*गांव vs शहर*
बड़ा घर आंगन वाला
छोटा फ्लैट जिसमे छत भी अपनी नही
बड़ा दिल सबसे मिल जुलकर रहना
Ego इतनी की पड़ोसी तक से जलन ईर्ष्या व बैर
स्वच्छ जल वायु भोजन (नजदीक के खेतों से या घर की बागवानी से)
जहरीले रसायनिक जल वायु व भोजन (दृर के गांवों से, महंगे दामो पर)
बड़ा परिवार मिल जुलकर रहते
छोटे nuclear फैमिली लड़ झगड़ कर रहते
जल्दी उठना जल्दी सोना सैर करना स्वस्थ रहना
देर से सोना देर से उठना, आलस में पड़े रहना व गोली खाकर जीते रहना
न मिला *स्वास्थ्य* शहर में उल्टा बिगड़ गया
न मिला सुख शांति *समृद्धि* बल्कि दुख stress ने घेर लिया
न मिला अपनो का प्रेम, *रिश्ते* भी टूटने लगे
समाज मे गांव में तो *इज्जत* भी थी, भागीदारी भी थी यहां तो सब मुंह पर कुछ और और पीठ पीछे कुछ और ही कहते हैं ।
*आखिर क्या है इस शहर में जो हर कोई गांव छोड़कर इधर चला आया*
जीवन के 4 उदेशय और 4 के 4 ही शहर में विफल। तो क्या गांव जीवन और शहर मृत्यु है ?
*गांव में जो कमियां थीं क्या वह दृर नही हो सकती ? हाँ सरल है ।*
*शहर में जो कमियां हैं क्या वह दृर हो सकती हैं ? नही बहुत कठिन है ।*
-नवनीत सिंघल
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : ख्वाजा अहमद अब्बास और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसटीक चिंतनशील प्रस्तुति
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