दीदी डॉ. सरोज गुप्ता द्वारा लिखी गयी एक और बेहद खूबसूरत कविता....
मैरीकाम तुम अपने
बोक्सिंग गलब्स
गीतिका और फिजा को
आज भेंट कर दो !
क्या कहा -
वो अब नप गईं !
सत्ता के गलियारों में खप्प गयी !
मैरीकाम तुम अपने
बोक्सिंग गलब्स
गीतिका और फिजा को
आज भेंट कर दो !
क्या कहा -
वो अब नप गईं !
सत्ता के गलियारों में खप्प गयी !
अभी तो लाखो गीतिकाएं
उड़ान भरने को तैयार है !
अभी तो फिजा में रंगीनी भरनी है !
मैरी तुमने वो काम किया
आशीष देती यह धरनी है!
गीत जो आज रूठे थे ,
फिजा में भी रह गए ठूंठे थे !
तुमने सबको अच्छे से कूटे थे
गीतिका को सीखा दो
कैसे मारे मुक्के थे ,
कांडा फिर कोई गीत गा न पाए !
चाँद दाग अपना छुपा न पाए !
मैरीकाम तुम अपने
बोक्सिंग गलब्स
गीतिका और फिजा को
आज भेंट कर दो !
उड़ान भरने को तैयार है !
अभी तो फिजा में रंगीनी भरनी है !
मैरी तुमने वो काम किया
आशीष देती यह धरनी है!
गीत जो आज रूठे थे ,
फिजा में भी रह गए ठूंठे थे !
तुमने सबको अच्छे से कूटे थे
गीतिका को सीखा दो
कैसे मारे मुक्के थे ,
कांडा फिर कोई गीत गा न पाए !
चाँद दाग अपना छुपा न पाए !
मैरीकाम तुम अपने
बोक्सिंग गलब्स
गीतिका और फिजा को
आज भेंट कर दो !
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