapter V of Part VI references to any substantial question of law as to the interpretation of this Constitution shall be construed as including references to any substantial question of law as to the interpretation of the Government of India Act, 1935 (including any enactment amending or supplementing that Act), or of any Order in Council or order made thereunder, or of the Indian Independence Act, 1947 , or of any order made thereunder CHAPTER V COMPTROLLER AND AUDITOR GENERAL OF INDIA."
यह बात मुश्किल भाषा में संविधान मेँ लिखकर
तथा घुमा फिराकर, इतनी अच्छी तरह छुपायी
गयी है की इसे समझना अत्यंत कठिन कार्य है। साथ ही भारत का हर प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री पद की शपथ
लेते समय एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करता है
जिसमें लिखा होता है की वो काउन्सिल (ब्रिटिश पार्लियामेंट) और ब्रिटेन की रानी द्वारा दिए गए आदेश को मानने के लिए बाध्य होगा। ब्रिटेन, की रानी आज भी कानूनी तौर पर भारत की रानी है, वो अपनी मर्ज़ी से बिना पासपोर्ट और वीजा के भारत आ जा सकती है। अर्थात भारत पूर्ण रूप से आजाद नही है।
परन्तु यदि संसद में आर्टिकल 147 को निरस्त कर दिया जाये तो भारत पूर्णतया स्वतंत्र हो
जायेगा।
"अगर ऊपर लिखी हुई बातें सच है तो ये बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण बात है l"