Saturday, March 10, 2012

फेसबुक का सच - यह सच्चाई जानकर आपको झटका लग सकता है

फेसबुक का सच - यह सच्चाई जानकर आपको झटका लग सकता है


 दुनिया भर में बड़े-बड़े देशों की पोल खोलकर रख देने वाले जूलियन असांजे ने कहां है कि फेसबुक अमेरिका की गुप्तचर एजेंसी सीआईए के लिए काम करती हैं और फेसबुक आपकी सारी जानकारी चुरा लेता है फेसबुक का इस्तेमाल करते हुए अगर आप कोई वेबसाइट विजिट करते हैं तो उसकी सारी जानकारी फेसबुक के सर्वर में दर्ज हो जाती है| फेसबुक अपने ग्राहकों की जानकारी को खुल्लेआम बेच रही हैं इन सूचनाओं के बदले इन्हें अरबो डॉलर मिलते हैं।


 Actually Facebook data-mines everything on your page automatically and sells it to corporations also for marketing purposes. Just read the service agreement and you will see everything i m saying is truth.


 Note: अमेरिकी खु़फिया एजेंसी सीआईए ने 20 मिलियन डॉलर निवेश करके इन-क्यू-टेल नाम की एक कंपनी बनाई है. इन-क्यू-टेल ने अमेरिका की कई जानी मानी सॉफ्टवेयर कंपनियों को अपने साथ जोड़ा है. यह कंपनी इंटरनेट की म़ुकम्मल दुनिया पर गहरी और बारीक़ नज़र रख रही है. हज़ारों लोगों को इस काम के लिए नियुक्त किया गया है. सीआईए के 90 एजेंट इस पूरे अभियान को दिशा और गति दे रहे हैं. विश्व की 15 प्रमुख भाषाओं में काम किया जा रहा है. सीआईए ने इसके लिए भाषा विशेषज्ञों और सैन्य विशेषज्ञ इंजीनियरों की नियुक्ति की है. हिंदी, अंग्रेजी, अरबी, उर्दू, फारसी, चीनी, फ्रेंच, रूसी, जर्मनी, संस्कृत एवं जापानी आदि भाषाओं में इंटरनेट पर होने वाले सभी आदान-प्रदान का रिकॉर्ड सीधे सीआईए मुख्यालय में दर्ज़ हो रहा है.

 आज़ादी के बाद भारत एक हुआ. मज़बूत बना. विकास के नए आयाम ग़ढे गए. तरक्की के सोपानों पर च़ढता हुआ भारत विश्वशक्ति बनने की ओर अग्रसर हुआ. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी भी भारतीय अर्थव्यवस्था की री़ढ नहीं तोड़ सकी. जबकि अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश की भी चूलें हिल गईं. यक़ीनन ये हालात अमेरिका को गंवारा नहीं. वह भला कैसे चाहेगा कि भारत विश्वशक्ति बन उसका मुक़ाबला करे. लिहाज़ा एक बार फिर भारत को टुकड़ों में करने की साज़िश में सीआईए अपनी सहयोगी मोसाद के साथ लग चुकी है.

 सोशल नेटवर्किंग साइट इसमें बहुत बड़ी मददगार साबित हो रही है, सीआईए के लिए फेसबुक मुंहमांगी मुराद साबित हो रहा है. फेसबुक के दुनियाभर में लगभग 100 करोड़ उपभोक्ता हैं और कंपनी के मुताबिक इस डाटा का इस्तेमाल वो अपने उपभोक्ताओं की पसंद की सामग्री उपलब्ध कराने के लिए करती है लेकिन दैनिक बुलेटिनों के रूप में यह सारी जानकारी व्हाइट हॉउस की इंटरनल ब्रीफिंग में राष्ट्रपति ओबामा को दी जाती है| 

 अमरीकी सीआईए का एक विशेष विभाग जिसका अनौपचारिक नाम ‘लाइब्रेरी निंजा’ है, फेसबुक पर लिखी जाने वाली बातों पर नज़र रखता है| सीआईए के ई-जासूस चौबीसों घंटों अनवरत फेसबुक सहित सभी मुख्य social networking साईट पर भटकते रहते हैं. छोटी से छोटी सूचना भी इनके रिकॉर्ड में प्रमुखता से दर्ज़ होती है. पॉलिग्राफ सिक्यूरिटी में दक्ष, इंफॉर्मेशन सिस्टम इंजीनियरों की पूरी फौज इन सूचनाओं का बारीक़ से बारीक़ विश्लेषण करती है, ताकि भारत के खिला़फ जारी मुहिम के तहत देश को संभालने और आगे ले जाने वाली हस्तियों के विरुद्ध सबूत इकट्ठा हो सकें. उनकी निजी पसंद-नापसंद, शौक़ और हरकतों को औज़ार बनाकर समाज में ज़लील करने का सामां हासिल हो सके.

http://www.youtube.com/watch?v=zU6NftSp-Zo

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