Thursday, September 19, 2019

होमवर्क📚 - जब अध्यापक का सामना गरीबी के सच से होता है

➖➖➖➖➖➖➖➖➖
गूडमॉर्निंग सर!
गूडमॉर्निंग बच्चों! बैठिये!
थैंक यू सर!
आप सब को कल होमवर्क दिया था ..किया?
यस सर!
किसने किसने होमवर्क किया?हाथ ऊपर??
गुड!!जिन बच्चों ने होमवर्क नही किया वो बच्चे खड़े हो जाएँ??

कक्षा में सभी बच्चे विद्यालय मानक के अनुसार होनहार नही होते.. हर एक बच्चा अपनी अपनी  क्षमता अनुसार अलग होता है। किसी के पढ़ने लिखने की क्षमता अच्छी होती है तो किसी की कम..वो थोड़े अलग बच्चे होते हैं..

दूर दराज बसे गाँव के सरकारी स्कूल की इस कक्षा में भी एक ऐसी ही बच्ची थी,जो अलग थी। 

"ख़ुशी" नाम था उसका।

बच्चे होमवर्क नहीं करते तो कैसी कहानियां बनाते हैं.. बचपन तो याद होगा।
पेट दर्द, कॉपी नहीं थी, कल स्कूल नही आये थे, सर भूल गए थे, सर किया हूँ कॉपी घर छूट गयी..

...पर वो बिलकुल चुप थी! उसके चेहरे पर एक शिकन भी नहीं, उसे शायद डाँट या शायद मार खाने का डर भी नहीं था। मैली यूनिफॉर्म पहने सांवले रँग की वो लड़की अजीब तरह से मुझे देखती रही.. एक अजीब तरह की चुनौती थी उसके देखने में।

होमवर्क क्यों नहीं किया?
चुप!
बताओ वरना आज तो पक्का सजा मिलेगी!!
चुप!
बोल क्यों नही रही???
चुप!

अब मेरा सब्र खो रहा था। आवाज़ की तल्खी बढ़ रही थी। इतने में उसकी सहेली ने बताना शुरू किया..
"सर! ख़ुशी का हाथ जल गया था।।"

नज़र पड़ी, हाथ पर छोटा फफोला था..

अंदर का अध्यापक दबने लगा... इस बार मेरी आवाज़ में नरमी थी... फिर पूछा

हाथ कैसे जला ख़ुशी..?

अब चुप हो जाने की बारी मेरी थी। ख़ुशी ने बताना शुरू किया:-
सर समय ही नही मिला!मम्मी होटल पर काम करती हैं न!मैं अपने 3 साल के भाई को सम्भाल रही थी। कल रात बहुत देर से घर आई थी। रात को भी खाना मैं ही बनाई। सवेरे भी खाना बना के आ रही हूँ। छौकां ऊपर छटक गया तो हाथ जल गया।

मैं किस "होमवर्क" की बात कर रहा था.. ? असली "होमवर्क" तो आउट ऑफ़ सिलेबस था, उसके भी...
....मेरे भी।

➖➖➖➖➖➖➖➖➖
Yasho Dev Rai
( देवयशो ) 

आलोक:-
( यदि आप सोचते हैं की सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नही होती गई तो आपने अपने देश को अच्छे से जाना ही नहीं, ऐसे विद्यालयों के द्वार खुले हैं उस उपेक्षित समाज के बच्चों के लिए भी जो अपने जीने की भी लड़ाई लड़ रहे हैं।
हमें उन सब का सम्मान करना चाहिए जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रयासरत हैं, चाहे वो सुविधाविहीन बच्चे हों, फीस भर पाने में असमर्थ अभिभावक हों या फिर एक अशिक्षा से अनदेखी लड़ाई लड़ रहा शिक्षक.. जय हिन्द!)

No comments:

Post a Comment