स्वामी रामदेव
क्या भारत गरीब है? – यदि नहीं तो हम भारतीय गरीब क्यों हैं? क्या हमारी गरीबी का कारण हमारा प्रदेश, जाति, वर्ग या मजहब है?
1. जिस देश की अर्थव्यवस्था लगभग एक हजार लाख करोड़ रुपये की है। यदि हम इसमें 50 प्रतिशत को भी टैक्सेबल मानें और यदि टैक्स की मात्रा 10 प्रतिशत भी रखें (वर्तमान में लगभग सभी वस्तुओं के वास्तविक मूल्य पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 50 प्रतिशत टैक्स होता है) तो प्रति वर्ष लगभग 50 लाख करोड़ रुपये केंद्र या राज्य सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं (Collective Services) में विकास के लिए उपलब्ध होगा।
2. जिस देश में लगभग बीस हजार लाख करोड़ रुपये की भू-संपदाएं हों, लगभग 33 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल हो उस देश को हम गरीब कैसे कह सकते हैं? कालाधन, भ्रष्टाचार एवं अन्यायपूर्ण बंटवारे के कारण ही हम गरीब हैं।
क्या सरकार ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी से कोई प्रभावी काम किया है?
सरकार ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करने वालों के साथ धोखा, विश्वासघात, क्रूरता व बर्बरता की है। सरकार ने कालेधन देश को दिलाने व भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए देश के लोगों की आँखों में धूल झोंकने का काम किया है।
लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत किसकी है? – यद्दपि मनीपावर, मिलिट्री पावर एवं सभी कानून व्यवस्था, पूरा सरकारी तंत्र सरकार के हाथों में होता है लेकिन उस सरकार को भी चुनने की ताकत जनता के हाथों में होती है। इसलिए लोकतंत्र में जनता सबसे बड़ी होती है।
आन्दोलन की सफलता का सूत्र व हमारी ताकत क्या है? -
किसी भी आंदोलन या परिवर्तन की क्रांति में यदि एक प्रतिशत लोगों की संगठित भागीदारी हो जाती है तो वह आंदोलन निश्चित रूप से सफल होता है। आज देश में लगभग 1% तो हमारे कार्यकर्ता हैं तथा 99% आम लोग हमारे साथ हैं अतः हमारा आंदोलन सफल होगा।
आंदोलन के मुद्दों एवं पहलुओं को सब लोगों तक ले जाने का सबसे सशक्त माध्यम क्या है? –
घर-घर गांव-गांव जाकर लोगों को आंदोलन के मुद्दों एवं उससे मिलने वाले फायदे के बारे में बताना। जनता को देश की ताकत एवं जनता की ताकत, अर्थव्यवस्था, भू-संपदा, कालाधन वापस लाने की प्रक्रियाओं के बारे में बताकर अपने आंदोलन के साथ लोगों को जोड़ना है। जैसे हमें श्रद्धेय स्वामी जी के द्वारा पता है कि हम क्या हैं? हमारा देश क्या है? वैसे ही जब सबको ज्ञान होगा तो हमारी तरह सब आन्दोलन से जुड़ेगें व साथ देंगे।
क्या अब तक कोई देश विदेशों में जमा कालाधन वापस लाया है? – जब नाईजीरिया विदेशों में जमा अपना 522 मिलियन डॉलर से अधिक धन, पेरू 180 मिलियन डॉलर, फिलीपीन्स 624 मिलियन डॉलर, जाम्बीया 52 मिलियन डॉलर वापस ला सकता है तथा अमेरिका 4000 से अधिक अपने देश के स्विट्जरलैण्ड में कालाधन जमा करने वाले लोगों पर कार्यवाही करके अपने लाखों करोड़ रुपये वापस ला सकता है और इसी तरह जर्मनी, ट्यूनेशिया व पाकिस्तान भी अपना कालाधन विदेशों से ला सकता है तो अब तक भारत एक रुपया भी कालाधन वापस क्यों नहीं लेकर आया?
कालाध्न कैसे वापस आएगा? – देश के अंदर व बाहर जमा कालेध्न को वापस लाने के लिए सरकार को ईमानदारी के साथ प्रयास करना पड़ेगा तथा कुछ नये कानूनी प्रावधान करने पड़ेंगे जिसकी विस्तृत जानकारी भारत स्वाभिमान की वेबसाइट – www.bharatswabhimantrust.org पर देख सकते हैं।
यदि आजादी के बाद 65 वर्षों में कालाधन जमा न होता तो हमारी जी.डी.पी., ग्रोथरेट, रुपये का मूल्य, बचत, निर्यात, डेफिसिट एवं विश्व में हमारी स्थिति क्या होती?
हमारी जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय व निर्यात लगभग दस गुणा होता। हमारी बचत, विकास दर (ग्रोथरेट) लगभग दोगुणी होती। सरकार डेफिसिट की बजाय सरप्लस में होती। हमारे रुपये का मूल्य डॉलर के लगभग बराबर होता। विश्व की जी.डी.पी. में हमारी भागीदारी 10% से 20% होती अभी मात्र 1.5% है।
1. जिस देश की अर्थव्यवस्था लगभग एक हजार लाख करोड़ रुपये की है। यदि हम इसमें 50 प्रतिशत को भी टैक्सेबल मानें और यदि टैक्स की मात्रा 10 प्रतिशत भी रखें (वर्तमान में लगभग सभी वस्तुओं के वास्तविक मूल्य पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 50 प्रतिशत टैक्स होता है) तो प्रति वर्ष लगभग 50 लाख करोड़ रुपये केंद्र या राज्य सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं (Collective Services) में विकास के लिए उपलब्ध होगा।
2. जिस देश में लगभग बीस हजार लाख करोड़ रुपये की भू-संपदाएं हों, लगभग 33 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल हो उस देश को हम गरीब कैसे कह सकते हैं? कालाधन, भ्रष्टाचार एवं अन्यायपूर्ण बंटवारे के कारण ही हम गरीब हैं।
क्या सरकार ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी से कोई प्रभावी काम किया है?
सरकार ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करने वालों के साथ धोखा, विश्वासघात, क्रूरता व बर्बरता की है। सरकार ने कालेधन देश को दिलाने व भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए देश के लोगों की आँखों में धूल झोंकने का काम किया है।
लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत किसकी है? – यद्दपि मनीपावर, मिलिट्री पावर एवं सभी कानून व्यवस्था, पूरा सरकारी तंत्र सरकार के हाथों में होता है लेकिन उस सरकार को भी चुनने की ताकत जनता के हाथों में होती है। इसलिए लोकतंत्र में जनता सबसे बड़ी होती है।
आन्दोलन की सफलता का सूत्र व हमारी ताकत क्या है? -
किसी भी आंदोलन या परिवर्तन की क्रांति में यदि एक प्रतिशत लोगों की संगठित भागीदारी हो जाती है तो वह आंदोलन निश्चित रूप से सफल होता है। आज देश में लगभग 1% तो हमारे कार्यकर्ता हैं तथा 99% आम लोग हमारे साथ हैं अतः हमारा आंदोलन सफल होगा।
आंदोलन के मुद्दों एवं पहलुओं को सब लोगों तक ले जाने का सबसे सशक्त माध्यम क्या है? –
घर-घर गांव-गांव जाकर लोगों को आंदोलन के मुद्दों एवं उससे मिलने वाले फायदे के बारे में बताना। जनता को देश की ताकत एवं जनता की ताकत, अर्थव्यवस्था, भू-संपदा, कालाधन वापस लाने की प्रक्रियाओं के बारे में बताकर अपने आंदोलन के साथ लोगों को जोड़ना है। जैसे हमें श्रद्धेय स्वामी जी के द्वारा पता है कि हम क्या हैं? हमारा देश क्या है? वैसे ही जब सबको ज्ञान होगा तो हमारी तरह सब आन्दोलन से जुड़ेगें व साथ देंगे।
क्या अब तक कोई देश विदेशों में जमा कालाधन वापस लाया है? – जब नाईजीरिया विदेशों में जमा अपना 522 मिलियन डॉलर से अधिक धन, पेरू 180 मिलियन डॉलर, फिलीपीन्स 624 मिलियन डॉलर, जाम्बीया 52 मिलियन डॉलर वापस ला सकता है तथा अमेरिका 4000 से अधिक अपने देश के स्विट्जरलैण्ड में कालाधन जमा करने वाले लोगों पर कार्यवाही करके अपने लाखों करोड़ रुपये वापस ला सकता है और इसी तरह जर्मनी, ट्यूनेशिया व पाकिस्तान भी अपना कालाधन विदेशों से ला सकता है तो अब तक भारत एक रुपया भी कालाधन वापस क्यों नहीं लेकर आया?
कालाध्न कैसे वापस आएगा? – देश के अंदर व बाहर जमा कालेध्न को वापस लाने के लिए सरकार को ईमानदारी के साथ प्रयास करना पड़ेगा तथा कुछ नये कानूनी प्रावधान करने पड़ेंगे जिसकी विस्तृत जानकारी भारत स्वाभिमान की वेबसाइट – www.bharatswabhimantrust.org पर देख सकते हैं।
यदि आजादी के बाद 65 वर्षों में कालाधन जमा न होता तो हमारी जी.डी.पी., ग्रोथरेट, रुपये का मूल्य, बचत, निर्यात, डेफिसिट एवं विश्व में हमारी स्थिति क्या होती?
हमारी जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय व निर्यात लगभग दस गुणा होता। हमारी बचत, विकास दर (ग्रोथरेट) लगभग दोगुणी होती। सरकार डेफिसिट की बजाय सरप्लस में होती। हमारे रुपये का मूल्य डॉलर के लगभग बराबर होता। विश्व की जी.डी.पी. में हमारी भागीदारी 10% से 20% होती अभी मात्र 1.5% है।
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