आज चैत्र मास की पूर्णिमा है ,आज के दिन बजरंग बलि श्री हनुमान जी का जन्म
हुआ था ,आप सब को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं Happy Hanuman Jayanti to All
इसी पावन दिवस को भगवान राम की सेवा करने के उद्येश्य से भगवान शंकर के
ग्यारहवें रूद्र ने वानरराज केसरी और अंजना के घर पुत्र रूप में जन्म लिया
था. यह त्यौहार पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाई जाती
है.भक्तों की मन्नत पूर्ण करनेवाले पवनपुत्र हनुमान के जन्मोत्सव पर इनकी
पूजा का बड़ा महातम्य होता है. आज यदि कोई श्रद्धापूर्वक केसरीनंदन की पूजा
करता है तो प्रभु उसके सभी अनिष्टों को दूर कर देते हैं और उसे सब प्रकार
से सुख, समृद्धि और एश्वर्य प्रदान करते हैं. इस दिन हनुमानजी की पूजा में
तेल और लाल सिंदूर चढ़ाने का विधान है. हनुमान जयंती पर कई जगह श्रद्धालुओं
द्वारा झांकियां निकाली जाती है, जिसमें उनके जीवन चरित्र का नाटकीय
प्रारूप प्रस्तुत किया जाता है. यदि कोई इस दिन हनुमानजी की पूजा करता है
तो वह शनि के प्रकोप से बचा रहता है.ॐ ॐ
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
Friday, April 6, 2012
Thursday, April 5, 2012
ठंडा जहर
क्या आप जानते है की जिन बाजारू पेय पदार्थो को आप बड़े शौक से पीते है,वे आपके दांतों और हड्डियों के गलाने के साधन है!
इन पेय पदार्थो का 'पीएच (सांद्रता) सामान्यत:३.४ होता है,जो की दांतों और हड्डियों को गलाने के लिए पर्याप्त है!
लगभग ३० वर्ष की आयु पूरी करने के बाद हमारे शरीर में हड्डियों के निर्माण की प्रक्रिया बंद हो जाती है!इसके पश्चात् खाद पदार्थो में ऐसीडिटी (अम्लता)की मात्रा के अनुसार हड्डिया गलनी प्रारंभ हो जाती है!
यदि स्वास्थ्य की द्रष्टि से देखा जाय तो इन पेय पदार्थो में विटामिन अथवा खनिज तत्वों का नामोनिशान भी नहीं है!इनमे शक्कर,कार्बोलिक
अम्ल तथा एनी रसौनो की प्रचुर मात्रा होती है!हमारे शारीर का सामान्य
तापमान ३७ डिग्री सेल्सियस होता है जबकि किसी शीतल पेय पदार्थ का तापमान
इससे बहुत कम,यहा तक ०दिग्रि तक भी होता है शरीर के तापमान और शरीर के
तापमान तथा पेय पदार्थो के तापमान के बीच इतनी अधिक विषमता व्यक्ति के
पाचनतंत्र पर बहुत प्रभाव डालती है!परिणामस्वरूप
व्यक्ति ने जो भोजन खाया वो अपचा ही रह जाता है जिससे गैस व् बदबू उत्पन्न
होकर दांतों में फ़ैल जाती है और अनेको बीमारियों को जन्म देती है!एक
प्रयोग के दौरान एक दन्त को पेय पदार्थ की बोतल में बंद कर के रख दिया
गया!दस दिन बाद निरिक्षण हेतु निकला गया ,परन्तु वह दाँत बोतल के अन्दर था
ही नहीं अर्थात वह उसमे घुल गया था !जरा सिचिये इतने मजबूत दाँत को जो
पेय पदार्थ गला सकता है तो फिर उन कोमल तथा नर्म आंतो का क्या हाल होता
होगा जिनमे ये पेय पदार्थ पाचन क्रिया के लिए घंटो पड़े रहते है! ----भगवन
रक्षा करना इन पेय पदार्थो से!
इन पेय पदार्थो का 'पीएच (सांद्रता) सामान्यत:३.४ होता है,जो की दांतों और हड्डियों को गलाने के लिए पर्याप्त है!
लगभग ३० वर्ष की आयु पूरी करने के बाद हमारे शरीर में हड्डियों के निर्माण की प्रक्रिया बंद हो जाती है!इसके पश्चात् खाद पदार्थो में ऐसीडिटी (अम्लता)की मात्रा के अनुसार हड्डिया गलनी प्रारंभ हो जाती है!
यदि स्वास्थ्य की द्रष्टि से देखा जाय तो इन पेय पदार्थो में विटामिन अथवा खनिज तत्वों का नामोनिशान भी नहीं है!इनमे शक्कर,कार्बोलिक
Tuesday, April 3, 2012
कविता नहीं वमन है - गोपाल डंडौतिया
कविता नहीं वमन है - गोपाल डंडौतिया
(राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर जी के अनुसार स्वतन्त्रता नही यह अंग्रेजों का वमन है, इसी लहजे में गांधी जी ने हिंद स्वराज्य में लिखा संसद वैश्या के समान और आज की संसद तथा सांसदों के कृत्यों, उस पर भी श्री शरद यादव जैसे कमाल के सांसद द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को देख सुनकर लेखक को भी वमन हुआ इस कविता के रूप में)
खींचता जहां नियम से देखो लोकतंत्र का चीर
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर
कैसे नमन करूं में इनको, क्यूं ना वमन करूं ?
सांसद बिके करोड़ों में है एसो देश हमारो
लालू ओ अफसरशाही सब खाए रिश्वत चारो
विजय माल्या दारू देवे, राजा रूप रुपैय्या
हर इक दल से छूट रहे हैं, दल बदलून के तीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
संसद नही है कहा जोर्ज ने भ्रष्ट दलाल इकट्ठे
चाहे इधर या चाहे उधर, इक थैली के चट्टे बट्टे
करा अपहरण करें बसूली, संसद को भी लूटें
जनता को रूखी भी ना हो, इनको व्यंजन खीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
हर्षद एक दलाल हुआ था, अरबों का बना स्वामी
तीर कमान से शिब्बू ने नरसिंह की गद्दी थामी
बही परमाणु डील पर अमरसिंह ने खेला
फिर भी संसद की बेशर्मी, होती नही अधीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
सुना कभी था सेना में भी, हुआ था जीप घुटाला
कुछ लाखों के घपले में मरा था नागरबाला
पनडुब्बी बोफोर्स को भूले,बेंक स्केम ख़तम है
जनरल सिंह ही खींच रहें मनमोहन का चीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
टू जी थ्री जी और ना जाने, कितने जी घोटाले
काले धन ओ कोयले के भी बहुत पड़े हैं लाले
अमूल बेबी भूले गुस्सा,बाँहें नहीं चढ़ाएं
सोनिया जी की गर्दन सोहे, चिदम्बरम जंजीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
मनमोहन के नाम से ही मान, मनभर का हो जाता
पद लिप्सा का एसा विकृत, चित्र नजर नही आता
तरण ओ मृतक द्रमुक के डर से, नीति विदेसी बदली
मैं कमजोर नही हूँ फिर भी, घोषित करता वीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
सांसद ओर विधायक नेता, सुन जनता अकुलाती
मंत्री, पार्षद पन्च देखकर ही मितली सी आती
बीहड़ में हैं बागी डाकू, संसद में हैं बैठे
होल में गूंजे ताली सुनकर, ठीक यही तस्वीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
लोक तंत्र के स्वर्ण शिखर पर राज रहे मधुकौडा
णा पंजा, ना कमल और ना हंसिया ना ही हथौड़ा
हाथी और साईकिल दोनों गुंडों की ही सवारी
पति जेल में पत्नी नेता, भारत की तकदीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
पक्ष विपक्ष में अंतर कोनी, घटक समर्थक प्यारे
एन डी ऐ या हो यू पी ऐ सबके द्वारे ठाड़े
सबके माथे लिखा हुआ है, बिकने को तैयार
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
सनद हमारी है अनन्त, ओ इसकी कथा अनंता
एक एक सांसद दीखता है, संता या भगवंता
मिलता नहीं डूबने भर को, इक चुल्लू भर पानी
काले अंग्रेजों से काली, भारत की तस्वीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
- श्री सोम ठाकुर से क्षमायाचना सहित
(राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर जी के अनुसार स्वतन्त्रता नही यह अंग्रेजों का वमन है, इसी लहजे में गांधी जी ने हिंद स्वराज्य में लिखा संसद वैश्या के समान और आज की संसद तथा सांसदों के कृत्यों, उस पर भी श्री शरद यादव जैसे कमाल के सांसद द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को देख सुनकर लेखक को भी वमन हुआ इस कविता के रूप में)
खींचता जहां नियम से देखो लोकतंत्र का चीर
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर
कैसे नमन करूं में इनको, क्यूं ना वमन करूं ?
सांसद बिके करोड़ों में है एसो देश हमारो
लालू ओ अफसरशाही सब खाए रिश्वत चारो
विजय माल्या दारू देवे, राजा रूप रुपैय्या
हर इक दल से छूट रहे हैं, दल बदलून के तीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
संसद नही है कहा जोर्ज ने भ्रष्ट दलाल इकट्ठे
चाहे इधर या चाहे उधर, इक थैली के चट्टे बट्टे
करा अपहरण करें बसूली, संसद को भी लूटें
जनता को रूखी भी ना हो, इनको व्यंजन खीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
हर्षद एक दलाल हुआ था, अरबों का बना स्वामी
तीर कमान से शिब्बू ने नरसिंह की गद्दी थामी
बही परमाणु डील पर अमरसिंह ने खेला
फिर भी संसद की बेशर्मी, होती नही अधीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
सुना कभी था सेना में भी, हुआ था जीप घुटाला
कुछ लाखों के घपले में मरा था नागरबाला
पनडुब्बी बोफोर्स को भूले,बेंक स्केम ख़तम है
जनरल सिंह ही खींच रहें मनमोहन का चीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
टू जी थ्री जी और ना जाने, कितने जी घोटाले
काले धन ओ कोयले के भी बहुत पड़े हैं लाले
अमूल बेबी भूले गुस्सा,बाँहें नहीं चढ़ाएं
सोनिया जी की गर्दन सोहे, चिदम्बरम जंजीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
मनमोहन के नाम से ही मान, मनभर का हो जाता
पद लिप्सा का एसा विकृत, चित्र नजर नही आता
तरण ओ मृतक द्रमुक के डर से, नीति विदेसी बदली
मैं कमजोर नही हूँ फिर भी, घोषित करता वीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
सांसद ओर विधायक नेता, सुन जनता अकुलाती
मंत्री, पार्षद पन्च देखकर ही मितली सी आती
बीहड़ में हैं बागी डाकू, संसद में हैं बैठे
होल में गूंजे ताली सुनकर, ठीक यही तस्वीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
लोक तंत्र के स्वर्ण शिखर पर राज रहे मधुकौडा
णा पंजा, ना कमल और ना हंसिया ना ही हथौड़ा
हाथी और साईकिल दोनों गुंडों की ही सवारी
पति जेल में पत्नी नेता, भारत की तकदीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
पक्ष विपक्ष में अंतर कोनी, घटक समर्थक प्यारे
एन डी ऐ या हो यू पी ऐ सबके द्वारे ठाड़े
सबके माथे लिखा हुआ है, बिकने को तैयार
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
सनद हमारी है अनन्त, ओ इसकी कथा अनंता
एक एक सांसद दीखता है, संता या भगवंता
मिलता नहीं डूबने भर को, इक चुल्लू भर पानी
काले अंग्रेजों से काली, भारत की तस्वीर !
मेरे भारत की संसद में अपराधी ओ अमीर !!
- श्री सोम ठाकुर से क्षमायाचना सहित
Sunday, April 1, 2012
वे बनाते हैं हर रोज, हम बनते हैं हर रोज 1 Apr 2012, 0900 hrs IST,नवभारत टाइम्स
... लो एक और अप्रैल फूल आ गया। एक और इम्पोटेर्ड पर्व, जिसमें जितना आपने दूसरों को मूरख बनाया, उतना पुण्य कमाया। और जब पुण्य कमाने की बारी आती है, तब अपना मुल्क कितना सेंसिटिव हो जाता है, यह तो हम सबने देखा है। यही कारण है कि अपने देश में अप्रैल फूल बनाने का फंडा थोड़ा अलग हो जाता है। हर दिन, हर वक्त अप्रैल फूल बनाने का काम होता है और हमारे चंद हुक्मरान खूब पुण्य कमाते हैं। और हम हैं कि हर बार बन भी जाते हैं मूर्ख। नरेंद्र नाथ पेश कर रहे हैं ऐसी ही कुछ मिसालें, जिन्हें पढ़कर आपको तय करना है कि इनमें से आप किन बातों पर मूर्ख बने हैं :
28 रुपए से ज्यादा कमाए तो गरीब नहीं
अब इस पर क्या बोलें! एकदम जोर का अप्रैल फूल सरकार ने मार्च में ही बना दिया, गरीबी की नई परिभाषा देकर। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार पूरे देश को क्रीमी लेयर में आ जाने से संबंधित रिपोर्ट कब जारी करती है। वैसे जान लें कि रोजाना 28 रुपए से कम कमानेवाले भी देश में करीब 30 करोड़ लोग हैं। चलिए, बाकी 80 करोड़ लोगों को कम-से-कम गरीब न होने का सुकून तो होगा।
हर हाथ को काम, हर किसी को छत
सरकार ने न जाने कितनी बार बेरोजगारी दूर कराने के लिए तरह-तरह के सब्जबाग दिखाए। लेकिन बेरोजगारी की हालत देश में कैसी है, यह कोई यूपी के नए सीएम अखिलेश यादव से पूछे। बेरोजगारों को भत्ता देने की क्या कही, बेरोजगारों की आंधी आ गई। वहीं खुद केंद्र सरकार की सुनिए कि इस देश में टॉयलेट से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। मजेदार है कि लोगों को भी टॉयलेट से ज्यादा जरूरी मोबाइल फोन लगता है। बहरहाल, टॉयलेट हो-न-हो, हाथ में काम हो-न-हो, मोबाइल तो है ही। गौर फरमाइए जनाब, पूरे देश में 30 करोड़ लोगों के पास कोई काम नहीं है। 35 करोड़ लोगों से ज्यादा के सिर पर छत नहीं है। वैसे, आप भी किसी को यह जानकारी देने के लिए अपना मोबाइल उठा सकते हैं।
28 रुपए से ज्यादा कमाए तो गरीब नहीं
अब इस पर क्या बोलें! एकदम जोर का अप्रैल फूल सरकार ने मार्च में ही बना दिया, गरीबी की नई परिभाषा देकर। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार पूरे देश को क्रीमी लेयर में आ जाने से संबंधित रिपोर्ट कब जारी करती है। वैसे जान लें कि रोजाना 28 रुपए से कम कमानेवाले भी देश में करीब 30 करोड़ लोग हैं। चलिए, बाकी 80 करोड़ लोगों को कम-से-कम गरीब न होने का सुकून तो होगा।
हर हाथ को काम, हर किसी को छत
सरकार ने न जाने कितनी बार बेरोजगारी दूर कराने के लिए तरह-तरह के सब्जबाग दिखाए। लेकिन बेरोजगारी की हालत देश में कैसी है, यह कोई यूपी के नए सीएम अखिलेश यादव से पूछे। बेरोजगारों को भत्ता देने की क्या कही, बेरोजगारों की आंधी आ गई। वहीं खुद केंद्र सरकार की सुनिए कि इस देश में टॉयलेट से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। मजेदार है कि लोगों को भी टॉयलेट से ज्यादा जरूरी मोबाइल फोन लगता है। बहरहाल, टॉयलेट हो-न-हो, हाथ में काम हो-न-हो, मोबाइल तो है ही। गौर फरमाइए जनाब, पूरे देश में 30 करोड़ लोगों के पास कोई काम नहीं है। 35 करोड़ लोगों से ज्यादा के सिर पर छत नहीं है। वैसे, आप भी किसी को यह जानकारी देने के लिए अपना मोबाइल उठा सकते हैं।