भारत का नोट छापने
वाली विदेशी कंपनिया ही भेज रही 1000/500
के डुप्लीकेट नोट जो भारत के
बरबादी का कारन बन रही हैं......
सुनने में आ रहा है की केरल में 4 कंटेनर भर के
1000 रुपये की जर्मनी में प्रिंटेड करीब 12000
करोड़ रुपये के नोटों की गड्डियों का 120 टन
(1 किलो में 10 लाख) नोट सितम्बर अंतिम
सप्ताह में पकड़ा गया और यह खबर सिर्फ
किसी एक केरल के अखबारों में भी आया है और
बाद में यह खबर दबा दी गयी है. भारत में
यही हो रहा है..मेहनत करके 100/-
रुपया कमाया जाता है और छपाई कराकर करोडो-
अरब रुपये भारत में लाकर भारत और भारत के
लोगो को तबाह किया जाता है..
भारत की मुद्रा रुपये के 1000 और 500 के
नोटों की गद्दिया यूरोप में टनों टन में
ट्रेलर में ढोई जा रही है और हम चिंता कर रहे
हैं की रुपया गिर क्यों रहा है, भारत में
यही रुपया कंटेनरों में भर भर के आ रहा है
जो एक दम असली नोट हैं कोई फर्क नहीं कर
पायेगा क्योकि बनाने वाली वही कम्पनी है
जो भारत की असली नोट सप्लाई कर रही है.
भारत के नोट अन्य देशो के अलावा फ्रांस और
जर्मनी में भी छापे जा रहे हैं, डे ला रू
कंपनी आज के दिन 70 देशो की करंसी छाप
रही है. यही कंपनी जाली नोट पकड़ने की मशीन
भी बनाती हैं, और जाली नोट भी. यह
विदेशी यूरोपीय ईसाई देशो की बहुत
बड़ी साजिस है की भारत का एक पौंड में 85/-
रुपया मिल रहा है और भारत दुनिया सबसे
बड़ा गोमांस निर्यातक देश बन चुका है जिससे
की डालर की वजह से ५० गुना हो चुके भारत के
45 लाख करोड़ के कर्जे को पटाया जा सके.
स्विट्जरलैंड का खरबपति"राबर्टो गेयरो"
की कंपनी"डेला रू"भारत के बड़े नोट छापती है
और यह वही आदमी है जो"तालिबान
द्वारा अपहरण करके कंधार ले जाए गए इंडियन
एयरलाइन्स के विमान में सवार था जो काबुल से
वापस स्विटजरलैंड चला गया".
इतनी अंदरूनी खबर भारत की
मिडिया कभी नहीं दिखायेगी.
इस समस्या का एक मात्र स्थाई समाधान है -
अर्थक्रंती प्रस्ताव को तुरंत लागु
किया जाये, और संतोष की बात है
की बीजेपी इसे लागु करने जा रही है.
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
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