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http://youtu.be/ oga46f4op8U
हमलोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप, सिबाका, फोरहंस आदि का, क्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता है, दांतों की सडन को दूर करता है, ऐसा कहा जाता है प्रचारों में | आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं था, तब सब के दांत सड़ जाते थे क्या ? और सब के सांस से बदबू आती थी क्या ? अभी कुछ सालों से टेलीव
http://youtu.be/
हमलोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप, सिबाका, फोरहंस आदि का, क्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता है, दांतों की सडन को दूर करता है, ऐसा कहा जाता है प्रचारों में | आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं था, तब सब के दांत सड़ जाते थे क्या ? और सब के सांस से बदबू आती थी क्या ? अभी कुछ सालों से टेलीव
िजन
ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगडो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया |
अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते
हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैं, जब
कि है उल्टा | जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे बुद्धिमान हैं और जो
कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |
जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं, सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही है, अमेरिका में भी यही हाल है | वहां एक डाक्टर मुझे मिले, नाम था डाक्टर जुकर्शन, मैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैं? और दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होती, तुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" | तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " | यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैं, हमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा |
कोलगेट बनता कैसे हैं, आपको मालूम है? किसी को नहीं मालूम, क्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे ? कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट है, क्यों ? क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है | जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है फ्लोराइड | फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है | तीसरी एक और खतरनाक चीज होती है उसमे, ये है Sodium Lauryl Sulphate | मैं जब लोगों से पूछता हूँ कि "आप कोलगेट क्यों इस्तेमाल करते हैं" तो सभी लोगों का कहना होता है कि "इसमें क्वालिटी है" फिर मैं पूछता हूँ कि "क्या क्वालिटी है?" तो कहते हैं कि "इसमें झाग बहुत बनता है", ये पढ़े-लिखे लोगों का उत्तर होता है | रसायन शास्त्र में एक रसायन होता है "Sodium Lauryl Sulphate " और रसायन शास्त्र के शब्दकोष (dictionary) में जब आप देखेंगे तो इस "Sodium Lauryl Sulphate" के नाम के आगे लिखा होता है "जहर"/"poison "| और .05mg मात्रा शरीर में चली जाए तो कैंसर कर देता है और यही केमिकल कोलगेट में मिलाया जाता है क्योंकि "Sodium Lauryl Sulphate " डाले बिना किसी टूथपेस्ट में झाग नहीं बन सकता | टूथपेस्ट और सेविंग क्रीम दोनों में ये "Sodium Lauryl Sulphate " डाला जाता है, बस थोडा प्रोसेस में अंतर होता है | ये झाग इसी केमिकल से बनता है तकनीकी भाषा में जिसे सिंथेटिक डिटर्जेंट कहा जाता है वही इन पेस्टों में मिलाया जाता है | यही सिंथेटिक डिटर्जेंट "Sodium Lauryl Sulphate " कपडा धोने वाले वाशिंग पावडर और डिटर्जेंट केक में, शैम्पू में और दाढ़ी बनाने वाले सेविंग क्रीम में भी मिलाया जाता है | दुनिया का सबसे रद्दी पेस्ट हम इस्तेमाल कर रहे हैं |
धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है | सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है | ये कोई भी जानवर हो सकता है, मैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं | मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |
और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से | मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों में, और "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में | यहाँ भी धोखा है, ये "accepted" लिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करते, कोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहता, क्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता | मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं कोई डेंटिस्ट नहीं हूँ, लेकिन कोई डेंटिस्ट इस बात को सिद्ध कर सकता है, और वो ये भी बता सकता है कि "कोई भी टूथपेस्ट जिसमे 1000 PPM से ज्यादा फ्लोराइड होता है तो वो सारे के सारे टूथपेस्ट जहर हो जाते है, टूथपेस्ट नहीं रहते" मैं अगर ये बात कोर्ट में कहूं तो कोर्ट मेरी बात नहीं मानेगा, कहेगा कि "आपके पास कोई डिग्री है इससे सम्बंधित" | दुर्भाग्य से, जिनके पास डिग्री है वो कोर्ट में जा नहीं रहे हैं और मेरे जैसे लोग, जिनके पास डिग्री नहीं है तो कोर्ट में जा नहीं सकते और खिसिया (गुस्सा) के रह जाते हैं |
आपको एक और जानकारी देता हूँ | अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा जाता है तो उसपर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | लिखते अंग्रेजी में हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ, उसपर लिखते हैं "please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | और आगे लिखते हैं " In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately , मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं "If you are an adult then take this paste on your brush in pea size " मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं | हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती और उसके जगह "Directions for use" लिखा होता है, और वो बात, जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते | और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता , इसको Agmark भी नहीं मिला है, क्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है | जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते, अब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |
यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती है, वो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"| तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................
From: <consumeraffairs_india@ colpal.com>
Date: Tue, May 31, 2011 at 6:04 PM
Subject: In response to your Colgate communication #022844460A
To: prakriti.pune@gmail.com
May 31, 2011
Ref: 022844460A
Mr. Rakesh Chandra Rakesh
B 13 Everest Heights Behind Joggers
Near Khalsa Dairy
Viman Nagar
Pune 411014
Maharashtra
India
Dear Mr. Rakesh,
Thank you for contacting Colgate-Palmolive (India) Limited.
"The labelling requirements of cosmetic preparations like toothpaste in India are governed by the drugs and cosmetics regulations. We are fully complying with those regulations.In addition, we have incorporated an additional direction (i.e. Dentists recommend parents supervise brushing with a pea-size amount of toothpaste, discourage swallowing and ensure children spit and rinse afterwards) with a view to guiding the parents of children under 6 years of age using toothpaste."
We greatly value your patronage of Colgate-Palmolive products.
Regards,
COLGATE PALMOLIVE (INDIA) LIMITED
Abilio Dias
Consumer Affairs
Communications
(http://www.natural-health/- information-centre.com/ sodium- lauryl-sulfate.html) और http://www.fluoridealert/.
org/ toothpaste.html इन दोनों लिंक को समय निकाल कर पढने का कष्ट करेंगे
तो आपके लिए अच्छा होगा | आप जिस भी पेस्ट के INGREDIENT में इस केमिकल का
नाम देखिये तो उसे कृपा कर के इस्तेमाल मत कीजिये, अपना नहीं तो अपने
बीवी-बच्चो का तो ख्याल कीजिये, अगर शादी नहीं हुई है तो अपने माता-पिता का
ख्याल तो कीजिये |
विकल्प
यहाँ मैं महर्षि वाग्भट के अष्टांग हृदयम का कुछ हिस्सा जोड़ता हूँ, जिसमे वो कहते हैं कि दातुन कीजिये | दातुन कैसा ? तो जो स्वाद में कसाय हो, कसाय समझते हैं आप ? कसाय मतलब कड़वा और नीम का दातुन कड़वा ही होता है और इसीलिए उन्होंने नीम के दातुन की बड़ाई (प्रसंशा) की है | उन्होंने नीम से भी अच्छा एक दूसरा दातुन बताया है, वो है मदार का, उसके बाद अन्य दातुन के बारे में उन्होंने बताया है जिसमे बबूल है, अर्जुन है, आम है, अमरुद है, जामुन है, ऐसे 12 वृक्षों का नाम उन्होंने बताया है जिनके दातुन आप कर सकते हैं | चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातुन करने के लिए उन्होंने बताया है, सर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को बताया है , बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन करने को बताया है | आप चाहें तो सालों भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उसमे ध्यान इस बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को कुछ दिन का विश्राम दे | इस अवधि में मंजन कर ले | दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई है, वो कहते हैं कि आपके स्थान पर उपलब्ध खाने का तेल (सरसों का तेल. नारियल का तेल, या जो भी तेल आप खाने में इस्तेमाल करते हों, रिफाइन छोड़ कर ), उपलब्ध लवण मतलब नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनाये और उसका प्रयोग करे | दातुन जब भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में मिल जाता है तो भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं होगा जहाँ ये नहीं मिले |
(साभार: प्रदीप दिक्षित जी की वाल से)
यहाँ जरूर click करे !
http://youtu.be/ oga46f4op8U
जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं, सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही है, अमेरिका में भी यही हाल है | वहां एक डाक्टर मुझे मिले, नाम था डाक्टर जुकर्शन, मैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैं? और दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होती, तुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" | तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " | यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैं, हमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा |
कोलगेट बनता कैसे हैं, आपको मालूम है? किसी को नहीं मालूम, क्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे ? कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट है, क्यों ? क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है | जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है फ्लोराइड | फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है | तीसरी एक और खतरनाक चीज होती है उसमे, ये है Sodium Lauryl Sulphate | मैं जब लोगों से पूछता हूँ कि "आप कोलगेट क्यों इस्तेमाल करते हैं" तो सभी लोगों का कहना होता है कि "इसमें क्वालिटी है" फिर मैं पूछता हूँ कि "क्या क्वालिटी है?" तो कहते हैं कि "इसमें झाग बहुत बनता है", ये पढ़े-लिखे लोगों का उत्तर होता है | रसायन शास्त्र में एक रसायन होता है "Sodium Lauryl Sulphate " और रसायन शास्त्र के शब्दकोष (dictionary) में जब आप देखेंगे तो इस "Sodium Lauryl Sulphate" के नाम के आगे लिखा होता है "जहर"/"poison "| और .05mg मात्रा शरीर में चली जाए तो कैंसर कर देता है और यही केमिकल कोलगेट में मिलाया जाता है क्योंकि "Sodium Lauryl Sulphate " डाले बिना किसी टूथपेस्ट में झाग नहीं बन सकता | टूथपेस्ट और सेविंग क्रीम दोनों में ये "Sodium Lauryl Sulphate " डाला जाता है, बस थोडा प्रोसेस में अंतर होता है | ये झाग इसी केमिकल से बनता है तकनीकी भाषा में जिसे सिंथेटिक डिटर्जेंट कहा जाता है वही इन पेस्टों में मिलाया जाता है | यही सिंथेटिक डिटर्जेंट "Sodium Lauryl Sulphate " कपडा धोने वाले वाशिंग पावडर और डिटर्जेंट केक में, शैम्पू में और दाढ़ी बनाने वाले सेविंग क्रीम में भी मिलाया जाता है | दुनिया का सबसे रद्दी पेस्ट हम इस्तेमाल कर रहे हैं |
धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है | सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है | ये कोई भी जानवर हो सकता है, मैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं | मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |
और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से | मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों में, और "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में | यहाँ भी धोखा है, ये "accepted" लिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करते, कोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहता, क्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता | मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं कोई डेंटिस्ट नहीं हूँ, लेकिन कोई डेंटिस्ट इस बात को सिद्ध कर सकता है, और वो ये भी बता सकता है कि "कोई भी टूथपेस्ट जिसमे 1000 PPM से ज्यादा फ्लोराइड होता है तो वो सारे के सारे टूथपेस्ट जहर हो जाते है, टूथपेस्ट नहीं रहते" मैं अगर ये बात कोर्ट में कहूं तो कोर्ट मेरी बात नहीं मानेगा, कहेगा कि "आपके पास कोई डिग्री है इससे सम्बंधित" | दुर्भाग्य से, जिनके पास डिग्री है वो कोर्ट में जा नहीं रहे हैं और मेरे जैसे लोग, जिनके पास डिग्री नहीं है तो कोर्ट में जा नहीं सकते और खिसिया (गुस्सा) के रह जाते हैं |
आपको एक और जानकारी देता हूँ | अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा जाता है तो उसपर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | लिखते अंग्रेजी में हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ, उसपर लिखते हैं "please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | और आगे लिखते हैं " In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately , मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं "If you are an adult then take this paste on your brush in pea size " मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं | हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती और उसके जगह "Directions for use" लिखा होता है, और वो बात, जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते | और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता , इसको Agmark भी नहीं मिला है, क्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है | जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते, अब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |
यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती है, वो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"| तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................
From: <consumeraffairs_india@ colpal.com>
Date: Tue, May 31, 2011 at 6:04 PM
Subject: In response to your Colgate communication #022844460A
To: prakriti.pune@gmail.com
May 31, 2011
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Mr. Rakesh Chandra Rakesh
B 13 Everest Heights Behind Joggers
Near Khalsa Dairy
Viman Nagar
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Maharashtra
India
Dear Mr. Rakesh,
Thank you for contacting Colgate-Palmolive (India) Limited.
"The labelling requirements of cosmetic preparations like toothpaste in India are governed by the drugs and cosmetics regulations. We are fully complying with those regulations.In addition, we have incorporated an additional direction (i.e. Dentists recommend parents supervise brushing with a pea-size amount of toothpaste, discourage swallowing and ensure children spit and rinse afterwards) with a view to guiding the parents of children under 6 years of age using toothpaste."
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यहाँ मैं महर्षि वाग्भट के अष्टांग हृदयम का कुछ हिस्सा जोड़ता हूँ, जिसमे वो कहते हैं कि दातुन कीजिये | दातुन कैसा ? तो जो स्वाद में कसाय हो, कसाय समझते हैं आप ? कसाय मतलब कड़वा और नीम का दातुन कड़वा ही होता है और इसीलिए उन्होंने नीम के दातुन की बड़ाई (प्रसंशा) की है | उन्होंने नीम से भी अच्छा एक दूसरा दातुन बताया है, वो है मदार का, उसके बाद अन्य दातुन के बारे में उन्होंने बताया है जिसमे बबूल है, अर्जुन है, आम है, अमरुद है, जामुन है, ऐसे 12 वृक्षों का नाम उन्होंने बताया है जिनके दातुन आप कर सकते हैं | चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातुन करने के लिए उन्होंने बताया है, सर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को बताया है , बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन करने को बताया है | आप चाहें तो सालों भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उसमे ध्यान इस बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को कुछ दिन का विश्राम दे | इस अवधि में मंजन कर ले | दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई है, वो कहते हैं कि आपके स्थान पर उपलब्ध खाने का तेल (सरसों का तेल. नारियल का तेल, या जो भी तेल आप खाने में इस्तेमाल करते हों, रिफाइन छोड़ कर ), उपलब्ध लवण मतलब नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनाये और उसका प्रयोग करे | दातुन जब भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में मिल जाता है तो भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं होगा जहाँ ये नहीं मिले |
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