कालाधन विदेश से वापस लाने के अभियान में इन्होने अभी तक अपनी जबान क्यों नहीं खोली, फिल्मो में और दर्शकों से आदर्श दर्शाने वाले इन चालाक भेदियो को क्या जनता की आकांक्षा समझ में नहीं आती है.
१) भारत की लूट के कालाधन के बारे में चल रहे अभियान समर्थन नहीं करते.
२) विदेशी सामानों को देश के मेहनत काश जनता का पैसा नहीं लुट्वाते,
३) भारत में आत्महत्या कर रही किसान परिवारों के मुख्या कारणों पर अपनी राय नहीं देते,
४) भारत की बंद होती छोटी फैक्टरियो पर दुखी नहीं होते,
५) सफलता मिलते ही टीवी के विज्ञापनों में पेप्सी और कोक तथा शराब व् अन्य हानिकारक विदेशी उत्पाद नहीं बेचते,
६) अमिताभ बच्चन ५ रुपये का मैगी नहीं बेचते,,यह पहले पेप्सी भी बेच चुके हैं..
इनके पास जो शोहरत है वह जनता के दिल में इनके असलियत की मालुमात नहीं होने की वजह से है, नहीं तो सोचिये क्रिकेट खेलकर सांसद बन जाने वाले सचिन से जनता का क्या फायदा हुआ, सिवाय इसके की बच्चे पढाई छोडकर कर क्रिकेट देश रहे हैं और गेहू बेचकर फल खाने के बजाय सिगरेट और पेप्सी पी रहे हैं. इनके कर्मो से परिवारों को नुक्सान ही नुक्सान है, इस पर तुर्रा ये की इनको महा नायक और भगवान बताकर "भारत रत्न" देने की बात की जाती है, जबकि भारत की असली सेवा करने वालो को झूठे आरोपों में जेल में डाल दिया जाता है..
इन महानायको की वजह से ही बाजार में उत्पाद भी कम महगे खरीदने पड़ते हैं और स्वदेशी कंपनिया बंद होती जा रही है जिसके कारन बेरोजगारी बढती जा रही है.
क्या ये चालाक और शातिर "आईकोन" भारत माता को विश्वगुरु बनाने के हमारे अभियान के लिए कुछ भी नहीं कर सकते, क्या जबानी समर्थन भी नहीं...
भगवान की इनकी बुद्धि को शुद्ध करे..
जय भारत,
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आपने स्वयं और अपने परिवार के लिए सब कुछ किया, देश के लिए भी कुछ करिये,
क्या यह देश सिर्फ उन्ही लोगो का है जो सीमाओं पर मर जाते हैं??? सोचिये......
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