कुल मिलाकर दो बार। पहली बार एक लाख बहत्तर हजार डॉलर। और दूसरी बार एक लाख सत्तानवे हजार डॉलर। दोनों को जोड़कर देखें तो कुल मिलाकर तीन लाख उनहत्तर हजार डॉलर। एक डॉलर यानी आज की तारीख में हमारे हिंदुस्तान के 46 रुपए। 3 लाख 69 हजार डॉलर को भारतीय मुद्रा में आज के हिसाब से तब्दील करके देखें तो कुल एक करोड़ 69 लाख 74 हजार रुपए। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को चुनौती देनेवाले आंदोलनके बाद, आपकी जानकारी के लिए, कम से कम अब तो यह बताना जरूरी हो गया है कि ईमानदारी की प्रतिमा और आंदोलन के प्रज्ञापुरुष केरूप में अचानक उभर कर सामने आए अरविंद केजरीवालऔर मनीष सिसोदिया को ये करीब पौने चार लाख डॉलर तो अमरीका से ही सहायता के रूप में हासिल हुए हैं।
यह तो हुई अधिकारिक रूप से विदेशी सहायता की बात। पता नहीं,कहां कहां से कितना क्या क्या अनधिकृत रूप से मिला भी या नहीं मिला, यह अपन नहींजानते। मगर इतना जरूर जानते हैं कि हमारे देश की बहुत सारी सच में सामाजिक काम करनेवाली संस्थाओं को भी अपने ही देश में सहायता जुटाने में हजार किस्म की तकलीफें आती हैं। पर, ये दोनोंपट्ठे ठेट अमरीका से भी इतना सारा माल निकाल ले आते हैं,यह अपने आप में बहुत बड़ी बात आपको भी जरूर लगती होगी। मामला आईने की तरह साफ है कि इन दोनों को वे सारे रास्ते पता है कि कहां से घुसकर क्या क्या करके कितना माल बटोरा जा सकता है।
पौने चार लाख डॉलर कोई छोटी रकम नहीं होती। हमारे देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनको अगर आपएक करोड़ का आंकड़ा लिखने को कहेंगे, तो उनको बहुत दिक्कत आएंगी। लिखने के पहले कई कई बार उंगलियों के पोर पर इकाई दहाई सैकड़ा हजार की गिनती करेंगे। फिर कहीं जाकर लिख पाएंगे। और इस सवाल का जवाब तो आप और हम भी एक झटके में शायद ही दे पाएं कि एक करोड़ में कितने शून्य लगते हैं। इससे भी आगे जाकर कुछ ज्यादा ही सुनना हो तो जरा यह सत्य भी सुन लीजिए कि हमारे देश की कुल एक सौ पच्चीस करोड़ प्रजा में से एक सौ चौबीस करोड़ पचास लाख से भी ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिनने एक साथइतने सारे रुपए इस जनम में तो कमसे कम कभी नहीं देखे होंगे। लेकिन केजरीवाल और सिसोदिया इतने सारे रुपयों के मालिक होकर भी रेल्वे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर सो कर आप और हम जैसों की बराबरी में खड़ा होने का स्वांग रचकर सभी को सहजता से स्तब्ध कर लेते हैं।
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