हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति....
संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है
वह सबसे अधिक सरल भाषा है
वह सबसे अधिक लचीली भाषा है
वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवाद विहीन हैं तथा
वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है
हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासामर्थ्य विरासत में मिली है।
वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती।
अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है।
हिंदी की देवनागरी लिपि ध्वन्यात्मक लिपि है,प्रत्येक ध्वनी के लिए अलग अलग वर्ण है तथा स्वरों के उच्चारण के लिए वर्ण तथा मात्राएँ हैं ,
हमारे लिपि की सबसे बड़ी विशेषता ये है की हम जो लिखते हैं वही पढ़ते हैं .
हिंदी भाषा की लिपि में एक ध्वनी के लिए एक ही चिन्ह का प्रयोग किया जाता है,यह गुण किसी और लिपि में नहीं पाया जाता है ,
देवनागरी लिपि विश्व की सर्वौत्कृष्ट वैज्ञानिक लिपि है यह विश्व के लगभग सभी भाषा वैज्ञानिक मानते हैं ,
सुन्दरता इसका सबसे बड़ा गुण हैं,ऊपर की शिरो रेखा ने चार चाँद लगा दिए हैं .
देवनागरी लिपि की ६२ वर्णों से हम दुनिया की किसी भाषा के ध्वनियों को सरलता से लिख सकते हैं जबकि अंग्रेजी में ऐसा संभव नहीं है.
भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन भारत की सम्पर्क भाषा भारत की राजभाषा.