Saturday, October 15, 2011

कैसे कह दू आज़ाद हु मै

कैसे कह दू आज़ाद हु मै
बार -बार ये ख्यालआता है
किसान भूखा सोता है
मजदूर का बेटा रोता है
2 वक़्त की रोटी नहीं मिलती
लाखो टन अनाज यहाँ सड़ता है
वो AC मै बैठकर महंगाई बढ़ाते है
कड़ी मेहनत कर के जब सर्दी मै भी इंसान पसीना पोछता है
वो मिनरल water को दारू मै मिलकर पीते है
2 बूंद पानी के लिए लोग आसमान मै बदल को तरसते है
कैसे कह दू आज़ाद हु मै
बार -बार ये ख्यालआता है ....
मौत आसान लगती है किसान को
ज़िन्दगी यहाँ जीने से
और पढ़ा लिखा आदमी यहाँ
नक्सलवादी बन जाता है
कहते है वो हमको CBI की जाँच होगी
मासूम बच्चो को जब
निठारी कांड खा जाता है
ज़िन्दगी की उनकीनजरो मै
जब कोई कीमत ही नहीं
कैसे कह दू आज़ाद खुद को
जब आज़ादी दिखती नहीं
कल रात चैन की नींद सोये कई लोग,
भले कुछ लोग हमेशा के लिए सो गए,
आज़ादी के बाद हम सबको ,
शायद आदत हो गयी है सोने की!
कल रात पानी बहा कुछ लोगो का,
कुछ लोग फिर छलनी हो गए ,
पानी ही बहता है हर शरीर से अब,
क्योकि खून शायद पानी हो गया हम सब का !
कल रात फिर नेताजी आये,
कहने तीन ही ब्लास्ट हुए ,
चैन की नींद सो जा...

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