हमको पता ना था सूरज बचकानी भाषा बोलेगा,
जाने किस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा.
अभी तलक तो सिंहासन को गूंगा-बहरा देखा है
भारत माँ के चहरे पर आंसू को ठहरा देखा है
अभी तलक तो सन 47 को ए के 47 से डरते देखा है,
अभी तलक संविधान को नेता के घर पालिश करते देखा है,
अभी तलक तो खुद्दारी को गद्दारी का पानी भरते देखा है,
अभी तलक तो शेरो को कुत्तो मे घिर कर जान बचाते देखा है,
जाने किस दिन इस देश का पौरुष खौलेगा,
जाने किस दिन जनमानस तूफानी भाषा बोलेगा
अभी तलक तो चोले ने चोली की भाषा बोली है
जाने किस दिन युग का युवा वर्ग मर्दानी भाषा बोलेगा
अभी तलक मुस्कानों ने रोने की भाषा बोली है
अभी तलक तो डोली ने अर्थी की भाषा बोली है
जिस दिन बाहें भीमबली की, दुस्साशन को खीचेंगी
जिस दिन कोई पांचाली दुस्साशन को पीटेगी,
जिस दिन जनता विषबेलो को तेज़ाबो से सींचेगी,
जिस दिन जनता भ्रष्टाचार ी को संसद से खीचेगी,
जिस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा
उस दिन जयचंदों का गिरोह जान बचा के भागेगा
उस दिन भारत माँ का मस्तक चमकेगा
जिस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा !
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