Monday, October 31, 2011

मूर्ती पूजा से हानिया

मूर्ती पूजा से हानिया
१-; सन ७१२ में भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम ने किया . तब राज्य केमुख्य मंदिर का पुजारी कासिम से मिल गया . मंदिर काझंडा झुका दिया और राजा से कह दिया की झंडा झुकने का अर्थ है की देवी नाराज हो गई है और हमें कासिम से संधि कर लेनी चाहिए राजा भोला भाला था और मूर्ती पर पूरा विश्वास करता था राजा को संधि के बहाने पुजारी बहार ले आया और राज्य पर कासिम का कब्ज़ा करवा दिया आज की कीमत में लगभग साठ अरब की लूट थी
२-; सन १०२४ में महमूद गजनवी ने सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया . पुजरिओं ने राजा को लड़ने नहीं दिया कह दिया की mahaadev सबको भस्म कर देंगे . महमूद का सोमनाथ पर कब्ज़ा हो गया लाखों हिन्दू क़त्ल किए गए माता बहनों की बेइज्जती हुई खरबों की लूट हुई .
३-; मूर्ती को खुश करने के लिए बलि के रूप में nirpraadh लाखों पशुओं की निर्मम हत्या की जाती है. केरल में मंदिर पर गरीब आदिवासी अपनी लड़किओं जो दस से बीस साल की होती हैं devdaasi के रूप में छोड़ जाते हैं unke साठ पण्डे व पुजारी गलत काम करते हैं यहाँ तक की वेश्याओं को बेच देते हैं . यदिमूर्ती कुछ करती तो उसके देखते देखते यह अनर्थ कैसे हो जाता है मूर्ती पूजक उसकेcharitra की पूजा नहीं करते केवल मूर्ती की पूजा ही कर लेते हैं

No comments:

Post a Comment