Wednesday, September 26, 2012

अँग्रेजी भाषा के बारे में भ्रम : गुलामी या आवयश्कता


आज के मैकाले मानसों द्वारा अँग्रेजी के पक्ष में तर्क  और उसकी सच्चाई :
1. अंग्रेजी अंतरार्ष्टर्ीय भाषा है:: िवश्व में इस समय 10 सबसे बड़ी अथर्व्यवःथायें (Top 10
Economies) अमेिरका, चीन, जापान, भारत, जमर्नी, रिशया,ब्राजिल, ब्रिटेन,फ़्रांस एवं इटली है| िजसमे
मात्र  २ देश ही अंमेजी भाषा का प्रयोग करते हैं अमेिरका और ब्रिटेन वोह भी एक सी नहीं, दोनों
िक अंग्रेजी में भी अंतर है | अब आप ही बताएं िक िकस आधार पर अंमेजी को वैिश्वक भाषा
(Global Language) माना जाए |दुिनया में इस समय 204 देश हैं और मात्र 12 देशों में अँग्रेजी
बोली, पढ़ी और समझी जाती है। संयुक्त राष्टर् संघ जो अमेिरका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है,
वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। इन अंग्रेजों की जो बाइिबल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी
और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलतेथे। ईशा मसीह की भाषा और बाइिबल की भाषा अरमेक थी।
अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से िमलती जुलती थी, समय के कालचब में
वो भाषा िवलुप्त हो गयी। पूरी दुिनया में जनसंख्या के िहसाब से सिर्फ 3% लोग अँग्रेजी बोलते हैं
िजसमे भारत दूसरे नंबर पर है | इस िहसाब से तो अंतरार्ष्टर्ीय भाषा चाइनीज हो सकती है क्यूंिक
ये दुिनया में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती हैऔर दूसरे नंबर पर िहन्दी हो सकती है।
2. अँग्रेजी बहुत समृद्ध भाषा है:: िकसी भी भाषा की समृिद्ध इस बात से तय होती है की उसमें
िकतने शब्द हैं और अँग्रेजी में िसफर् 12,000 मूल शब्द हैं बाकी अँग्रेजी के सारे शब्द चोरी के हैं
या तो लैिटन के, या तो फ्रेंच के, या तो मीक के, या तो दक्षिण  पूर्व  एशिया  के कुछ देशों की
भाषाओं के हैं। उदाहरण: अँग्रेजी में चाचा, मामा, फूफा, ताऊ सब UNCLE चाची, ताई, मामी, बुआ
सब AUNTY क्यूंकी अँग्रेजी भाषा में शब्द ही नहीं है। जबिक गुजराती में अकेले 40,000 मूल
शब्द हैं। मराठी में 48000+ मूल शब्द हैं जबिक िहन्दी में 70000+ मूल शब्द हैं। कैसे माना जाए
अँमेजी बहुत समृद्ध भाषा है ?? अँग्रेजी सबसे लाचार/ पंगु/ रद्दी भाषा है क्योंिक इस भाषा के
िनयम कभी एक से नहीं होते। दुिनया में सबसे अच्छी भाषा वो मानी जाती है िजसके िनयम
हमेशा एक जैसे हों, जैसे: संस्कृत । अँग्रेजी में आज से 200 साल पहले This की स्पेलिंग  Tis होती
थी। अँग्रेजी में 250 साल पहले Nice मतलब बेवकूफ होता था और आज Nice मतलब अच्छा
होता है। अँग्रेजी भाषा में Pronunciation कभी एक सा नहीं होता। Today को ऑस्ट्रेलिया  में
Todie बोला जाता है जबकि ब्रिटेन में Today. अमेिरका और ब्रिटेन में इसी
बात का झगड़ा है क्योंिक अमेरीकन अँग्रेजी में Z का ज्यादा प्रयोग करते हैं और ब्रिटिश अंग्रेजी
में S का, क्यूंकी कोई िनयम ही नहीं है और इसीिलए दोनों ने अपनी अपनी अलग अलग अँग्रेजी
मान ली।
3. अँग्रेजी नहीं होगी तो िवज्ञान और तकनीक की पढ़ाई नहीं हो सकती:: दुिनया में 2 देश इसका
उदाहरण हैं की िबना अँमेजी के भी िवज्ञान और तकनीक की पढ़ाई होटी है- जापान और फ़्रांस ।
पूरे जापान में इंजीन्यिरंग, मेिडकल के जीतने भी कॉलेज और िवश्विवद्यालय हैं सबमें पढ़ाई
"JAPANESE" में होती है, इसी तरह फ़्रांस में बचपन से लेकर उच्चिशक्षा तक सब फ्रेंच में पढ़ाया
जाता है।हमसे छोटे छोटे, हमारे शहरों िजतने देशों में हर साल नोबल िवजेता पैदा होते हैं लेिकन
इतनेबड़े भारत में नहीं क्यूंकी हम िवदेशी भाषा में काम करते हैं और िवदेशी भाषा में कोई भी
मौिलक काम नहीं िकया जा सकता सिर्फ  रटा जा सकता है। ये अग्रेजी का ही पिरणाम है की
हमारे देश में नोबल पुरःकार िवजेता पैदा नहींहोते हैं क्यूंकी नोबल पुरःकार के िलए मौिलक
काम करना पड़ता है और कोई भी मौिलक काम कभी भी िवदेशी भाषा में नहीं िकया जा सकता
है। नोबल पुरःकार के िलए P.hd, B.Tech, M.Tech की जरूरत नहीं होती है। उदाहरण: न्यूटन
कक्षा 9 में फ़ेल हो गया था, आइस्टीन कक्षा 10 के आगे पढे ही नही और E=hv बतानेवाला मैक्स
प्लांक कभी ःकूल गया ही नहीं। ऐसी ही शेक्सिपयर, तुलसीदास, महिषर् वेदव्यास आदि  के पास
कोई डिग्री नहीं थी, इनहोने सिर्फ  अपनी मातृभाषा में काम िकया।जब हम हमारे बच्चों को अँग्रेजी
माध्यम से हटकर अपनी मातृभाषा  में पढ़ाना शुरू करेंगे तो इस अंग्रेजियत  से हमारा रिश्ता
टूटेगा। अंमेजी पढ़ायें इसमें कोई बुरे नहीं लेिकन िहंदी या माऽभाषा की कीमत पर नहीं| िकसी भी
संस्कृति  का पुट उसके सािहत्य में होता है और सािहत्य िबना भाषा के नहीं पढ़ा जा सकता|
सोिचये यदि  आज के बालकों को िहंदी का ज्ञान ही नहीं होगा तो वे कैसे रामायण, महाभारत और
गीता पढ़ सकें गे िजसका ज्ञान प्राप्त  करने के िलए हजारों अंग्रेज ऋिषकेश, वाराणसी, वृन्दावन में
पड़े रहते हैं और बड़ी लगन से िहंदी एवं संःकृत का ज्ञान प्राप्त  करतें हैं |क्या आप जानते हैं
जापान ने इतनी जल्दी इतनी तरक्की कैसे कर ली ? क्यूंकी जापान के लोगों में अपनी मातृभाषा
से िजतना प्यार है उतना ही अपने देश से प्यार है। जापान के बच्चों में बचपन से कूट- कूट कर
राष्ट्रीयता  की भावना भरी जाती है।जो लोग अपनी मातृभाषा से प्यार नहीं करते वो अपने देश से
प्यार नहीं करते सिर्फ झूठा िदखावा करते हैं। दुिनया भर के वैज्ञािनकों का मानना है की दुिनया
में कम्प्युटर के िलए सबसेअच्छी भाषा 'संस्कृत  है। सबसे ज्यादा संस्कृत  पर शोध इस समय
जर्मनी  और अमेिरका में चल रहा है। नासा ने 'िमशन संस्कृत' शुरू िकया है और अमेिरका में बच्चों
के पाठ्यबम में संस्कृत  को शािमल िकया गया है। सोिचए अगर अँग्रेजी अच्छी भाषा होती तो ये
अँग्रेजी को क्यूँ छोड़ते और हम अंग्रेजियत  की गुलामी में घुसे हुए है। कोई भी बड़े से बड़ा तीस
मार खाँ अँग्रेजी बोलतेसमय सबसे पहले उसको अपनी मातृभाषा  में सोचता है और िफर उसको
िदमाग में Translate करता है िफर दोगुनी मेहनत करके अँग्रेजी बोलता है। हर व्यिक्त अपने जीवन
के अत्यंत िनजी क्षणों में मातृभाषा ही बोलता है। जैसे: जब कोई बहुत गुःसा होता है तो गाली
हमेशा मातृभाषा में ही देता हैं।िकसी भी व्यिक्त िक अपनी पहचान ३ बातो से होती है, उसकी
भाषा, उसका भोजन और उसका भेष (पहनावा). अगर ये तीन बात नहीं हों अपनी संस्कृति  की
तो सोिचये अपना पिरचय भी कैसे देंगे िकसी को ?

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