UP (Uttar Pradesh): Last date 23 Dec to apply for 72825 primary teachers.

Sarkari Naukri Recruitment Result: UP (Uttar Pradesh) TET -UPTET : Last date to appl...: Breaking News - UPTET : शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन 23 तक ( Last date to apply for Primary Teacher in Basic Education Department UP is 23-D...

Thursday, December 15, 2011

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है |
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है |
माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है |
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलतीपोथी
जैसे रात उतार चाँदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आनेवालों, चाल बदलकर जाने वालों
चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है |
लाखों बार गगरियाँ फ़ूटी,
शिकन न आयी पर पनघट पर
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
चहल पहल वो ही है तट पर
तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों,
लाख करे पतझड़ कोशिश पर, उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी ना लेकिन गंध फ़ूल की
तूफ़ानों ने तक छेड़ा पर,
खिड़की बंद ना हुई धूल की
नफ़रत गले लगाने वालों, सब पर धूल उड़ाने वालों
कुछ मुखड़ों के की नाराज़ी से, दर्पण नहीं मरा करता है।

Friday, December 9, 2011

जंगल को बना कर सूखे का ढेर अब वो माचिस बनाने वालों से कह रहे हैं
अपनी हदों में रहो, आग लगने का डरहैं
ैकल तक इन्ही माचिसों से जला कर आग तुमने भी बहुत हाँथ सेके हैं
और आज कह रहे हैं, देख कर यहाँ हमारा भी घर है
हम तो हर बार जले तुम्हारी लगाईं आग में, मौका तुम्हारा पहला है
अब शायद समझ सकोगे हमारे दिल का दर्द, जब दिल तुम्हारा दहला है
माहौल सूखे का है, हवाएं भी गर्म हैं, चिंगारी कहीं से भी लग सकती है
माचिस की तीली मिले न मिले, ये जंगल की आग है कभी भी भड़क सकती है
हम भुझाना भी चाहें तो हमारे बस में नहीं
तुम्हारी लगाईं आग के धुएं ने हमारी आँखों का पानी तक सुखा दिया
पर हो सके तो माफ़ करना ये हमवतनो
सच्चाई बयाँ करतेकरते भावनाओं मेंआकर गर दिल तुम्हारा दुखा दिया
वक़्त अभी भी है संभल जाओ ये आग का खेल बुरा है सबके लिए
वर्ना जंगल तो जलकर ही पनपा है कभी बदलाव तो कभी हक के लिए
हो सके तो कभी सोचना कि आखिर ये माहौल बना ही क्यूँ ???
हमने आतंकी पाले, जेलो मे परसी विरयानी
हर सैनिक कि विधवा रोई, आखों मे आया पानी
बीस खून करके भी वे सब छमादान पा जाते हैं
और शहीदों कि कुरवानी पर बादल छा जाते हैं!
उठो नया कानून मांग लो संसद कि दिवारो से
हत्यारो को छमादान अव नही मिले दरबारो से
इन को सीधा फाँसी टांगे वीर शहीदोंकि माएँ
या सिने पर गोलि मारे बस सैनिक कि विधवाये

Thursday, December 8, 2011

“मेरी अस्थियाँ पवित्र सिन्धु नदी में ही उस दिन प्रवाहित करना जबसिन्धु नदी एक स्वतन्त्र नदी केरूप में भारत के झंडे तले बहने लगे, भले ही इसमें कितने भी वर्ष लग जायें, कितनी ही पीढ़ियाँ जन्म लें, लेकिन तब तक मेरी अस्थियाँ विसर्जित न करना…”। नाथूराम गोड़से और नारायण आपटे के अन्तिम संस्कार के बाद उनकी राख उनके परिवार वालों को नहीं सौंपी गई थी। जेल अधिकारियों ने अस्थियों और राख से भरा मटका रेल्वे पुल के उपर से घग्गर नदी में फ़ेंक दिया था। दोपहर बाद में उन्हीं जेल कर्मचारियों में से किसी ने बाजार में जाकर यह बात एक दुकानदार को बताई, उस दुकानदार ने तत्काल यह खबर एक स्थानीय हिन्दू महासभा कार्यकर्ता इन्द्रसेन शर्मा तक पहुँचाई। इन्द्रसेन उस वक्त “द ट्रिब्यून” के कर्मचारी भी थे। शर्मा ने तत्काल दो महासभाईयों कोसाथ लिया और दुकानदार द्वारा बताई जगह पर पहुँचे। उन दिनोंनदी में उस जगह सिर्फ़ छ्ह इंच गहरा ही पानी था, उन्होंने वह मटकावहाँ से सुरक्षितनिकालकर स्थानीय कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर ओमप्रकाश कोहल कोसौंप दिया, जिन्होंने आगे उसे डॉ एलवी परांजपे को नाशिकले जाकर सुपुर्द किया। उसके पश्चात वह अस्थि-कलश 1965 में नाथूराम गोड़से केछोटे भाई गोपाल गोड़से तक पहुँचा दिया गया, जब वे जेल से रिहा हुए। फ़िलहाल यह कलश पूना में उनके निवास पर उनकी अन्तिम इच्छा के मुताबिक सुरक्षित रखा हुआहै।

Wednesday, December 7, 2011

1757 - पलासी की लड़ाई (?) . मीरजाफर ने 28000 भारतीय सैनिकों को ईस्ट इंडिया कंपनी के 300 सैनिकों के सामनेआत्मसमर्पण करने का आदेश दिया. जब 300 अँगरेज़ सैनिक 28000 हतप्रभ भारतीयों को बंदीबना कर ले जा रहे थे, तो लाखो लोग सडकों के दोनों और खड़े तालियाँ बजा रहे थे और तमाशा देख रहे थे.
-As quoted by Dr. Rajiv Dixit from the autobiography of Robert Clive.
आज फिर जब वालमार्ट देश मेंकिराने की दुकानेखोलने आ रहा है और हमें कोई फर्क नहीं पड़ता तो मुझे याद आ रहा है की सड़क के किनारे खड़े वो लाखों तमाशबीन सचमुच हमारे पूर्वज थे....
अमेरिका में वालमार्ट की शुरुआत के दस वर्ष के अन्दर ही आयोवा (IOWA) प्रान्त के 555 किराना दुकानें, 298 हार्डवेयर दुकानें, 290 बिल्डिंग मटेरियल दुकानें,161 जनरल स्टोर, 158 महिला प्रसाधन स्टोर, 150 जूता दुकानें एवं 110 मेडिकल स्टोर बन्द हो गये…। (Source: Iowa State University Study)

Monday, December 5, 2011

ऊधम सिंह के अन्तिम शब्द थे -
“मैं परवाह नहीं करता, मर जाना कोई बुरी बात नहीं है। क्या फायदा है यदि मौत का इंतजार करते हुए हम बूढ़े हो जाएँ? ऐसा करना कोई अच्छी बात नहीं है। यदि हम मरना चाहते हैं तो युवावस्था में मरें। यही अच्छा है और यही मैं कर रहा हूँ।
“मैं अपने देश के लिए मर रहा हूँ।”

Sunday, December 4, 2011

किसे पुकारें?
जितने फन
उतनी फुफकारें,
इस संकट में किसे पुकारें?
सभी
यहाँ हैं जहर उगलते,
बात-बात में रोज़ उबलते,
जितने सर उतनी तलवारें,
इस संकट में किसे पुकारें?
कौन
यहाँ है खेवनहारा,
कौन लगाए हमें किनारा,
टूट गई सबकी पतवारें,
इस संकट में किसे पुकारें?
सभी
खून में सने हुए हैं,
बिना वजह ही तने हुए हैं,
गूँज रही सबकी ललकारें,
इस संकट में किसे पुकारें?
- मधुसूदन साहा

Wednesday, November 30, 2011

एटम बम बनाकर तुम किस्मत पर फूल गए !
65-71 और 99 के युद्धों को शायद तुम भूल गए !!
पाकिस्तान. ., तू चिंता मत कर, इस बार तुम्हारे चेहरे का खोल बदल देंगे !
इतिहास की क्या हस्ती है, पूरा भूगोल तक बदल देंगे !!
रावलपिंडी से कराची तक सब कुछ Bharat हो जायेगा !
सिंधु नदी के आर पार पूरा भारत हो जायेगा !!
धारा हर मोड़ बदल कर लाहौर से गुजरेगी गंगा !
इस्लामाबाद की धरती पर लहराएगा भारत का झंडा !!
फिर सदियों सदियों तक जिन्नाजैसा शैतान नहीं होगा !
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !!!
जय महाकाल.... !!!

Tuesday, November 29, 2011

आज वालमार्ट पुरेविश्व मे जो भी सामान बेचती है उसमे से ९९% चीजे चीन मे ही बनती है.. चीन सरकार ने कई हज़ार कारखाने सिर्फ वालमार्ट को सप्लाई देने केलिए ही लगाये है ..
इसलिए चीन के उपर कोई फर्क नहीं पड़ता ..फिर भी चीन ने अपने छोटे छोटेदुकानद ारों के हित के लिए अपने यहाँ वालमार्ट के कई स्टोर्स बंद करवादिए ..
# छोटे दुकानदारों को खतरा क्यों है ?
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चूँकि वालमार्ट चीन से बहुत बड़े पैमाने पर चीजे बनवाती है और फिर उसे सीधे अपने स्टोर के द्वारा बेचती है ...इसलिए ये पहले खूब सस्तेदरों पर सामान बेचकर वहा के सभी छोटे व्यापारियो और छोटे स्थानीय स्टोर को बर्बाद कर देती है ..फिर मनमाने ढंग से जनता को लूटना शुरू कर देती है .. यहाँ तक कि अमेरिका के सबसे बड़े दोस्त ब्रिटेन मे भी वालमार्ट को १००%की मंजूरी नहीं मिली है ..वहा भी वाल्मेर्ट को किसी भी ब्रिटिश कम्पनी को अपना पार्टनर बनाना पड़ता है ..

Monday, November 28, 2011

भारत और इंग्लैंडमें सूर्य के प्रकाश के पुहंचने
का कोण, तीव्रता और समय अलग-अलग है।
भारत में साढ़े दस महीने सूर्य
की रोशनी मिलती है, इंग्लैंड में साढ़े दस
महीने सूर्य छिपारहता है। इससे
काफी अंतर आ जाएगा। यहां आक्सीकरण
की प्रक्रिया तेजहोगी, इंग्लैंड में नहीं।
यहां बहता पानी पीने लायक होता है,
वहां नहीं होगा। भारत की गाय का दूध
पीलापन लिए हुए होगा। भारत में गेंहू तीन
महीने में पकेगा, इंग्लैंड में सातमहीने लगेंगे।
इसलिए वहां का जीवन कृषि पर आधारित
नहीं होगा। इन्हीं कारणों सेभारत में
दुनिया की केवल दो प्रतिशत भूमि है
लेकिन जैव विविधता दुनिया का तेरह
प्रतिशत भारत मेंहोता है।
(इतिहास का सच और भविष्य की चुनौतीहै
अखंड भारत - गोविन्दाचा र्य)
इस शीर्षक से लिया गया हैं.

Wednesday, November 16, 2011

Angreji sheekho ladki patao.

Aaj is tarah k sanskar dene wale kafi sari sansthein hamare desh me khul chuki hain. Jo hamari sanskriti ki jado ko khokhla kr rhe h.

Tuesday, November 8, 2011

क्या हम अनशन करके अपना हक़ हासिल कर सकते है?क्या भगवन राम चन्द्र ने सीता को रावन से छुड़ाने के लिए anshan किया था? क्या पांडवो ने अनसन करके कौरवो से अपना हक़ हासिल किया था? क्या कृष्ण ने अपने माता-पिता को अनसन करके छुड़ाया था? क्या चन्द्र गुप्त ने अनसन के बल पर अखंड भारत बनाया था? क्या भगत सिंह-चन्द् र शेखर-सुभास बोस-पटेल ने अनसन करके देश आज़ाद कराया था?

Monday, November 7, 2011

जब कोयल की डोली गिद्धों के घर में आ जाती है
तो बगुला भगतों की टोली हंसों को खा जाती है
जब-जब भी जयचंदों का अभिनन्दन होनेलगता है
तब-तब साँपों के बंधन में चन्दन रोने लगता है
जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते हैं
तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते हैं
सिंहों को 'म्याऊं' कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है
बिल्ली में क्या ताकत होती कायरतादिल्ली में है
Dr Hariom Panwar..

Saturday, November 5, 2011

Akela Chana: मेरा क्या है ...सब आपका है .......आपके लिए है .......

Akela Chana: मेरा क्या है ...सब आपका है .......आपके लिए है .......: पिछले दिनों खबर आयी कि मुकेश भाई अम्बानी अपने 5000 करोड़ के घर में शिफ्ट नहीं हो रहे ......कुछ वास्त...
कितने ही गुरुकुलआज बाबा के अनुदान और मदद से चल रहे हैं....लाखों योग कक्षाएं पूरे देशमें .....आज बाबा ने योग को घर घर पहुंचा दिया है.........प रन्तु सारी संपत्ति ट्रस्ट की है जिसमे बाबा के अलावा उनके परिवार का एक भी सदस्य नहीं है......उनके परिवार काएक भी कोई बैंक खाता नहीं है........उन के एक भाई वही हरिद्वार मेंकाम देखते हैं और वेतन पाते हैं.......एक बड़े भाई गाँव में खेती करते हैं ........सु नते हैं की पुट्टपर्ति में साईं बाबा के निजी कक्ष से 7 करोड़ रुपया और 35 किलो सोना मिला था ......बाबा के निजी कक्ष में गया हूँ मैं.......वहा ँ 7 रु नहीं मिलेंगे ......चटाई बिछा के सोते हैं...जमीन पे .....NON AC रूम में ........ दो जोड़ी कपडे है.....खुद धोते हैं.......... उबली हुई सब्जी और एक गिलास दूध ....यही भोजन है

Wednesday, November 2, 2011

मेरे ख्याल से जो प्रिंट मीडिया मेहैं उनका बौद्धिकस्तर सही है, लेकिन जो इलेक्ट्रोन िक मीडिया मे हैं, वो हमे बुद्धि मे आम आदमी से ज़्यादा कंगाल लगते हैं. मिसाल के तौर पर इनकी न्यूज़ क्या होती है? कोई भविष्य बता रहा होता है, तो कोई 2012 मे दुनिया खत्म कर देता है, तो कोई ये बताता है कि धोनी किस सैलून मे बाल कटवाता है और अगर किसी को शक हो तो वो एक पूरा दिन देश का तथा कथित सर्व श्रेष्ठ न्यूज़ चैनल देख ले."

Monday, October 31, 2011

मूर्ती पूजा से हानिया

मूर्ती पूजा से हानिया
१-; सन ७१२ में भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम ने किया . तब राज्य केमुख्य मंदिर का पुजारी कासिम से मिल गया . मंदिर काझंडा झुका दिया और राजा से कह दिया की झंडा झुकने का अर्थ है की देवी नाराज हो गई है और हमें कासिम से संधि कर लेनी चाहिए राजा भोला भाला था और मूर्ती पर पूरा विश्वास करता था राजा को संधि के बहाने पुजारी बहार ले आया और राज्य पर कासिम का कब्ज़ा करवा दिया आज की कीमत में लगभग साठ अरब की लूट थी
२-; सन १०२४ में महमूद गजनवी ने सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया . पुजरिओं ने राजा को लड़ने नहीं दिया कह दिया की mahaadev सबको भस्म कर देंगे . महमूद का सोमनाथ पर कब्ज़ा हो गया लाखों हिन्दू क़त्ल किए गए माता बहनों की बेइज्जती हुई खरबों की लूट हुई .
३-; मूर्ती को खुश करने के लिए बलि के रूप में nirpraadh लाखों पशुओं की निर्मम हत्या की जाती है. केरल में मंदिर पर गरीब आदिवासी अपनी लड़किओं जो दस से बीस साल की होती हैं devdaasi के रूप में छोड़ जाते हैं unke साठ पण्डे व पुजारी गलत काम करते हैं यहाँ तक की वेश्याओं को बेच देते हैं . यदिमूर्ती कुछ करती तो उसके देखते देखते यह अनर्थ कैसे हो जाता है मूर्ती पूजक उसकेcharitra की पूजा नहीं करते केवल मूर्ती की पूजा ही कर लेते हैं

Loh-Purush

आज हमारे लौह पुरुष सरदार पटेलजी का जन्मदिवस है..आज न मीडिया चर्चा करेगी सिर्फ कुछ फूल चढ़ा दिए जायेंगे..!
परन्तु कश्मीर सेले कर कन्याकुमार ी को एक करने वाले इस देवता सामान पुरुष को हम देशभक्त कभी नहींभूलेंगे..! !
गर्व से कहो हम हिन्दुस्ता नी हैं..!!
जय हिंद जय भारत !!

Sunday, October 30, 2011

जब भी किसी बड़े केस की सुनवाई हो रही होती है तोह हमारे देश में केवल दो ही बातें सामने आती है,"फैश्ले को अभी सुरक्षित रखा गयाहै" और दूसरा"सुनवाई फन्ना तारिक तक के लिए टाल दी गई है"!
क्या कभी ऐसा गिसा पिटा फैश्लाकरने वाले जज की सेलरी (वेतन) सुरक्षित रखा गया???
क्या माह के आखिर में आने वाली उसकी सेलरी को टाला गया है? नहींना!!!! तोह इनको सुनवाई टालने का हक़ किसने दिया??
जिस देश में पहले से ३० लाख केस पेंडिंग और ५ लाख केस री-ओपन की बातचल रहे हो उस देश में एक फैश्ला लेने में इतनी देरी क्यों लगती है!
मुझे कोई हमदर्दीनहीं राजीव गांधीके हत्या के आरोपी को क्या सज़ा मिलती है और क्या नहीं, लेकिन एक फैश्ला करने में हमारे कोर्ट को १८-१९ साल लग गए?
बच्चा भी ९ महीने में पैदा हो जाता है, लेकिन हमारी न्यायपालिक ा तोह बच्चे के बच्चे को बुढा कर देती है!
-akhilesh sharma

Saturday, October 29, 2011

विरोध के बहुत से तरीके होते है! केवल अन्ना हजारेकी तरह मंच पे आके भूखे लेट जाना और अपने आस पास लोगो को जमा कर देना ही काफी नहीं होता!
आप बिना हथियार उठाये सरकार की कमर तोर्ड सकते है!
आप फिल्मो का विरोध करना शुरू कर दीजिये! जो टैक्स सरकार को जाता है "मनोरंजन कर" के नाम पर वोह जाना बंद हो जाएगा! इससे फ़िल्मी जगत की बड़ी हस्तियों कासरकार पर दवाब बढेगा की जनता की सही मांगो को मानो!
विदेशी कंपनी का विरोध कीजिये, उनके उत्पाद को कितनी भी सस्ती कीमत पर ना ले! इससे विदेशी कंपनी से मिलने वाले फंड बंद हो जायेंगे! आज की तारीख में हम विश्व पटल पर सबसे बड़े बाज़ार है जिसपे दुनिया भर के सभी विकशित देशो की नज़र है!
चुनाव आयोग को और राष्ट्रपति को ख़त लिखना शुरू कर दीजिये की जितनी भी राजनितिक पार्टी है उसे जल्द से जल्द भंग करे, और नई नई राजनितिक पार्टियों की स्थापना करे! और ध्यान रहे की इन सभी नई राजनितिक पार्टी में कोई भी पुरानी राजनितिक पार्टी का नहीं होना चाहिए और ना कोई उससे सम्बंधित!
क्रिकेट को देखनाऔर वहा जाके देखना पूरी तरह से बंद कर दीजिये, भले ही आपके न्यूज़ चैनल उनकोलेके कितना भी उत्साहित होके दिखाए!
सरकार ने आरक्षण के झासे में सभी देश को बाट रखा है!सभी को आगे आके उसका विरोध करना चाहिए! ऐसा करने से सरकार के पास सिमित वोट बेंक खतम हो जाएगा और वोह पुरे देश के लिए काम करेगी!
जनता के पास बहुत से तरीके होते है अपनी ही सरकार को पंगु बना देने का! क्युकी सरकार देशकी जनता से है, जनता देश की सरकार से नहीं!

Thursday, October 27, 2011

पूजे न शहीद गए तो फिर....!

पूजे न शहीद गए तो फिर, यह पंथ कौन अपनाएगा ?
तोपों के मुँह से कौन अकड़ अपनी छातियाँ अड़ाएगा??
चूमेगा फन्दे कौन, गोलियाँ कौन वक्ष पर खाएगा ???
अपने हाथों अपने मस्तक फिर आगे कौन बढ़ाएगा ????
पूजे न शहीद गए तो फिर आजादी कौन बचाएगा ?????
फिर कौन मौत की छाया में जीवन के रास रचाएगा ??????
पूजे न शहीद गए तो फिर यह बीज कहाँ से आएगा ???????
धरती को माँ कह कर,मिट्टी माथे से कौन लगाएगा ???????

Aaj k vigyapan Hume kya sikhate hain..?

हमारे विज्ञापन क्या सिखाते
हैं....... ..?????
हम किसी ब्राडं की बनियान पहिनतेहैं
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं की चड्डी पहिनते हैं
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं के जूते पहिने
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं का जेल बालों में लगायें
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं का सूट पहिने
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं की ब्लेड से शेव बनायें
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं की कार चलायें
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं का चश्मा पहिने
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी ब्राडं की काफी पियें
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी खास ब्राडं का मोबाइलरखें
तो लड़की सेट होती है !
हम किसी खास ब्राडं का परफयूम/
डिओडोरेंट लगायें तो लड़की सेट होती है !
हम किसी खास ब्राडं की सिगरेटपिये
तो भी वही बात लड़की सेट होती है!
हम किसी खास ब्राडं की शराब पियें
तो वही बात लड़की सेट होती है!
हम किसी खास ब्राडं टूथपेस्ट से ब्रश
करते हैं तो भी लड़की सेट होती है !
लगभग* हम हर अपना कार्य सिर्फ
लड़की को सेट करने के लिये करते हैं और अब
तो हद ही हो गई.......! !!!
“दो प्राथमिक क़क्षा के छात्र बाइक में
प्रतिस्पर् धा करते हैं और एक
अपनी हमउम्र लड़की को सेट कर बाइक
पर बैठा कर ले जाता है”
हम क्या यह कभी पाते हैं कि एक लड़के ने
कोई भी इस तरह का काम
किया तो किसी लड़की ने उसे भाई
बनाया या किसी लड़के ने
किसी लड़की को मां, बहिन,
मौसी या किसी भी अन्य इस तरह के
किसी पाक रिश्ते में पाया !
हर वक्त हर समय हम लड़की को एक
ही नज़र से देखते हैं और वो है सिर्फ भोग
की द्र्ष्टी !
और यही बात हर उस विज्ञापन में
होती है जिसमें कोई लड़की कुछ
भी करती है तो उससे लड़्का सेट होता है,
और यही फिल्मों में भी होता है और
हीरो की बहिन अक्सर बलात्कार करने के
काम आती है!
क्या हमारी सोच, हमारा हर एक्ट सिर्फ
इसलिये है कि हम एक दूसरे को भोग
की दृ्ष्टि से देखें ! हमारी इस विकृत
मानसिकता से हम कब बाहर
आयेंगें... .????
"खामोशी से रहना वर्दाश्त नहीं मुझे
मरूंगा तो भी सन्नाटा तोड़ जाऊंगा ,
शीशा हूँ टूटूंगातो बिखरूंगा
जीता हूँ हनक के साथ,
टूटूंगा खनक के साथ
खनक के साथ खामियाजा छोड़ जाऊंगा." ---- राजीव चतुर्वेदी

Monday, October 24, 2011

Jai Hind..... Kuch saaal pehle sarso ke tel ke baare mai bahut halla kiya in MNC ne... aur dropsy ka ki aaad mai govt. ne bhi der nahi ki... Kaannon bana diya ki khula tel nahi bikaga... (jabki khula tel bechne mai kahi jyada aatimya samabh hota hai kharidaar aur bechnewale ka).. govt. ne MNC companies ke tel ke sample nahi liye.. AAAJ dekho Mere aur apke ghar mai refined ki dhoom hai......
abhi abhi ek article padha..... mithai mai milawat ka shor.... haa kuchch had tak yeh sahi hoga aur hai.. per kya saaari dukano mai milawat hi bik rahi hai....... . aur ussi prograaam kee beech beech mai CADBURY ka add..... ab batao.. kahi yeh bhi koi saazish na ho..... hamaare chhote chote halwaio ke khilaaaf.. .. 50 (add) * 2800=1,40,000 per day aur add dekha min. 5 corore logo ne... agar kharida min. 2Coroe* company price... Socho friends... .. profit.. akhir yeg. govt un logo ke khilaaf koi strict action aur jaanch kyo nahi karti... jaldi mai kaaanon bana degi ki deshi saaaman band...... socho friends... ... SWadeshi APNao
एक भारतीय Vivek Agnihotri जी के शब्दोँ मेँ---)-
दीपावली की फ़ुटकरखरीदारी करने बाज़ार गया था। दीपक, हार-फ़ूल, खील-बताशे इत्यादि छोटा-मोटा सामान खरीदा… लेकिन कहीं भी मोलतोल करने की जरा भी इच्छा नहीं हुई। जिसने जितने भाव बताए वह देकर चला आया। कोशिश सिर्फ़इतनी की, कि अधिकतर सामान फ़ुटपाथ पर बैठे छोटे-छोटे बच्चोंसे खरीदा।बात यह है कि जब हम टाटा, बिरला, अंबानियोंके बनाए हुए प्रोडक्ट बिना मोलतोल के खरीद लेते हैं, बड़े होटलों में खाने का जो बिल बनता है हँसते हुए दे डालते हैं, अवैध पार्किंग में गुण्डों को बाइक पार्क करने के 5-10रुपये (कार के 20-30रुपए) बिना चूं-चपड़किय े दे देते हैं… तो फ़िर फ़ुटपाथपर दिन भर धूप में बैठे बच्चों से छोटी-छोटी वस्तुओं पर मोल तोल करना एक प्रकार की अमानवीयता है।सोचिये यदि कोई बच्चा या गरीब औरत दिन भर धूप में मेहनत करके, ट्रेफ़िक-सि पाही की झिड़कियाँखाते, शराबी बाप की गालियाँ खाते हुए मिट्टी के 500-800 दीपक या 1500-2000 रुपये के हार-फ़ूल बेच भी लेते है, तो वह हमसे कितना कमा लेंगे? निश्चित रूप से उतना तो नहीं, जितना एक बार मोबाइल रीचार्ज करवाने पर सुनील भारती मित्तल हमसे कमाता होगा… तब इन लोगों से क्यों इतना मोलभाव करना? आप भी ऐसा कर के देखिये मन को अच्छा लगेगा..... !!!


सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाये ँ
माँ लक्ष्मी की कृपा सब पर बनी रहे

दुनिया में सबसे ज्यादा पठाखे इसाइयों के नए साल पर छूटते है ...

दुनिया में सबसे ज्यादा पठाखे इसाइयों के नए साल पर छूटते है ...
सबसे ज्यादा शराब३१ दिसंबर की रात उंडेली जाती है ...
सबसे ज्यादा जुआ ३१ दिसंबर की रात को खेला जाता है ...
सबसे ज्यादा बेहूदा मजाके 1 अप्रेल को की जाती है...
फिर भी हमेशा होली दीपावली को ही इन सबकी चर्चा मिडिया में छा जाती है....
यह है एस देश का इसाई चर्चो द्वारा पोषित मिडिया...

Sunday, October 23, 2011

शहीद अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान

शहीद अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान के जीवन की कुछ प्रेरणादायक घटनाये
एक बार शहीद अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान किसी कारन से बेहोश हो गए तो बेहोशी की हालत में राम राम पुकारने लगे. उनके घर वाले अचरज में आकार सोचने लगे की एक मुस्लमान होते हुए भी वे राम राम क्यूँ पुकार रहे हैं. पास खड़ा एक मित्र इस रहस्य को समझ गया और राम प्रसाद बिस्मिल जी को बुला लाया जिनके आने से अशफ़ाक़ुल्ला जी शांत हो गए. ऐसे थीदोनों की मित्रताजो मत मतान्तर के आपसी भेदभाव से कहीं ऊपर उठ कर थी.
एक बार कानपूर आर्यसमाज में बिस्मिल जी और अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान जी कुछ मंत्रणा कर रहे थे की कुछ मुस्लिम दंगाइयों ने वहांहमला कर दिया. अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान जी ने अपनी पिस्तोल निकल कर उनकी तरफ करके चेतावनी देकर कहाकी रूक जाओ यह आर्यसमाज मेरा घरहैं अगर इसकी एक ईट को भी नुकसान पंहुचा तो आज तुम में से कोई जिन्दा नहीं बचेगा.दंगाई डर कर वापिस भाग गए.
जब जेल में अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान और बिस्मिल जी बंद थे तो एक मुस्लिम थानेदार ने अशफ़ाक़ुल्ला जी को इस्लाम की दुहाई देते हुए कहाँ की तुम एक मुस्लमान होते हुए भी हिन्दुओं का साथ दे रहे हो तो अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान जी ने कहाँ की मेरे लिए एक हिन्दू राष्ट्र अंग्रेजी हुकूमत से कहीं ज्यादा अच्छी हैं.वह मुस्लिम थानेदार मायूस होकर चला गया पर इस्लाम की दुहाई देकर उन्हें सरकारी गवाह नहीं बना सका.
धन्य हैं वह माँ जिनकी कोख से अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान जैसे शहीद पैदा हुए जिनके लिए मत से ऊपर उनका देश था. आज केमुसलमानों के लिएअशफ़ाक़ुल्ला ख़ान सबसे आदरणीयएवं अनुसरणीय मुसलमान हैं क्यूंकि उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद करवाने में अपनी शक्ति लगाई नाकि पाकिस्तान को बनाने में.
अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान की शायरी उनके सच्चे मुस्लमान होने कासबूत हैं जिसमे उनकी इच्छा जन्नतकी नहीं अपितु बार बार जन्म लेकर इस देश की सेवा करने की हैं.
“जाऊँगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जायेगा, जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा?
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं “फिरआऊँगा,फिर आऊँगा,फिर आकर के ऐ भारत माँ तुझको आज़ाद कराऊँगा”.
जी करता है मैं भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ,मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बातनहीं कर पाता हूँ;
हाँ खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूँगा, और जन्नत के बदले उससे यक पुनर्जन्म ही माँगूंगा.”

Monday, October 17, 2011

Scam ki A B C D..

Nursery Rhyme our children will learn..... .......... ..
A - Adarsh Scam
B - Bofors Scam
...
C - CWG Scam
D - Devas-Antr ix Scam
E - Employment Guarantee Scheme (EGS) Scam
F - Fodder Scam
G - Ghaziabad Provident Fundscam
H - Harshad Mehta Stock Market Scam
I - IPL Scam
J - Junior Basic Trained teachers’ recruitmen t scam
K - Ketan Parekh Stock Market Scam
L - LIC Housing Scam
M - Madhu Koda mining scam
N - Non-Bankin g Financial Companies (NBFC) Scam
O - Oriental Bank Scam
P - Punjab State Council of Education Research and Training (SCERT) Scam
Q - Quest for Gold Scam
R - Ration Card Scam
S - Satyam Scam
T - Telgi Scam
U - UTI Scam
V - Volkswagon Equity Scam
W - West Bengal Telecom Scam
X, Y, Z
protest and be dead,

Sunday, October 16, 2011

एक बार वाहन उल्लू लक्ष्मी जीसे रूठ गया ...
बोला, "आपकी सब पूजा करते है , पर मेरी कोई नहीं करता?"
लक्ष्मी जी उवाच"गुस्सा छोड़.. अबसे हर साल मेरी पूजा (दिवाली) के ग्यारह दिन पहले.. एक दिन कए लिए केवल उल्लुओ की ही पूजा की जाएगी...."
तभी से इस दिन को करवा चौथ के रूप में मनाया जाने लगा.…

Hindustan uniliver

हिंदुस्तान लीवर या युनिलीवर के उत्पाद :
:::::::::Food Brands::::::
- 3 Roses - Annapurna - Brooke Bond Taaza - Bru - Kissan - Knorr
- Kwality Wall’s - Lipton - Modern Bread - Red Label - Taj Mahal
:::::::::person al care brands:::::::::
- Aviance - Axe - Breeze - Clear - Clinic Plus - Closeup - Dove
- Fair & Lovely - Hamam - LEVER Ayush Therapy - Lakme
- Lifebuoy - Liril 2000 - Lux - Pears - Pepsodent - Pond's
- Rexona Soap - Sunsilk - Vaseline
:::::::::Home Care Brands:::::::::
- Active Wheel - Cif - Comfort - Domex - Rin - Sunlight - Surf Excel - Vim
अधिक जानकारी या सूची डाउन्लोड करने के लिए देखें
http://swadeshi .shreshthbharat .in/

Saturday, October 15, 2011

कैसे कह दू आज़ाद हु मै

कैसे कह दू आज़ाद हु मै
बार -बार ये ख्यालआता है
किसान भूखा सोता है
मजदूर का बेटा रोता है
2 वक़्त की रोटी नहीं मिलती
लाखो टन अनाज यहाँ सड़ता है
वो AC मै बैठकर महंगाई बढ़ाते है
कड़ी मेहनत कर के जब सर्दी मै भी इंसान पसीना पोछता है
वो मिनरल water को दारू मै मिलकर पीते है
2 बूंद पानी के लिए लोग आसमान मै बदल को तरसते है
कैसे कह दू आज़ाद हु मै
बार -बार ये ख्यालआता है ....
मौत आसान लगती है किसान को
ज़िन्दगी यहाँ जीने से
और पढ़ा लिखा आदमी यहाँ
नक्सलवादी बन जाता है
कहते है वो हमको CBI की जाँच होगी
मासूम बच्चो को जब
निठारी कांड खा जाता है
ज़िन्दगी की उनकीनजरो मै
जब कोई कीमत ही नहीं
कैसे कह दू आज़ाद खुद को
जब आज़ादी दिखती नहीं
कल रात चैन की नींद सोये कई लोग,
भले कुछ लोग हमेशा के लिए सो गए,
आज़ादी के बाद हम सबको ,
शायद आदत हो गयी है सोने की!
कल रात पानी बहा कुछ लोगो का,
कुछ लोग फिर छलनी हो गए ,
पानी ही बहता है हर शरीर से अब,
क्योकि खून शायद पानी हो गया हम सब का !
कल रात फिर नेताजी आये,
कहने तीन ही ब्लास्ट हुए ,
चैन की नींद सो जा...

Friday, October 14, 2011

Thursday, October 13, 2011

जाने किस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा.

हमको पता ना था सूरज बचकानी भाषा बोलेगा,
जाने किस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा.
अभी तलक तो सिंहासन को गूंगा-बहरा देखा है
भारत माँ के चहरे पर आंसू को ठहरा देखा है
अभी तलक तो सन 47 को ए के 47 से डरते देखा है,
अभी तलक संविधान को नेता के घर पालिश करते देखा है,
अभी तलक तो खुद्दारी को गद्दारी का पानी भरते देखा है,
अभी तलक तो शेरो को कुत्तो मे घिर कर जान बचाते देखा है,
जाने किस दिन इस देश का पौरुष खौलेगा,
जाने किस दिन जनमानस तूफानी भाषा बोलेगा
अभी तलक तो चोले ने चोली की भाषा बोली है
जाने किस दिन युग का युवा वर्ग मर्दानी भाषा बोलेगा
अभी तलक मुस्कानों ने रोने की भाषा बोली है
अभी तलक तो डोली ने अर्थी की भाषा बोली है
जिस दिन बाहें भीमबली की, दुस्साशन को खीचेंगी
जिस दिन कोई पांचाली दुस्साशन को पीटेगी,
जिस दिन जनता विषबेलो को तेज़ाबो से सींचेगी,
जिस दिन जनता भ्रष्टाचार ी को संसद से खीचेगी,
जिस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा
उस दिन जयचंदों का गिरोह जान बचा के भागेगा
उस दिन भारत माँ का मस्तक चमकेगा
जिस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा !

रामप्रसाद बिस्मिल का अंतिमपत्र

रामप्रसाद बिस्मिल का अंतिमपत्र
शहीद होने से एक दिन पूर्व रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने एक मित्र को निम्न पत्र लिखा -
"19 तारीख को जो कुछ होगा मैं उसके लिए सहर्ष तैयार हूँ।
आत्मा अमर है जो मनुष्य की तरह वस्त्र धारण कियाकरती है।"
यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्रो बार भी।
तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।।
हे ईश! भारतवर्ष में, शतवार मेरा जन्म हो।
कारण सदा ही मृत्यु का, देशीय कारक कर्म हो।।
मरते हैं बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से।
होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रूधिर की धार से।।
उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का।
तब नाश होगा सर्वदा, दुख शोक के लव लेश का।।
सब से मेरा नमस्कार कहिए,
तुम्हारा
बिस्मिल"

Tuesday, October 11, 2011

कैसे कम हो सकते हैं पेट्रोलके दाम!

पेट्रोल की राजनीति और जनता पर महँगाई की मार से केवल देश ही नही विदेश में रहने वाले भारतीयभी कम से कम कांग्रेस सरकार से नाराज़ हैं और मनमोहन सिंह की कार्य कुशलता पर शक करने लगे हैं. सिर्फ़ कहने को मनमोहन जी एक कुशल अर्थ शास्त्री हैं मगरदेश ने आज तक बस उनकी आर्थिक ग़लतियाँ ही देखीहैं. अब पेट्रोल और दूसरे पेत्रोलिउम पदार्थों को ही ले लें जिसको भारत में कम से कम सारी महँगाई की जड़ माना जाता है, उस पर हीं इनका अर्थ शस्त्रा ढीला हो रहा है. इनको समझ ही नही आता की करें तो क्या करे. भारत मे जो पेट्रोल का दाम है वो तो अंतरराष्ट् रीय बाज़ार के दाम से दो गुना है फिर भी तेल कंपनी के घाटे के नाम पर जनता की जेब में हाथ दल कर उसका रोटी पानी बंद करवाने की सरकार की मनमानी को कब तक बर्दाश्त कर सकते. मनमोहन सिंह एक अर्थ में बड़े कुशल अर्थ शास्त्री बन गये जो इनके राज में कम से कम आधा भारत अर्थ शस्त्र तो सीख ही गया और हर कोई तेल और दूसरे पदार्थों के दामों का पूरा हिसाब किताब सीख गया. अब मुझे ही देख लें हम ने कभी अर्थ शस्त्रा ठीकसे पढ़ा नही है मगर आज पेट्रोल की कॅल्क्युले शन करने बैठ गया. आप भी देखें आज की तारीख में कक्चा तेल अंतरराष्ट् रीय बाज़ार में करीब 88 डॉलर पर बॅरल के हिसाब से बिक रहा है और वर्ष की समाप्ति तक एक अनुमान है की ये 100 डॉलर तक जा सकता है. हम 100 डॉलर का हिज़ हिसाब पकड़ लेते हैं. 100 डॉलर मतलब करीब 4800 रुपया और1 बॅरल मतलब करीब 160 लीटर कच्चा तेल. अब हिसाब लगा लें 30 रुपया 1 लीटर मतलब साफ है की बसे दाम होना चाहिए 30 रुपया जो की आज की डटे में 31 रुपया कुछ पैसा है. अब इसमे जोड़ें विदेशों से भारत लाने पर खर्चा करीब 6 रुपया तो हो गया 36रुपया आगे इसमें आप रेफाइनरी का खर्चा जोड़ दें 5 रुपया प्रति लाइटतो हो गया 41 रुपयाअब इसमे एजेंट का कोमिशन 1 रुपया प्रति लीटर तो कुल हो गया 42 रुपया अगर सरकार चाहे तो 42 रुपया प्रति लीटर पर पेट्रोल आम जनता को मिल सकता है मगर ये देश हित में ठीक नही होगा सो देश के खर्चे कहाँ से आएँगे तो आप प्रति लीटर अगर 8 रुपया जोड़ दें सरकार का टॅक्स तो भी 50 रुपया लीटर से अधिक तो नही होना चहिय मगर सरकार ने जो सारे टॅक्सस लगा रखे हैं वो 25-30 रुपया प्रति लीटर हैं और यहीं से पेट्रोल महँगा होजाता है. और आम जन को निचोड़ कर उसका पूरा रस निकल लेता है.
साभार : कवि प्रभात कुमार भारद्वाज (समाज सेवक)

Monday, October 10, 2011

main anna nhi hu chaukanna hu... aur aap???

आठवां फेल अन्ना और उनकी NGO चलाने वाली टीम जो कि विदेशी चंदे से चलती है तथा उनके कुछ समर्थक चाहतें हैं कि कोई दिमाग न लगाये, अपना विवेक टीम अन्ना के पास गिरवी रख दे. क्योंकि अब इस देश के लिए जो सोचना है ,जो करना है वो केवल टीम अन्ना ही सोचेगी और टीम अन्ना ही करेगी. इसलिए देशवासियों अपनी ऑंखें बंद करो और जैसे टीम अन्ना कहे करते जाओ. क्योंकि अब इस देश के ठेकेदार अन्ना हजारे और टीम अन्ना है.

हिन्दू महिलाओं को ज़बरनमुसलमान बनाओ,

हिन्दू महिलाओं को ज़बरनमुसलमान बनाओ, एक ना-पाक मुसलमान का सनसनीखेज़ फतवा लातूर (महाराष्ट्र): ‘पैगाम इस्लाम’ नाम के उत्तर प्रदेश के एक संगठन ने लातूर में जारी एक फतवे में सरे मुसलमानों से यह अपील की है की वह इस्लाम की रक्षा और हिंदुस्तान कोएक मुस्लिम राष्ट्र बनाने केलिए एकजुट हों. उसने यह फतवा सभी मुसलमानों को ‘जिहाद’ भाग लेने के लिए जारी किया है. उनका उद्देश्य एक बार फिर लाल किला पर ‘चान्द तारा ‘ लहराना है. islamsmuhammad हिन्दू महिलाओं को ज़बरन मुसलमानबनाओ, एक ना पाक मुसलमान का सनसनीखेज़ फतवा यह फतवा कहता है कि, “हिंदू लड़कियों को फंसाकर उन्हें मुस्लमान बनाओ, हिन्दुओं की सम्पति को हड़प लो और ज़बरन उनके खेतों और पशुओं पर कब्ज़ा करो.” इस सनसनीखेज फतवेको पूरे शहर में वितरित किया गया. सबसे महत्वपूर्ण बात, वितरकों सख्ती से आदेश दिए गए थे कि, “इस पत्र को किसी भी हिन्दू को नहीं दिया जाना चाहिए.”दैनिक ‘सामना’, Sambhajinagar संस्करण ने यह पत्र प्रकाशित किया है. इसकी सामग्री अत्यधिक आपत्तिजनक और सामाजिक शांति केलिए खतरा है

Sunday, October 9, 2011

EVM- Eectronic voting machine par diye gye pramukh bayan..

Subramania n Swamy :
The Election Commission had not demonstrat ed that EVMs could not be rigged. An independen t expert committee must be appointedto find out how electronic voting machines could be safeguarde d securely. If the Commission wants to continue their use in their present form, it should give aprinted receipt to every voter just as people used to get in automated teller machines after cash withdrawal .
Bal Thackeray :
The electronic voting machines can do any miracle. I am not the only one who says that. An engineer has proved to the Election Commission that the electronic voting machines can alter the results.
Nitin Gadkari :
We are not against EVMs or the use of technology in elections. It had not been proved conclusive ly that the EVMs are tamper-pro of. Hence the present electronic voting system should be modernized by introducin g a voter verifiable paper trail to serve as a back up and to promote transparen cy in the electoral process.
L.K. Advani :
I personally regard it significan t that Germany, technologi cally, one of the most advanced countries of the world, has become so wary of EVMs as to ban their use altogether . We should revert to ballot papers unless the Election Commission is able to ensure that Electronic Voting Machines (EVMs) are foolproof
Dr. J. Jayalalith aa :
In many polling stations in Tamil Nadu, EVMs are not functionin g properly. Even votes polled in favour of the AIADMK are being registered in favour of other candidates . In a democracy, every voter has a right to know whether the vote she/ he hascast has gone to the candidate or party it was meant for. In the absence of such certainty, the entire democratic process will be rendered a mockery.
Sukhbir Singh Badal :
Election Commission of India (ECI) to call an all-party meeting to deliberate on the reliabilit y and non-corrup tibility of EVMs. It was imperative for the Election Commission to either restore faith of people in the voting through the EVMs or revert back to the old process of ballot papers.
The spark of my ideas shall remain
This body: if it stays or dies; so be it!
हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली
ये मुश्त-ए-खा क हैफानी रहे रहे न रहे - JAIL DIARY OF BHAGAT SINGH
फिर से ललकारें उठ जाने दो
एक बार फिर क्राँति हो जाने दो
महाराणा फिर स्वच्छंद घूमेगा
चेतक की टापो से आकाश गूँजेगा
आज़ाद जी भी देश्द्रोहि ओं को ललकारेगे
हम भी आतंकियो को घर मेँ घुसकर मारेगे
गुरु गोविन्द सिहको भी स्वाभिमान सिखाने दो
एक बार फिर कुछ देशद्रोही कट जाने दो
एक बार फिर राम मारेगे रावण को
एक बार कंस को कृष्ण के हाथो कट जाने दो
एक बार फिर ललकारें लगाने दो
वन्दे मातरम

Wednesday, October 5, 2011

दिया कुछ इस तरह से जल गया,
कि पूरे घर में कालिख मल गया |
ढलेगी बाढ़ तो आएँगे नेता,
ये न समझो कि खतरा टल गया |
जिस हसीं दुनिया के खींचे थे नक्से,
हुई मुद्दत वो काग़ज गल गया |
दशहरा देख खुश हैं ये बच्चे,
समझते हैं कि रावण जल गया |

Sanjiv bhatt vs narendra modi

संजीव भट्ट बहुत ही महत्वाकांक ्षी व्यक्ति है .. उन्हें रिटायरमेंट के बाद केन्द्र सरकार मे कोई बड़ी नियुक्ति का लालचकांग्रेस के नेताओ ने दिया..फिर ये पूरा खेल खेला गया ..???????? ?????????? ?? आखिर इसदेश की नीच मीडिया संजीव भट्ट
की पूरी सच्चाई इस देश को क्यों नहीं बताती ?? मित्रों कांग्रेस और विदेशी ताकतों केफेके टुकड़े पर पलने वाली भांड मिडिया आखिर संजीव भट्ट के बारे मे इस देश के सामने सिर्फ आधी सच्चाई ही क्यों दिखा रही है ? असल मे संजीव भट्ट एक"विसिल ब्लोव्वर "नहीं बल्कि कांग्रेस के हाथोखेलने वाले एक"खिलौना " भर है .. जैसे कोई बच्चा किसी खिलौने से सिर्फ कुछ दिन खेलकर उसे कूड़ेदान मे फेक देता है ठीक वही हाल कांग्रेस संजीव भट्ट का भी करने वाली है .. एक बार अमर सिंह से पूछ लो कांग्रेस क्या है ? लेकिन मीडिया जिस तरह से संजीव भट्ट को एक "नायक " दिखा रही है वो एक झूठ है . मै आपको संजीवभट्ट के बारे मे सच बताता हूँ :- १- जब ये जनाब १९९६ मे बनासकाठा के एसपी थे तब इन्होने सिपाही पद की भर्ती मे बड़ा घोटाला किया था . इनके खिलाफ बड़े गंभीर आरोप लगे ..इन्होने भर्ती की पूरी प्रक्रिया को नकार दिया था और ना ही उमीदवारों के रिकार्ड रखे थे . २-ये जनाब २००१ में राजस्तान [पाली]का एक वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित जो अपनी कार से अहमदाबाद आ रहा था उससे चेकिंग के नाम पर पैसे की मांग की थी जब उसने मना किया तो इन्होने उसके कर में ५०० ग्राम हेरोइन बरामद बताकर उसे नार्कोटिक् स की गंभीर धाराओं मेंजेल में डाल दिया.. असल में उस वकील के पास उस वक्त कोई सुबूत नहीं था जिससे पता चले की वो एक वकील है .. बाद में पाली बार एसोसियेसन की अपील पर राजस्थानहाई कोर्ट ने क्राईम ब्रांच सेअपने अंडर जाँच करवाई तो संजीव भट्ट को दोषी पाया गया .. जिसके खिलाफ संजीव भट्टने सुप्रीम कोर्टमें अपील किया जो आज भी चल रहा है.. लेकिन भारत सरकारके मानवाधिकार आगोग ने अपनी जाचं में संजीव भट्ट को दोषी पाते हुए गुजरात सरकार को सुमेर सिंह राजपुरोहित को एक लाख रूपये हर्जाना अदा करकेका हुक्कम
दिया जो गुजरात सरकार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते से अदा किया गया .. ये सारी घटनाये गुजरात दंगे से पहले की है .. ....

Sanjiv bhatt... vs narendra modi

३-अहमदाबाद के पास अडालज में नर्मदा केनाल के करीब २००० वार की सरकारी जमीन पर कब्जा करके बैठे है .. जब ये बात मीडिया में आई तो उन्होंने बताया की उन्होंने सुरम्य सोसाइटी में १००० वार का प्लाट ख़रीदा है जो उनकी माँ के नाम है .. उन्होंनेउस प्लाट की बाउंड्री करवा करउनमे दो कमरे भी बनवा दिए लेकिन जब प्लाट को नापा गया तो वो २००० वार का निकला . असलमें इन्होने केनाल की तरफ सरकारी जमीन को भी अपने कब्ज्जे में ले लिया .. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा की आपने अपने सम्पतिडिक्लेरेशन में इस प्लाट का जिक्र क्यों नहींकिया तो वो चूप हो गए .. और मोदी सरकार पर उलटे ये आरोप लगाने लगे की उनको बदनाम किया जा रहा है .. ४- 1990 में जब संजीव भट्ट जी जाम नगर में
डीएसपी थे तो पुलिस की पिटाई से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई , संजीव भट्ट समेत छ अन्य पुलिस वाले आरोपी बनाए गए | ये केस आज भी जाम खंभालिया कोर्ट मे चल रहा है .. ५- ये जनाब लगातार १० महीने तक डियूटी से अनुपस्थित रहे..और सरकार की किसीभी नोटिस का ठीक से जबाब नहीं दिया ६- इनके उपर एक कांस्टेबल के डी पंथ ने बहुत ही गंभीर आरोप लगायेहै .. इन्होने मोदीके उपर लगाये गए आरोपों को और मजबूत करने के इरादे से पंथ का अपहरण करके गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोधवाडिया के बंगले पर ले गये और फिर वहा पर उससे जबरजस्ती कईफर्जी कागजो पर साइन करवाया . ७- इनके उपर गुजरात के सहायक अटार्नीजनरल का ई मेल हैक करके कई गोपनीय सुचनाये चुराने
का केस दर्ज है..जिसमे आई टी एक्टभी लगाया गया है ८- इन्होने मोदी के उपर जिस मीटिंग मे मुसलमानों के उपरहमलेका आदेश देनेका आरोप लगाया है तत्कालीन डीजीपी श्री के चक्रवर्ती ने कहाकी संजीव भट्ट उस बैठक में शामिल ही नहीं थे जिसका जिक्र संजीव भट्टने एफिडेविट में किया है | ९- आखिर इनके एफिडेविट कोसुप्रीम कोर्ट नेलेने से ही मना क्यों कर दिया ?
मित्रों , अब मै इसदेश की मीडिया जो कांग्रेस के हाथोबिक चुकी है क्या मेरे इन सवालों का जबाब देगी ? १-आखिर मिडिया संजीव भट्ट या उनके पत्नी से ये क्यों नहीं पूछताकि आखिर इन्होने गुजरात दंगे के १० साल के बाद क्यों अचानक अपनाफर्ज याद आया ? २-आखिर ये १० साल तक चूप क्यों थे ??क्या इनका जमीर १० साल के बाद जगा जब रिटायरमेंट केबाद केद्र मे कांग्रेस के द्वारा बड़ा पद मिलने का लालच दिया गया ? ३
करके खर्चा कितना सारा, पुतला सिर्फ जलाते हो
पर अन्दर के रावण पर तुम, काबू ना पापाते हो
जब दौलत की खातिर, अपने भाई को दफनाते हो
मात -पिता के आंसूभी तुम, जब हंसकर पी जाते हो
फिर ये मेला कैसा भैया, कुछ मन में पड़ताल करो
कुछ सीखो भी विजय पर्व से, क्यों हर साल मनाते हो
राम की पूजा करते हो पर, नफरत ही फैलाते हो
कैसे राम मिलेंगेजब तुम, राम को रोज़ लजाते हो

Monday, October 3, 2011

1.राष्ट्र की शक्ति : - हमारे देश भारत में 89 प्रकार की भूसम्पदाएं हैं-लोहा, कोयला, ताम्बा, सोना, चांदी, हीरा, एल्यूमिनिय म आदि धतुएँ तथा गैस व पेट्रोल से लेकर बहुत से मिनरल्स हैं इन सबके ज्ञात भण्डार (रिजर्वस) का यदि आर्थिक मूल्यांकन किया जाए तो यह करीब 10 हजार लाख करोड़ रुपये होते है। इसमें अकेला कोयला ही (केवल ज्ञात भण्डार) 276.81 बिलियन टन हैजिसका मूल्य लगभग950 लाख करोड़ है तथा लोहे के ज्ञात भण्डार लगभग 15.15 बिलियन टन है। ऐसी ही अन्य बहुत सी बेशकीमती चीजें भारत माता के गर्भ में छिपी हैं। यदि हमने इन बेईमान लोगों को नही हटाया तो ये सब देश की सभी सम्पदाओं को लूट लेंगे। भूसम्पदाओं के अतिरिक्त जल, जंगल, जमीन, जड़ी-बूटी व अन्य राष्ट्रीय सम्पदाओं के साथ-साथ बौद्धिक, आर्थिक, चारित्रकि व आध्यात्मिक दृष्टि से भी भारत दुनियाँ का सबसे बलवान व धनवान देश है।

Saturday, October 1, 2011

कपड़ोँ के लिये स्वदेशी और विदेशी ब्राँडोँ की सूची

स्व॰ श्री राजीव दीक्षित जी की याद में
कपड़ोँ के लिये स्वदेशी और विदेशी ब्राँडोँ की सूची
भारतीय-->
Fabric Readymade Cloths –Men / Women
Koutons Charlieout law Les Femme Belmont Skumars Cambridge J-Hampstea d Gokuldas RangManch Akkriti Deer Club DJ&C’
बच्चोँ के लिये
Little Kangaroos Gokuldas Kids Wear Lilliput Kidswear
विदेशी-->W ills Lifstyle Monte Carlo Reebok POLO Peter Englend Van Heusen Adidas Puma Esprit Louis Philippe Allen Solly Planet Fashion Wrangler Nike DenimReadymade Cloths
"स्वदेशी भारत"
स्वदेशी वस्तुओँ का प्रयोग करेँ और भारत को आर्थिक रुप से मजबूत बनायेँ

आना-आना” के लिए दौड़ रहे हैं अन्ना आंदोलन में सेवा करने आए कट्टर “समर्थक” | मीडिया दरबार

दिल्ली के रामलीला मैदान में समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ ‘कन्धे-से-कन्धा’ मिलाकरदिन-रात लड़ने वाले, भोजन-पानी, बिछावन, बिजली, लाउड-स्पीकर, पंखा, एयर-कंडीशंड गाड़ी-सवारी, पान-बीड़ी-सिगरेट और कभी-कभी “मदिरा” की आपूर्ति में लगे भारत के विभिन्न राज्योंके इवेंट मैनेजमेंट संस्थाओं का धैर्य टूट रहा है। अब वे सभी उसीस्वर से दुहरा रहे हैं, “भैया, बहुत हुई गांधीगिरी, अब लाल-लाल कागज पर छपे गाँधी जी के दर्शन करा दो, बहुत नुकसान हो गया है, भरपाई करना है।”
प्राप्त जानकारीके अनुसार दिल्ली के रामलीला मैदान में समाजसेवी अन्ना हजारे और उनके टीम द्वारा भ्रष्टाचार विरोध और जिस जन लोकपाल विधेयक को लाने के लिए लगभग 15 दिनों का आन्दोलन चला था, इस कार्य में “सेवा अर्पित” करने वाले इवेंट मेनेजमेंट संस्थाएं अपनी-अपनी बकाया राशि के तुरंत भुगतान के लिए जोरदार कोशिश कर रहे है। इस कार्य के लिए पूरे देश से बहुत सारी इवेंट मैनेजमेंटकम्पनियां लगी थी।
सूत्रों का कहना है कि कुछ समाजसेवी संस्थाएं, जो अन्ना टीम मेम्बरानों या उनके द्वारा समर्थित या संचालित स्वयंसेवी संस्थाओं की करीबी थीं, उन्हें अधिकांश राशि का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन दुर्भाग्यवश, जो संस्थाएं, दिल्ली के बाहर से आकर, आन्ना के आन्दोलन में सहयोग दिया और इवेंट मैनेजमेंटअधिकारियों के कहने पर काफी राशि सुविधा मुहैय्या कराने में लगा दिए, उन्हें लगातार दौड़ाया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इवेंट कर्मी आरोप लगा रहे हैं कि टीम अन्ना के लोग करोड़ों का चंदा खुद पचा गए हैं औरअब उन्हें धमका रहे हैं।
इन संस्थानों की सबसे बड़ी दुविधा ये है कि इन्हें अनुबंधितकरते वक्त कागजी कार्रवाई न के बराबर हुई थी। उस वक्त तो इन्हें समाजसेवी का चोगा ओढा दिया गया था और अब वे खुल कर अदालत या मीडिया के पास अपनी शिकायत भी नहीं ले जा सकते। सूत्रों का कहना है कि टीम अन्ना इस बात को अच्छी तरह समझती है कि वे खुद-ब-खुद तंग होकर अपने-अपने शहरों में वापस चले जायेगें।
http://www.mediadarbar.com/3486/event-anna/

Wednesday, September 28, 2011

कल २८सितम्बर को भगतसिंह की जयंती है...वीर और महान देशभक्त को भावपूर्ण श्रद्धांजल ि.........इ न शब्दों के साथ...
सदियों तक रहती सूनि कोख धरा की है
तब कहीं एक कोई अलबेला आता है ,
इतिहास पढ़े या नहीं पढ़े कोई बात नहीं
इतिहास रक्त से लिखकर वह दे जाता है.

Sunday, September 25, 2011

100 गाली पूरी होते ही शिशुपाल कट जाते है, तुम भी गाली गिनते रहना जोड़ सिखाने आया हूँ, घायल भारत माता की तस्वीर दिखानेलाया हूँ ||

केवल सौ दिन को सिंहासन मेरे हाथों में दे दो,
काला धन वापस न आये तो मुझको फ़ासी दे दो ||
जब कोयल की डोली गिद्धों के घर में आ जाती है,
तो बगला भगतो की टोली हंसों को खा जाती है ||
जब-जब जय चंदो का अभिनन्दन होने लगता है,
तब-तब सापों के बंधन में चन्दन रोने लगता है ||
जब फूलों को तितली भी हत्यारीलगने लगती है,
तो माँ की अर्थी बेटों को भारी लगने लगती है ||
जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते है,
तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते है ||
सिंहो को म्याऊँ कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है,
बिल्ली में क्या ताकत होती कायरतादिल्ली में है ||
कहते है कि सच बोलो तो प्राण गवाने पड़ते है,
मैं भी सच्चाई को गाकर शीश कटाने आया हूँ,
घायल भारत माता की तस्वीर दिखानेलाया हूँ ||
कोई साधू सन्यासीपर तलवारे लटकाताहै,
काले धन की केवल चर्चा पर भी आँख चढ़ाता है ||
कोई हिमालय ताजमहल का सौदा करने लगता है,
कोई यमुना गंगा अपने घर में भरने लगता है ||
कोई तिरंगे झंडे को फाड़े फूके आज़ादी है,
कोई गाँधी को भी गाली देने का अपराधी है ||
कोई चाकू घोप रहा है संविधान के सीने में,
कोई चुगली भेज रहा है मक्का और मदीने में ||
कोई ढाँचे का गिरना UNO में ले जाता है,
कोई भारत माँ को डायन की गाली दे जाता है ||
कोई अपनी संस्कृति में आग लगाने लगता है,
कोई बाबा रामदेव पर दाग लगाने लगता है ||
सौ गाली पूरी होते ही शिशुपाल कट जाते है,
तुम भी गाली गिनते रहना जोड़ सिखाने आया हूँ,
घायल भारत माता की तस्वीर दिखानेलाया हूँ ||

95वीं जयंती पर माँ भारती के लाल को नमन ...

" हमारी राष्ट्रीयत ा का आधार भारत माता है, केवल भारत नहीं | माता शब्द हटा दीजिये, तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्र बन कर रह जायेगा ―पंडित दीनदयाल उपाध्याय "

95वीं जयंती पर माँ भारती के लाल को नमन ...

95वीं जयंती पर माँ भारती के लाल को नमन ...

" हमारी राष्ट्रीयत ा का आधार भारत माता है, केवल भारत नहीं | माता शब्द हटा दीजिये, तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्र बन कर रह जायेगा ―पंडित दीनदयाल उपाध्याय "

95वीं जयंती पर माँ भारती के लाल को नमन ...

कितने लोग शाहरुख की फिल्म"Ra.One" देखेंगे

कितने लोग शाहरुख की फिल्म"Ra.One" देखेंगे
जिसकी फिल्म मे करीम मोरानी यानीकी 2-G के घोटाले का पैसा लगा है ? और वही करीम मोरानी आज तिहाड़ मे पोछे मार रहा है
[share it with your firends and spread in communitie s, please]

!!!..भ्रूण हत्या पररोक लगाओ...!!!

!!!..भ्रूण हत्या पररोक लगाओ...!!!
अगर बेटा वंश है, तो बेटी अंश है l
अगर बेटा तन है, तोबेटी मन है l
अगर बेटा आन है, तोबेटी शान है l
अगर बेटा मान है, तो बेटी गुमान है l
अगर बेटा संस्कार, तो बेटी संस्कृति है l
अगर बेटा दवा है, तो बेटी दुआ है l
अगर बेटा भाग्य है, तो बेटी विधाता है l
अगर बेटा शब्द है, तो बेटी अर्थ है l
अगर बेटा गीत है, तो बेटी संगीत
अगर बेटा वारिस है, तो बेटी पारस है l

Saturday, September 24, 2011

बाल (बाढ़) गीत पापा, पापा, बाढ़ दिखाओ,

बाल (बाढ़)
गीत
पापा, पापा, बाढ़ दिखाओ,
हेलीकाप्टर में, हमें घुमाओ,
उपर से फेंकेंगे रोटी,
कोई मोटी, कोई छोटी,
शहर बन गये स्वीमिंग पूल,
हायS लगते हैं, कितने कूल!!!!
बहती भैंस, गाय और कुत्ता,
घर दिखते हैं, कुक्कुरमुत ्ता,
पापा हो गये मालामाल,
बाढ़देवी, आना हर साल,
पापा, पापा, बाढ़ दिखाओ,
हेलीकाप्टर में, हमें घुमाओ,
कक्षा पाँच के विद्यार्थी इस गीत
को विद्यालय के वार्षिक कार्यक्रम में
कोरस में भी गा सकते हैं.

Friday, September 23, 2011

महाशक्ति: ताजमहल में शिव का पाँचवा रूप अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजित है

ताजमहल में शिव का पाँचवा रूप अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजित है
श्री पी.एन. ओक अपनी पुस्तक "Tajmahal is a Hindu Temple Palace" में 100 से भी अधिक प्रमाण और तर्को का हवाला देकर दावा करते हैं कि ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजोमहालय है। श्री पी.एन. ओक साहब को उस इतिहास कार के रूप मे जाना जाता है तो भारत के विकृत इतिहास को पुर्नोत्‍थान औरसही दिशा में ले जाने का किया है। मुगलो और अग्रेजो के समय मे जिस प्रकार भारत के इतिहास के साथ जिस प्रकार छेड़छाड की गई और आज वर्तमान तक मे की जा रही है, उसका विरोध और सही प्रस्तुतिकारण करने वाले प्रमुख इतिहासकारो में पुरूषोत्तम नाथ ओक साहब का नाम लिया जाता है। ओक साहब ने ताजमहल की भूमिका, इतिहास और पृष्‍ठभूमि से लेकर सभी का अध्‍ययन किया और छायाचित्रों छाया चित्रो के द्वारा उसे प्रमाणित करने का सार्थक प्रयास किया। श्री ओक के इन तथ्‍यो पर आ सरकार और प्रमुख विश्वविद्यालय आदि मौन जबकि इस विषय पर शोध किया जाना चाहिये और सही इतिहास से हमे अवगत करना चाहिये। किन्‍तुदुःख की बात तो यहहै कि आज तक उनकी किसी भी प्रकार से अधिकारिक जाँच नहीं हुई। यदि ताजमहल के शिव मंदिर होने में सच्चाई है तो भारतीयता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। आज भी हम जैसेविद्यार्थियों को झूठे इतिहास की शिक्षा देना स्वयं शिक्षा के लिये अपमान की बात है, क्‍योकि जिस इतिहास से हम सबक सीखने की बात कहते है यदि वह हीगलत हो, इससे बड़ाराष्‍ट्रीय शर्मऔर क्‍या हो सकता है ?
श्री पी.एन. ओक का दावा है कि ताजमहल शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजो महालय है। इस सम्बंध में उनके द्वारा दिये गये तर्कों का हिंदी रूपांतरण इस प्रकार हैं -
सर्व प्रथम ताजमहन के नाम के सम्‍बन्‍ध में ओक साहब ने कहा किनाम - (क्रम संख्‍या 1 से 8 तक)
1. शाहज़हां और यहां तक कि औरंगज़ेब के शासनकाल तक में भी कभी भी किसी शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में ताजमहल शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल समझना
http://mahashakti.bharatuday.in/2009/12/blog-post_19.html

आतंकवादी हमलोपर लिखी कविता....(इस कविता को सुनतेसुनते जाने कितने लोग रो पड़े.) दिल से महसूस करते हुएपढ़े...

इंसान को हैवानबना देते है लोग,
हद्द हर नीचता की जता देते है लोग
और जिन बच्चो को, अभी खबर ना थी, अपने नाम की यारो,
उन्हे जिहाद क्या होता है, सिखा देते है लोग......
रास्ता ए लहू अपना लेते है लोग,
लहू सस्ता हो जैसे नीर से, ऐसे बहा देते है लोग,
मिली क्या ख़ुशी उन्हे, देख कर लाशें,
क्यू अमनो-चैन जिंदा, दफ़ना देते है लोग
ये भाई ना रहा, ये बाप ना रहा
उसके सर पर उसकी माँ का, अब हाथ ना रहा तन्हा जो घूमताथा, चौराहो पर कभी
अब तन्हाई का भी उसकी, कोई साथ ना रहा
चल रहा था जो अभी, खुशी खुशी यहा
क्यू बेजान उस इंसान को, बना देते है लोग.....
सज-धज के चल रहीथी, जिसकी दुल्हन अभी,
पढ़ रहा था मुन्ना, ए,बी,सी,डी यही
गया था बाजार लेने, भाई सब्जियाँ
गूंद रही थी मा उसकी, आटा यही कही
चहकती बुल बुल,,,कोयल,,,उड़ते थे परिंदे..जहा
क्यू वीरान उस स्थान को बना देते है..
क्यू वीरान उस स्थान को बना देते है..
और जिन बच्चो को, अभी खबर ना थी, अपने नाम की यारो,
उन्हे जिहाद क्या होता है सिखा देते है लोग
उन्हे जिहाद क्या होता है सिखा देते है लोग....
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"

Wednesday, September 21, 2011

आज अन्ना आडवाणी की रथयात्रा से मतभेद रख रहे हैं कल बाबा रामदेव के आंदोलन से मतभेद थे

आज अन्ना आडवाणी की रथयात्रा से मतभेद रख रहे हैं
कल बाबा रामदेव के आंदोलन से मतभेद थे
शायद अन्ना भूल गए की यही भाजपा कंधे से कंधा मिलकर आंदोलन मेंउनके साथ थी
हर शहर का भाजपा कार्यकर्ता अन्ना के आंदोलन में उनके साथ गिरफ्तारिय ां दे रहा था
रामलीला मैदान में भाजपाई और संघ के स्वयं सेवक व्यवस्थाओं में जुटे हुए थे
हाँ अन्ना को यह जरूर याद है की भाजपा किसी भी प्रकार से कोई भी आंदोलन नहीं कर पाए जिससे की जनता की नजरों में उसकी एक अच्छी छवि बन पाए
अन्ना जी आडवानी जी राम मंदिर के लिए रथ यात्रा नहीं कर रहे हैं जो आप उसका विरोध कर रहे हैं .. वो भ्रष्टाचार के खिलाफ रथयात्रा कर रहे हैं .. जिसमे की आपको भी अपना समर्थन देनाचाहिए जैसे की भाजपा ने आपको दिया था
अन्ना कहते हैं की रथयात्रा नहींपदयात्रा करें
शायद अन्ना को यह मालूम नहीं की रथयात्रा पदयात्रा ही होतीहै
उसमे लोग पैदल पैदल ही चलते हैं
सिर्फ इस शहर से उस शहर जाने के लिए वाहन का प्रयोग होता है
सिर्फ इस बात से रथयात्रा का विरोध करना कितनातार्किक है अन्नाजी ?
भूख से लोगों के मरने और रथयात्राकरने को क्यों जोड़ रहे हैं
अगर ऐसी बात है तो भारत में किसी भी प्रकार का कार्यक्रम नहीं होना चाहिए
क्रिकेट का खेल भी बंद हो जाना चाहिये
क्यूंकि एक तरफ तो भारत में लोग भूख से मरते हैं और एक तरफ लोग क्रिकेट का आनंद लेते रहते हैं
सिनेमा भी बंद हो जाना चाहिए
कुछ दिनों बाद लगता है अन्ना यह कहेंगे की कांग्रेस को वोट दो
क्यूंकि भाजपा सिर्फ राजनेतिक फायदे उठाती है
अन्ना कह रहे हैं की “हम भूमि अधिग्रहण बिल और अन्य जरूरी मुद्दों को लेकर भी आंदोलन करेंगे।”
भूमि अधिग्रहण बिल का नाम इसलिए लिया गया कहा है क्यूंकि यह अभी हॉट मुद्दा है
अन्ना कहते हैं “आंदोलन के समय देश की जनता खडी़ हो गई। इसमें कोई संगठन नहीं था।”
शायद अन्ना को मालूम नहीं की भाजपा और आर एस एस जो की उनके आंदोलन को शहर शहर में चला रहे थे वे एक संगठन है।
अन्ना कहते हैं की “हम अपने साथ जोड़ने से पहले लोगों के चरित्र की भी जांच करेंगे। हमारी टीम इस बात की पूरी परख करेगी की जो लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं उनका ट्रैक रिकार्ड कैसा है।”
जैसे की उन्होंनेअग्निवेश की जांचकी थी
जैसे की शांति भूषण की जाँच कर रखी थी

Tuesday, September 20, 2011

टोपी पहनने से कौन सी सदभावनाआएगी ? (मोदी और टोपी की सियासतके बीच कुछ ध्यान देने योग्य बातें )

१-बीजेपी ने चुप्पी नहीं साधीहै। बीजेपी नेता शहनवाज खान ने साफ कहा है कि इस पर सियासत हो रही है।
२-मौलान साहब की बात कि टोपी न पहनकर मौदी ने उनके धर्म का अपमान किया है सरासर घटिया राजनीति है। ये कहकह उन सभी भारतीय लोगों का इमाम ने अपमान किया है जो टोपी नहीं पहनते, लेकिन मोदी का समर्थन भी नहीं करते।
३-पगड़ी हिंदू धर्म के हर अनुष्ठान में मुस्लिम टोपी की तरह अनिवार्य नहीं होती है। पगड़ी किसी महत्ता वाले काम को करने वाले और परिवार के मुखियाहोने के नाते पहनी जाती है।
४- कितने मुस्लिम"ऊँ" धारण करते हैं.....? ये टोपी की बात करना सिर्फ सियासत और बकवास है।
५ -किसी धर्म को मानना या नही मानना यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता है | लेकिन किसी धर्म से घॄणा करना अनुचित है | मोदी जी का 'सद्भावना' उपवास का यही निहर्थार्थ है | टोपी पहन कर मुस्लिम भाई अपनीइबादत करते है, मैं यह पुछना चाहता हूं कि कितने मुस्लिम भाई 'ऊं" चिन्ह को धारण करते है | फिरमोदी जी से ऐसा आग्रह क्यो | अपने धर्म मे अडिग है इस लिऐ टोपी स्वीकार नही की , किसी धर्म से धृणा नही है इस लिऐ शाल स्वीकार कर लिया | इसी बात से यह पता चलाता है वे एक स्पष्ट एवं दॄड मानसिकतावाले लोह पुरष है,दुसरो की तरह दोगले नही है, इनके मन मे सभी के लिऐ 'सद्भावना' है|ऐसे स्पष्टवादी लोग ही सब को साथ लेकर चलने मे सक्षम एवं सफल होते है | मोदी जी के हाथो में ही देश सूरक्षित एवंअखंडं रह सकता है |

टोपी पहनने से कौन सी सदभावनाआएगी ? (मोदी और टोपी की सियासतके बीच कुछ ध्यान देने योग्य बातें )

६-दिल्ली के शाही इमाम ने वंदे मातरम कहने से माना किया था | तो उसके खिलाफ किसीने कुछ नही कहा | लेकिन मोदि ने सिर्फ़ टोपी पहनने से मना किया तो मीडिया ने उसे हवा देदि | ये तो मोदि के खिलाफ हमेशा ग़लतप्रचार करते है| अगर हिम्मत है तो उस शाही इमाम के खिलाफ कुछ लिख के दिखाओ
७-वंदेमातरम और भारत माता की जय ना कहना धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद लेकिन टोपी ना पहनना कट्टरपंथ की निशानी ! वाह रेमेरे देश के महान सेक्यूलर लोग और निष्पक्ष मीडिया धन्य है आप
८- ये मौलवी सदभावना की बात मोदी को तिलक लगा के क्यों नहीं करते | क्या इससे उनका इस्लाम खतरेमें पड़ जायेगा ?
बहुत से धर्म गुरुओं ने उन्हे गंगा जल लाकर दिया. उसे उन्होने स्वीकार किया. अगर कोई उन्हे गोमास लाकार देता तो क्या उन्हे स्वीकार करना चाहिए था?
मोदी जी ना नौटंकी करते हैं , न उस पर विश्वास रखते हैं . देश के कई मुस्लिम रास्ट्र -पति/राज्यपाल/मुख्यमंत्री इस देश मे हुए क्या कभी उन्होने भगवावस्त्र धारण किए जो हिंदुओं का प्रतीक है, वह तो दूर की बात है गाँधी टोपी ग्रहणकिए क्या ? नरेंद्र मोदी जी का सीधा सरल जीवन, जो वोट के लिए कभी किसी को खुश नही किए, इस बात से साबित होता है | अच्छा लगा , यह कांग्रेसियों से या भारतीय जनता पार्टी के कुछ और नेताओं से भिन्न है. मुझे आज तक यह समझ मे नही आया की ये नेता वोट के लिए नौटकी क्यों करते है. विकास पर वोट लीजिए और विकास पर वोट देना भी चाहिए|

आईये जानिए शांति भूषण और प्रशांत भूषण को जो जन् लोकपाल बिल ली ड्राफ्टिंग कमिटी में है.....

Shanti Bhushan, India's Johnny-com e-lately Mahatma, is a "senior counsel" who has fought cases for these honest Indians in the past: > ShaukatGuru (a cousin of Afzal Guru, Shuakat was eventually givena 10 year sentence in relationto the 2001 Parliament attack case), > paragon of honesty Mr. H. D. Deve Gowda, > the supreme patriot Arundhati Roy (defended by Shanti Bhushan in a contempt of Supreme Court case). His son and protege Prashant Bhushan had this to say after 76 jawans were murdered by Naxals in Dantewada: "What did the government expect when they called it a war? Did they think that there would be no retaliatio n?" WillFidel Castro be the next PM of India???
क्या भाजपा चाहतीहै कि लाशों के ढेर पर कश्मीर को जबर्दस्ती बांधकर रखा जाए। अरुंधती ने कुछ भी गलत नहीं कहा है। जो उन्होंने कहा है उसे देश की सरकारें भी किसी न किसी रूप में मानती आई है। जब कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो जवाहर लाल नेहरू अपने घर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में लेकरक्यों गए? अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर मुद्देपर चर्चा की पहल क्यों की? उन्होंने मुशर्रफ को क्योंबुलाया? अगर अरुंधती पर देशद्रोह का मामला बनता है तो इन पूर्व प्रधानमंत् रियों पर भी इसी तरह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
प्रशांत भूषण, वरिष्ठ वकील
Supreme Court lawyer, Prashant Bhushan, who is part of the delegation , said: “We are discussing and consulting legal experts to file petition against the security forces involved in the killing of 118 civilians in 2010 unrest.”
“Our role is to facilitate a dialogue between Kashmir, India and Pakistan,” Bhushan said.
Swami Agnivesh said the summer unrest of 2010 has proved that “there was no hand of Pakistan and Lashker-e- Toiba in instigatin gany disturbanc e in Kashmir.”
“It has become clear during the summer unrest of 2010 that the Kashmiri movement was indigenous and expression of their aspiration s,” Agnivesh said. “It was in no way fuelled by LeT or Pakistan. The Indian civil society has realized it.”
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Monday, September 19, 2011

"टोपी" प्रकरण ने साबित कर दिया कि "सेकुलर" लोग गंदगी में लोटने वाले कीड़े हैं… By Suresh Chiplunkar

नरेन्द्र मोदी नेएक इमाम की दी हुई जालीदार टोपी स्वीकार नहीं की तो मानो देश एक गम्भीर समस्या सेजूझने लगा…। सरकारी भाण्ड चैनलों पर जो"सेकुलर कीड़े" बिलबिला रहे थे, शायद अब उन्हें संतुष्ट करने के लिए यानी हिन्दुओं को स्वयं को सेकुलर साबित करने के लिए बुर्का धारण करना होगा, क्रास पहनना होगा…।
१९९८ में उदयपुर में मशहूर सेकुलरएक्टर दिलीप कुमार (युसूफ खान) ने मेवाड़ी पगड़ीपहनने से इनकार कर दिया था. हालांकि वह किसी पंडित, पुजारी या हिन्दू संगठन ने नहीं पहनाई थी. लेकिन दिलीप साहबको उस पगड़ी में महाराणा प्रताप की देशभक्ति की बू आ रही थी, जिसनेअकबर को उसकी नानी याद दिला दी थी. और दिलीप कुमार ये कैसे सहन कर सकता है…
एक तरफ तो मुसलमान हिन्दू प्रतीकों को छोड़ो, "भारतीय प्रतीकों" से भी नफ़रत करते हैं, वहीं दूसरी तरफ मुसलमान और उनके सेकुलर चमचे पूरेदुनिया की 'मुसलमानी' करने पे तुले हुए हैं...इसे कहते हैंसेकुलरिज्म…। क्या अजमेर की दरगाह पर मत्था टेकने वाले घटियाअभिनेताओं/नेताओं की कौम, यह बताएगी कि वैष्णोदेवी या अमरनाथ के दर्शन करने जाने वालों में कितने मुस्लिम अभिनेता या नेता हैं?
न जाने कितनी फ़िल्मों में आपनेदेखा होगा कि"हिन्दू नामधारी हीरो-हीरोइन" भागकर शादी करने अथवा संकट आने पर चर्च जाते हैं या सीने पर क्रास बनाते हैं… कितनीबार आपने मुस्लिमया ईसाई नामधारी हीरो-हीरोइन को फ़िल्म में मन्दिरमें पूजा करते देखा है? शायद एक भी नहीं… क्योंकिसिर्फ़ हिन्दू पर ही यह साबित करने की जिम्मेदारी होती है कि वह"सेकुलर" है, बाकियों पर यह नियम लागू नहीं होता…।
"वन्देमातरम" और"सरस्वती वन्दना" का विरोध करने वालों पर मेहरबानी करते, दो कौड़ी की मानसिकता वाले सेकुलर, इस देश के सबसे गन्दे कीड़े हैं…

Sunday, September 18, 2011

हे प्रभु…!! टीम अण्णा और कांग्रेस को क्षमा कर देना, ये नहीं जानते कि… By Suresh Chiplunkar

नरेन्द्र मोदी केउपवास को लेकर कांग्रेस एवं सिविल सोसायटी वालों की बेचैनी देखते ही बनती है। छटपटा रहे हैं, फ़ड़फ़ड़ा रहे हैं, तिलमिला रहे हैं लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे, विभिन्न टीवी बहसों एवं बयानबाजियों में दिग्विजय सिंह, शकील अहमद, मनीष तिवारी, लालू यादव से लेकर छोटे भूषण और टीम अण्णा के अन्य सदस्यों के चेहरेदेखने लायक बन गये हैं। नरेन्द्र मोदी नेएक ही "मास्टर स्ट्रोक" में जहाँ इन लोगों को चारों खाने चित कर दिया है, वहीं दूसरी ओर जेटली-सुषमा जोड़ी को भी पार्श्व में धकेलकर राष्ट्रीय स्थिति प्राप्त कर ली है…
जिसने भी मोदी जी को यह "उपवास" वाला आयडिया दियाहै वह एक अच्छा मार्केटिंग मैनेजमेंट गुरु होगा…। इस उपवास की वजह से मीडिया को मजबूरन नरेन्द्र मोदी काचेहरा और उनके इंटरव्यू दिखाने पड़ रहे हैं, साथ हीउनके धुर विरोधियों जैसे वाघेला इत्यादि के हास्यास्पद बयानों के कारण मोदी की इमेज में और इज़ाफ़ा हो रहा है।
असल में टीम अण्णा के सदस्य एक "रोमाण्टिक आंदोलन" की तात्कालिक सफ़लता(?) से बौरा गये हैं, जबकि इनके जनलोकपाल आंदोलन के मुकाबले राम मन्दिर आंदोलन बहुत व्यापक और जनाधार वाला था। राम जन्मभूमि आंदोलन के सामने जनलोकपाल आंदोलन कुछ भी नहीं है, खासकर यह देखते हुए कि उस समय न तोफ़ेसबुक/ट्विटर थे, न तो आडवाणी कोमीडिया का"सकारात्मक कवरेज" मिला था, न ही "सत्ता प्रतिष्ठान का आशीर्वाद" उनके साथ था… इसके बावजूद गाँव-गाँवमें देश के कोने-खुदरे मे हर जगह राम मन्दिर आंदोलन की धमक मौजूद थी।
नरेन्द्र मोदी जैसे कई"वास्तविक नेता" मन्दिर आंदोलन कीउपज हैं, इसलिए सिविल सोसायटी वालों को "हर राजनैतिक मामले में" अपने "टाँग-अड़ाऊ" बयानों से बचना चाहिए। उन्हें एक मुफ़्त सलाह यह है कि, पहले नरेन्द्र मोदी जैसी स्वीकार्यता और लोकप्रियता तो हासिल कर लो, आठ-दससाल जनता के बीच जाकर जनाधार बनाओ, मेहनत करो… उसके पश्चात कुछ बोलना…।
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हे प्रभु इन्हें (टीम अण्णा और कांग्रेस को) क्षमा कर देना, ये नहीं जानते कि (नरेन्द्र मोदी का विरोध करके) ये क्या कर रहे हैं…!!!

Friday, September 16, 2011

नरेन्द्र मोदी जी का खुला पत्र - --

भाईयों एवम् बहनों, सादर प्रणाम ! कल, देश के सर्वोच्च न्यायालय ने, 2002 के गुजरात के सांप्रदायिक दंगो के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण फैसला दिया है। देश में सभी लोग अपने-अपने अनुसार, इस फैसले का अर्थघटन कर रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषकों के लिये इस फैसले का अलग अर्थ है, तो कानून विशेषज्ञों के लिये अलग। सबका अपना-अपना दृष्टिकोंण है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से एक बात स्पष्ट हुई है। सन् 2002 के बाद व्यक्तिगत रुप से मेरे ऊपर एवम् गुजरात सरकार के ऊपर तरह-तरह के, मनगढंत झूठे आरोप लगते रहे है। उन सभी झूठे आरोपों के कारण जो कलुषित वातावरण था, उसका अंत आया है। लगभग 10 वर्षों सेगुजरात को एवं मुझे बदनाम करने का फैशन सा हो गयाथा। गुजरात के विकास की बात अथवा प्रगतिशीलता को सहन ना कर पाने वाले लोग गुजरात को बदनाम करने का एक भी अवसर जाने नहीं देते थे। http://www.narendramodi.com/

उधार की औकात पर लोकतंत्र सेलड़ाई, कुल मिलाकर दो बार - निरंजन परिहार

कुल मिलाकर दो बार। पहली बार एक लाख बहत्तर हजार डॉलर। और दूसरी बार एक लाख सत्तानवे हजार डॉलर। दोनों को जोड़कर देखें तो कुल मिलाकर तीन लाख उनहत्तर हजार डॉलर। एक डॉलर यानी आज की तारीख में हमारे हिंदुस्तान के 46 रुपए। 3 लाख 69 हजार डॉलर को भारतीय मुद्रा में आज के हिसाब से तब्दील करके देखें तो कुल एक करोड़ 69 लाख 74 हजार रुपए। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को चुनौती देनेवाले आंदोलनके बाद, आपकी जानकारी के लिए, कम से कम अब तो यह बताना जरूरी हो गया है कि ईमानदारी की प्रतिमा और आंदोलन के प्रज्ञापुरुष केरूप में अचानक उभर कर सामने आए अरविंद केजरीवालऔर मनीष सिसोदिया को ये करीब पौने चार लाख डॉलर तो अमरीका से ही सहायता के रूप में हासिल हुए हैं।
यह तो हुई अधिकारिक रूप से विदेशी सहायता की बात। पता नहीं,कहां कहां से कितना क्या क्या अनधिकृत रूप से मिला भी या नहीं मिला, यह अपन नहींजानते। मगर इतना जरूर जानते हैं कि हमारे देश की बहुत सारी सच में सामाजिक काम करनेवाली संस्थाओं को भी अपने ही देश में सहायता जुटाने में हजार किस्म की तकलीफें आती हैं। पर, ये दोनोंपट्ठे ठेट अमरीका से भी इतना सारा माल निकाल ले आते हैं,यह अपने आप में बहुत बड़ी बात आपको भी जरूर लगती होगी। मामला आईने की तरह साफ है कि इन दोनों को वे सारे रास्ते पता है कि कहां से घुसकर क्या क्या करके कितना माल बटोरा जा सकता है।
पौने चार लाख डॉलर कोई छोटी रकम नहीं होती। हमारे देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनको अगर आपएक करोड़ का आंकड़ा लिखने को कहेंगे, तो उनको बहुत दिक्कत आएंगी। लिखने के पहले कई कई बार उंगलियों के पोर पर इकाई दहाई सैकड़ा हजार की गिनती करेंगे। फिर कहीं जाकर लिख पाएंगे। और इस सवाल का जवाब तो आप और हम भी एक झटके में शायद ही दे पाएं कि एक करोड़ में कितने शून्य लगते हैं। इससे भी आगे जाकर कुछ ज्यादा ही सुनना हो तो जरा यह सत्य भी सुन लीजिए कि हमारे देश की कुल एक सौ पच्चीस करोड़ प्रजा में से एक सौ चौबीस करोड़ पचास लाख से भी ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिनने एक साथइतने सारे रुपए इस जनम में तो कमसे कम कभी नहीं देखे होंगे। लेकिन केजरीवाल और सिसोदिया इतने सारे रुपयों के मालिक होकर भी रेल्वे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर सो कर आप और हम जैसों की बराबरी में खड़ा होने का स्वांग रचकर सभी को सहजता से स्तब्ध कर लेते हैं।

उधार की औकात पर लोकतंत्र सेलड़ाई, कुल मिलाकर दो बार - निरंजन परिहार

इन दोनों की ‘कबीर’ नाम की एक संस्था है। बहुत सारे लोग तो शायद पहली बार ‘कबीर’ का नाम भी सुन रहेहोंगे। वैसे, कुछ दिन पहले तक ‘कबीर’ को खैर, कोई जानता भी नहीं था। केजरीवाल और सिसोदिया की यह ‘कबीर’ हमारे देश के भूखे नंगों के कल्याण का स्वांग करती है और उसके ये दोनों कर्ताधर्ता अमरीका से सहायता ले आते हैं।
अमरीका दुनिया का सेठ है। और इतना तो आप भी समझते ही है कि हरकोई गरीब पर दया देख कर उसकी सहायता करता है, अमीर की नहीं। इसी से समझ जाइए कि सिसोदिया और केजरीवाल हमारे महान भारत का कौनसा चेहरा अमरीका के सामने पेश करते होंगे। फोर्ड फाउंडेशन के भारतीय प्रतिनिधि स्टीवेन सोलनिक ने भी कहा है कि सिसोदिया और केजरीवाल के एनजीओ ‘कबीर’ को उनकी पहली सहयोग राशि 2005 में 1,72,000 डॉलर की थी। जबकि दूसरी बार 2008 में 1,97,000डॉलर दिए गए। जिसकी आखिरी किस्त 2010 में जारी की गई थी। अपने कबीर तो एक महान फकीर थे। पर उस पहुंचे हुए फकीर ने नाम पर अपनी गरीबी मिटाने का कमाल सिसोदिया और केजरीवाल ही कर सकते थे, और किया भी खूब।
यह वही अमरीका जो हमारे देश की संस्थाओं को सहायता देता है, और पाकिस्तान को भी पैसे ठेलकर हमारे खिलाफ जंग के लिए रह रहकर भड़काता रहा है। इसी अमरीका की आर्थिक सहायता पाकर पाकिस्तान हमारे बहादुर और देशभक्त सैनिकोंको अकसर गोलियों का निशाना भी बनाता रहा है। कोई आपके खिलाफ हमले करने के लिए आपके दुश्मन को गोला बारूद मुहैया कराए और दूसरी तरफ आपको भी रोटी के दो टुकड़े ड़ालकर जिंदा रखने की नौटंकी करती रहे, ऐसे किसी भी दोगले शख्स से आप कोई सहायता लेंगे, इसके लिए किसी भी सामान्य आदमी का भी दिल कभी गवाही नहीं देगा, यह आप भी जानते हैं। लेकिन केजरीवाल और सिसोदिया यह सब जानने के बावजूद अमरीका के सामने रोनी सूरत बनाकर अपने कटोरे में भीख भर ले आते हैं, यह गर्व करने लायक बात है या शर्म सेडूब मरने लायक, यहआप तय कीजिए।
और जरा इस सत्य कोभी जान लीजिए। गांधी और जेपी की बराबरी में पिछले दिनों अचानक प्रयासपूर्वक औरयोजनाबद्ध तरीकेसे खड़े कर दिए गएअन्ना हजारे की तेरह दिन की भूख के सहारे देश के आकाश में अचानक चमत्कार की तरह प्रकट हुए इन दो सितारों की चमक अमरीका से आई दया की भीख का कमाल है, यह किसी को पता नहीं था।

Wednesday, September 14, 2011

भारत में नरेंद्र मोदी सबसे कुशल शासक: अमेरिकी रिपोर्ट

भारत में नरेंद्र मोदी सबसे कुशल शासक: अमेरिकी रिपोर्ट
वॉशिंगटन। गुजरात दंगों के बाद मुख्‍यमंत् री नरेंद्र मोदी पर लगे दाग एक-एक कर साफ होते दिखाई दे रहे हैं। पहले सुप्रीम कोर्ट सेराहत और अब अमेरिकी कांग्रेस द्वारा उनकी जमकर तारीफें। अमेरिकी कांग्रेस अनुसंधान सेवाओं (सीआरएस) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के राज्‍योंकी बात करें तो नरेंद्र मोदी का शासन सबसे अच्‍छाऔर प्रभावशाली रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्‍यवस ्‍था को तेजी से आगे बढ़ाने में गुजरात की महत्‍वपूर् ण भूमिका रही है। कांग्रेस ने गुजरात के बाद बिहार की तारीफेंकरते हुए भाजपा को अगले चुनाव का प्रबल दावेदार भीबताया है।
सीआरएस रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के बाद बिहार का नंबर आता है, जहां के मुख्‍यमंत् री नीतीश कुमार हैं।बिहार की शासन प्रणाली भी काफी बेहतरीन है। साथ ही यहां प्रशासनिक कुशलता भी देखी गई है। रिपोर्ट में लिखा है,"भारत में गुजरात,जहां के मुख्‍यमंत् री विवादों से घिरे हुए हैं, एक ऐसा राज्‍य है, जहां तेजी से विकास और प्रभावशाली शासन का देश की अर्थ व्‍यवस्‍था को मजबूत बनाने में काफी योगदान है।"
सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस का एक अनुभाग है, जो समय-समय पर इस प्रकार की रिपोर्ट तैयार करता है। भारत पर बनी 94 पृष्‍ठों की यह रिपोर्ट 1 सितम्‍बर को जारीकी गई थी। रिपोर्ट में मोदीकी तारीफों के पुल बांधते हुए कहा गया कि 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित आरोपों के बावजूद मोदी ने प्रदेश में व्‍यापक स्‍तर परनिवेश को बढ़ावा दिया, बेहतरीन सड़कें बनवायीं, बिजली की समस्‍याको काफी हद तक खत्‍म किया और वार्षिक वृद्धि की दर 11 प्रतिशत तक पहुंचा दी।
गुजरात में जनरल मोटर्स और मिटसूबिशी जैसी तमाम कंपनियों नेनिवेश किया है। इस राज्‍य में देश की कुल पांच प्रतिशत जनसंख्‍या है और भारत का पांच प्रतिशत से अधिक एक्‍सपोर्ट यहीं से होता है।

बड़ी मेहनत से NGO वादियों ने अण्णाको "मोहरा" बनाकर, मीडिया का भरपूर उपयोग करके, अपने NGOs के नेटवर्क केजरिये एक खिचड़ी पकाई, उसमें मैगसेसे पुरस्कार विजेताओं वाला"तड़का" भी लगाया। दुकान खोलकर बैठेही थे, बोहनी भी नहीं हुई और दोतरफ़ा मुसीबत कासामना शुरु हो गया है… By suresh chiplunkar

आडवाणी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ़ "रथयात्रा" की घोषणा से। यानी जो "माल" NGO गैंग ने अपनी"दुकान" पर सजाकर रखा था, वही माल एक"स्थापित दुकान" पर आ गया तो चुनौती मिलने की तगड़ी सम्भावना दिखने लगी। रथयात्रा की घोषणा भर से टीम अण्णा ऐसी बिफ़री है कि ऊलजलूल बयानों का दौर शुरु हो गया…मानोभ्रष्टाचार से लड़ना सिर्फ़ टीम अण्णा की "बपौती" हो। कल अण्णा साहब "टाइम्स नाऊ"पर फ़रमा रहे थे कि हम "ईमानदार" लोगों का साथ देंगे।
हम अण्णा जी से पूछना चाहते हैं कि - हवाला डायरी में नाम आने भर से इस्तीफ़ा देने और जब तक मामला नहीं सुलझता तब तक संसद न जाने की घोषणा और अमल करने वाले आडवाणीक्या "ईमानदार" नहीं हैं? फ़िर उनकी रथयात्रा कीघोषणा से इतना बिदकने की क्या जरुरत है? क्या उमा भारती पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप है? फ़िर टीम अण्णा ने उन्हें अपने मंच से क्यों धकियाया?
टीम अण्णा की"अधपकी खीर" में दूसरा चम्मच पड़ा है दलित संगठनों का…
दरअसल टीम अण्णा चाहती है कि 11 सदस्यीय लोकपाल समिति में"आरक्षण" ना हो…। अर्थात टीम अण्णाचाहती है कि जिसे"सिविल सोसायटी" मान्यता प्रदान करे, ऐसे व्यक्ति ही लोकपाल समिति के सदस्य बनें। जबकि ऐसा करना सम्भव नहीं है, क्योंकि ऐसी कोई भी सरकारी संस्थाजिसमें एक से अधिक पद हों वहाँ आरक्षण लागू तो होगा ही। टीम अण्णा के इस बयान का दलित संगठनों एवं कई क्षेत्रीयदलों के नेताओं ने विरोध किया है और कहा है कि 11 सदस्यीय जनलोकपाल टीम मेंSC भी होंगे, ST भी होंगे, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय का एक-एक सदस्य भी होगा… यानी मैगसेसे पुरस्कार विजेताओं वाली शर्त की "गई भैंस पानी में…"।
तात्पर्य यह है कि "टीम अण्णा" की दुकान जमने से पहले ही उखड़ने का खतरा मंडराने लगाहै, इसीलिए कल केजरीवाल साहब"वन्देमातरम" के नारे पर सवाल पूछने वाले पत्रकार पर ही भड़क लिए। असल में टीम अण्णा चाहती है कि हर कोई उनसे"ईमानदारी" का सर्टीफ़िकेट लेकर ही रथयात्रा करे, उनके मंच पर चढ़े, उनसे पूछकर ही वन्देमातरम कहे… जबकि टीम अण्णा चाहे, तो अपनी मर्जी से संसद को गरियाए, एक लाइन से सभी नेताओं को बिकाऊ कहे… लेकिनकोई इन "स्वयंभू सिविलियनों" से सवाल न करे, कोई आलोचना न करे।
टीम अण्णा द्वारायह सारी कवायद इसलिये की जा रही है कि उन्होंने जो "ईमानदारी ब्राण्ड का तेल-साबुन" बनाया है, उसका मार्केट शेयर कोई और न हथिया सके…।

सावधान रहिये.... By Satish Chandra Mishra

12 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट केनिर्णय से नरेन्द्र मोदी विरोधियों के मुंह पर पड़े जोरदार थप्पड़ केपश्चात् कल अन्नाहजारे सक्रिय हो गया. IBN7 के राजदीपसरदेसाई के साथ बातचीत में उसने साफ़ कहा की कांग्रेस यदि भ्रष्टाचार में ग्रेजुएट है तो भाजपा ने पी.एच.डी.कर रखी है. निशाना 2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर साधा गया है. अन्ना ने यह भी कहा की वह किसी गैर कांग्रेसी-गैर भाजपा दल का समर्थन करेगा, अर्थात कांग्रेस-सरकार विरोधी मतों को देश भर में तितर-बितर कर मुख्य विपक्षी दलको हाशिये पर लाएगा. ऐसा करके वह किसकी राह आसान करेगा ये अनुमान लगाना कठिन नहीं है. इसी के साथ बाबा रामदेव से कोई सम्पर्क सम्बन्ध नहीं रखने,उनका कोई सहयोग-समर्थननहीं करने का एलान भी अन्ना ने किया लेकिन अन्नाने मनमोहन सिंह को कल भी सीधा-साधा इमानदार बताया तथा ये भी कहा की देश को आज इंदिरा गाँधी सरीखी"गरीबनवाज़" नेता की आवश्यकता है. ज़रा इसके निहितार्थ समझिये एवं गंभीरता से विचारकरिए की ये धूर्त अन्ना क्यों और कैसे यह भूल गया कि इंदिरा गाँधी ने ही आज से दशकों पहले भ्रष्टाचार को वैश्विक चलन बताते हुए इसको कोई मुद्दा माननेसे ही इनकार कर दिया था तथा भ्रष्टाचार का वहनिकृष्ट इतिहास रचा था जिसकी पतित पराकाष्ठा"आपातकाल" के रूप में फलीभूत हुई थी.इलाहाबाद उच्चन्यायालय ने इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी घोषित किया था. लेकिन ये कांग्रेसी दलाल देश की आँखों में धूल झोंकने की अपनी मुहिम पुनः प्रारम्भ कर चुकाहै. इस से सावधान रहिये और लोगों को सावधान करते रहिये........

सिन्दूर-बिंदी पर प्रतिबन्ध, अब कॉन्वेंट स्कूलों से निकलकर कारपोरेट तक पहुँचा…

जिनके बच्चे “सेंट” वाले कॉन्वेटों में पढ़ते हैं, वे जानते होंगे कि स्कूल के यूनिफ़ॉर्म के अलावा भी इन बच्चों पर कितनी तरह के प्रतिबन्धहोते हैं, जैसे कि “पवित्र”(?) कॉन्वेंट में पढ़ने वाला लड़का अपने माथे पर तिलक लगाकर नहीं आ सकता, लड़कियाँ बिन्दी-चूड़ी पहनना तो दूर, त्यौहारों पर मेहंदी भी लगाकर नहीं आ सकतीं। स्कूलों में बच्चों द्वारा अंग्रेजी में बातकरना तो अनिवार्यहै ही, बच्चों के माँ-बाप की अंग्रेजी भी जाँची जाती है… कुल मिलाकर तात्पर्य यह है कि “सहनशील” (यानी दब्बू और डरपोक) हिन्दुओं के बच्चों को “स्कूल के अनुशासन, नियमों एवं ड्रेसकोड” का हवाला देकर उनकी “जड़ों” से दूर करने और उन्हें “भूरे मानसिक गुलाम बनाने” के प्रयास ठेठ निचलेस्तर से ही प्रारम्भ हो जातेहैं। भारतीय संस्कृति और खासकर हिन्दुओं पर लगाए जा रहे इन “तालिबानी” प्रतिबन्धों को अक्सर हिन्दुओं द्वारा “स्कूल के अनुशासन और नियम” के नाम पर सह लिया जाता है। अव्वल तो कोई विरोध नहीं करता, क्योंकि एक सीमा तक मूर्ख और सेकुलर दिखने की चाहत वाली किस्म के हिन्दू इसके पक्ष में तर्क गढ़ने में माहिर हैं (उल्लेखनीय है कि ये वही लतखोर हिन्दू हैं, जिन्हें सरस्वती वन्दना भी साम्प्रदायिक लगती है और “सेकुलरिज़्म” की खातिर ये उसका भी त्याग कर सकते हैं)। यदि कोई इसका विरोध करता है तो या तो उसके बच्चे को स्कूल में परेशान किया जाता है, अथवा उसे स्कूल से ही चलता कर दिया जाता है।
वर्षों से चली आ रही इस हिन्दुओं की इस “सहनशीलता”(??) का फ़ायदा उठाकर इस “हिन्दू को गरियाओ, भारतीय संस्कृति को लतियाओ टाइप, सेकुलर-वामपंथी-कांग्रेसी अभियान” का अगला चरण अब कारपोरेट कम्पनी तक जा पहुँचा है। एक कम्पनी है “मुथूट फ़ाइनेंस एण्ड गोल्ड लोन कम्पनी” जिसकी शाखाएं अब पूरे भारत के वर्ग-2 श्रेणी के शहरों तक जा पहुँची हैं। यह कम्पनी सोना गिरवी रखकर उस कीमत का 80% पैसा कर्ज़ देती है (प्रकारांतर से कहें तो गरीबों और मध्यम वर्ग का खून चूसने वाली “साहूकारी
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Tuesday, September 6, 2011

वन्दे मातरम जन्मदिवस 7th September

वन्दे मातरम:माँ तुझे सलाम वन्दे मातरम हर सच्चे हिन्दुस्तानी का फ़र्ज। यदि हम भारतवर्ष को प्यार करते है, अपना देश मानते है तो सात सितम्बर के दिन वन्दे मातरम जरुरगाएं। सभी साथी चिट्ठाकारों से भी अपील है कि 7 September को अपने अपने ब्लॉग पर वन्दे मातरम के बारे में लिखे। सात सितम्बर को हमारे राष्टीय गीत वन्देमातरम का जन्मदिवस है। 1882 में इसी दिन श्री बंकिम चन्द्र चटर्जी नेइस गीत की रचना की थी। स्वतन्त्रता संग्राम के समय यह गीत क्रान्तिकारियों और देशवासियों मे जोश भरने का जरिया था। आज फिर देशवासियों मे जोश भरने का समय आ गया है। सभी देशभक्त मुसलमानों भाइयों से भी अपील है फर्जी इमामों के ऊल जुलूल फतवों को दर किनार कर वन्दे मातरम गाएं, आखिर वतन हम सभी का है। मादरे वतन से प्यार के इज़हार के लिए किसी फतवे की क्या जरुरत? जय हिन्द। सब लोग मिल कर गाये:- वन्दे मातरम् सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् शस्य श्यामलां मातरम् । शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्, सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् । सुखदां वरदां मातरम् ॥ वन्दे मातरम्… सप्त कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले निसप्त कोटि भुजैब्रुत खरकरवाले के बोलेमा तुमी अबले बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम् रिपुदलवारिणीं मातरम् ॥ वन्दे मातरम्… तुमि विद्या तुमि धर्मं, तुमि ह्रदि तुमि मर्मंत्वं हि प्राणाः शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, ह्रदये तुमि मा भक्ति, तोमारे प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे ॥ वन्दे मातरम्… त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदल विहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलां अमलां अतुलाम् सुजलां सुफलां मातरम् ॥ वन्दे मातरम्… श्यामलां सरलां सुस्मितां भुषिताम् धरणीं भरणीं मातरम् ॥ वन्दे मातरम् भारत माता की जय वन्दे मातरम भारतीय युवा क्रान्तिकारी संगठन इन्कलाब जिन्दाबाद

Saturday, September 3, 2011

हो रहा भारत निर्माण..(कहाँ भइया,कहाँ हुआ है भारत निर्माण .

दिल में उठा था एक अरमान
सबसे हसीं हो हिंदुस्तान .
तरक्की की जो राह चुनी ,
उसे नाम दिया भारतनिर्माण.
हो रहा भारत निर्माण
हो चूका भारत निर्माण ..
किधर भैया ,कहाँ हुआ है भारत निर्माण ?
मनन किजिये और जवाब दीजिये.
१- गरीबी रेखा के निचे जीने वालों की संख्या ५ करोड़ और बढ़ गई पिछले कुछ वर्षों मेंऔर वो भी सरकारी आंकड़ों के हिसाब से .सरकारी आंकड़ोंका खेल तो परम गूढ़ है..(हो रहा भारत निर्माण)
२-देश में विदेशी कंपनियों का आगमन पहले की तुलना मे १६३ % बढ़ा है.(हो रहा भारत निर्माण)
३-घोटालों की संख्या जल्द ही चाइना की जनसँख्या को भी पार कर देगी..(हो रहा भारत निर्माण)
४- भारत की सभी सीमायीं बेहद असुरक्षित हैं .एकरक्षा समझौते के हिसाब से ४ साल पहले भारत fighter planes खरीदने वाला था जिनकी मारक क्षमता सबसे अधिक होगी मगर वो रक्षासमझौता आज तक अधर में लटका है..(रक्षा विशेषज्ञ पार्थसारथी के interview में ये रहस्योद्घाटन हुआ) (हो रहा भारत निर्माण)
५-भ्रष्टाचार मेंभारत का स्थान ८४ वे पायदान से फिसलकर ८७ वे स्थान पर है और asia का 4th सबसे corrupt देश है भारत/ ( हो रहा भारतनिर्माण)
६-सरकारी विद्यालयों का हाल देख कर रोना आ जाता है. साक्षर दर में वृद्धि हुईहै और वो बढ़कर ७४% हुई है.(हो रहा भारत निर्माण)
7-अपराध दर में अभूतपूर्व वृद्धि दर भारत निर्माण को आधार प्रदान करता है.पूरे ५७ लाख crime हुए हैं कोर्ट की नजर मेंपिछले ८ साल में .असल में कितने हुए हैं पतानही.उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश और delhi सरीखे राज्यों में बलात्कार की बाढ़ आ गई है.rape cases की संख्या में २००६ के बाद से २६१ % की वृद्धि हुई है.( होरहा भारत निर्माण)
८-भारत के कुछ क्षेत्रों में हिन्दुओं को जीवित रहने के लिएजजिया देना पड़ रहा है.(हो रहा भारत निर्माण)
९- भारत में अमीरों की संख्या १५०००० है जो १२५ करोड़ का कितना प्रतिशत है ये आप आंकलन कीजिये ,और इन १५०००० लोग के पास पूरी भारत की संपत्ति का ८७% भाग है..(हो रहा भारत निर्माण)
१०- प्रति व्यक्ति आय ४६४९२ रुपये प्रति वर्ष हैं.यानि मासिक ४००० रुपये से भी कम.६५% आबादी ऐसी है जिसकी प्रतिनदिन की आय १$ से कम है..(हो रहा भारत निर्माण)
अभी ऐसे जाने कितने आंकड़े हैं जो अचंभित कर देगेऔर सोचने पर मजबूरकर देगे ..सोचिये और कुछ करिए.आवाज उठाइए .आत्म संतुष्टीकरण कहीं का नही छोड़ेगा मुझे भी और आप सबको भी..

Wednesday, August 31, 2011

जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,

जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते, फिर वही रुसवायी है.
घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल कीखबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायीहै.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.
मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..
Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Profession al ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है

दिनेश यादव की लाश: यूं ही गंवाईजान? दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा

दिनेश यादव की लाश: यूं ही गंवाईजान?
दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा तो हजारों की भीड़ ने उसका स्वागत किया और उसकी मौत को ‘बेकार नहीं जाने देने’ का प्रण किया। लेकिन टीम अन्ना की बेरुखी कइयों के मन में सवालिया निशान छोड़ गई। सवाल था कि क्या उसकी जान यूं ही चली गई या उसके ‘बलिदान’ को किसी ने कोई महत्व भी दिया?
गौरतलब है कि सशक्त लोकपाल पर अन्ना हजारे के समर्थन में पिछले सप्ताह आत्मदाह करने वाले दिनेश यादव की सोमवार को मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक यादव ने सुबह लोक नायक अस्पताल में दम तोड़ दिया। यादव के परिवारजनों को उसका शव सौंप दिया गया था जो बिहार से दिल्ली पहुंचे थे।
पुलिस के मुताबिक यादव के परिवार वाले उसके अंतिम क्रिया के लिए पटना रवाना हो चुके हैं । उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 32 वर्षीय यादव की मौत पिछले सप्ताह ही हो चुकी थी। हालांकि पुलिस ने इन रिपोर्ट से इनकार किया है। गौरतलब है कि 23 अगस्त को दिनेश ने राजघाट के पास अन्ना के समर्थन में नारे लगाते हुए खुद पर पेट्रोल छिड़क आग लगा ली थी। 70-80प्रतिशत जल चुके दिनेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि कुछ डॉक्टरों और प्रत्यक्षदर्शी अस्पताल कर्मियों से दिनेश ने आखिरी दिन तक पूछा था किक्या उससे मिलने अन्ना की टीम से कोई आया था?
दिनेश यादव का शव जब पटना के निकट दुल्हन बाजार स्थित उनके गांव सर्फुदीनपुर पहुंचा तो पूरा गांव उमड़ पड़ा था। सब ने शपथ ली है.. इस मौत को जाया नहीं जाने देंगे। एक पत्रकार ने फेसबुक पर लिखा है, ”मुझे लगता है टीम अन्ना को इस नौजवान के परिवार की पूरी मदद करनी चाहिए। उनके घर जाकर उनके परिवारवालों से दुख-दर्द को बांटना चाहिए।”
दिनेश के परिवार के लोग बेहद गरीब और बीपीएल कार्ड धारक हैं। कई पत्रकारों का भी कहना है कि सहयोग के लिए अगर कोई फोरम बनेगा तो वे भी शामिल होने को तैयार हैं। दिनेश के तीन बच्चे हैं। उसकी पत्नी का रो रो करबुरा हाल है और वहकई बार बेहोश हो चुकी है। उसके बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है।
उधर अन्ना हज़ारे अनशन टूटने के तीसरे दिन भी गुड़गांव के फाइव स्टार अस्पताल मेदांतासिटी में स्वास्थ लाभ लेते रहे।

LAYS CHIPS मे होती है सुअर की चर्बी

LAYS CHIPS मे होती है सुअर की चर्बी
यकीन न आये तो LAYS CHIPS का कोई पुराना पैकेट तलाशिये
उसपे लिखा होगा E631
अब गूगल पर सर्च कीजिये पूरी जानकारी आपके सामने होगी
LAYS CHIPS भारत मे ज्यादातर घरो मे नियमित रुप से प्रयोग होती है लेकिन अधिकतर देशो मे यह प्रतिबंधित है
E631 सुअर और मछली की चरबी से प्राप्त होता है इसे CHEMISTRY मे diasodium inosinate कहते है
अधिकतर ठंडे देशोमे सुअर का माँस बहुत पसंद किया जाता है
सुअर ही ऐसा प्राणी है जिसमे बहुत अधिक चर्बी होती है
अब फालतू चर्बी को इन कँपनियो ने साबुन और अन्य खाद्य पदार्थो आदि मे मिलाकर बेचना शुरु किया तो काफी बवाल हुआ इसलिये ये कोडिग शुरु की गई ताकि आसानी से भारतीय लोगो को मूर्ख बनाया जा सके
कुछ नये पैकेटो पर अब ये कोड भी बँद कर दिया
इस E631 पदार्थ का उपयोग विदेशी कँपनियो के कई उत्पादो जैसे टूथपेस्ट च्युँगम चॉकलेट कॉर्न फ्लैक्स टॉफी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो मेकिया जाता है
"कुरकुरे मे प्लास्टिक होता है अगर विश्वास न हो तो इसे जला कर देखिये"
कुछ कोड
E100
E110
E120
E140
E141
E153
E210
E213
E214
E216
1857 की क्राँति क्या यही देखने को हुई थी
http://facebook.com/dixitzee

Sunday, August 28, 2011

बाबारामदेव का आन्दोलन दबाया कांग्रेस ने... और किसी ने सोचा भी नहीं ये जब दोनों पहले एक मंच पर थे वह अलग अलग क्यों हुए ?

बाबारामदेव का आन्दोलन दबाया कांग्रेस ने...
और किसी ने सोचा भी नहीं ये जब दोनों पहले एक मंच पर थे वह अलग अलग क्यों हुए ?
क्यूंकि बाबा स्वदेशी के समर्थक थे...
बाबा के आन्दोलन से सरकार तो हिल ही रही थी...
कई विदेशी कम्पनियों की लुटिया भी डूब सकती थी...
यदि बाबा का आन्दोलन सफल हो जाता तो सरकार को स्वदेशी सहित तमाम वे शर्ते मानना पड़ती जिससे कांग्रेस के दलालों की कमाई होती है...
बाबा के आन्दोलन को दबाना कांग्रेस की जरुरत थी...
जिसके लिए उसके दलालों ने बड़ी बड़ी कंपनियों सेदलाली ली थी...
बाबा के आन्दोलन को दबाने के लिए अन्ना से कहा गया की आपकी शर्ते मानी जाएगी.... इसीलिए अन्ना ने बाबा का समर्थन नहीं किया...
और बाबा के साथ कुछ भी होता रहा अन्ना आगे नहीं आये...
अन्ना ने देखा की सरकार पर अन्ना का दबाव नहीं बन पा रहा है तो उसने अनशन की घोषणा कर दी...
सरकार चाहती थी की अन्ना अनशन करे....
और अन्ना बन गए सरकार के हथियार....
और इसकी वजह भी है मेरे पास...
सरकार महंगाई के मुद्दे को अन्ना की आड़ में खामोश करना चाहती है....
यह सब कांग्रेस की सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है...
जन बुझाकर देश का ध्यान मूल मुद्दों से हटाकरअन्ना के पक्ष में किया जा रहा है...
सरकार जो चाहती है उसमे वह सफल हो रही है...
और आम जनता मुर्ख बन रही है....
कांग्रेस की खुराफाती टीम के अहमद पटेल, कपिल सिब्बल, दिग्विजयसिंह, पी चिदंबरम की यह चाल कामयाब हो रही है...
और हम कुछ समझ ही नहीं पा रहे है...
देश भीषण भूल कर रहा है...
जिसके परिणाम भुगतने होंगे...
जय हिंद... जय भारत... वन्दे मातरम
कांग्रेस ने देश की जनता का ध्यान पूरी तरह से मूल मुद्दों से हटा दिया है.
वह बिना सच्चाई को जाने भेड़-चाल की तरह अन्ना के पीछे लगी है?जिसके असली गेम प्लानर अग्निवेश और भूषण जैसे देशद्रोही हैं.

Jara gaur karein...

अनशन आन्दोलन के इन पहेलु पर गौर करे.
१. बाबा रामदेव जो अपने आप में एक ऐसे देशभक्त जो ग्नाधिमुल् यो को आगे करते हुए २ साल से भारत की वर्त्तमान स्थिति को लेकर जनचेतना जागरण अभियान चला रहे थे. जिन्होंने अपने आन्दोलन मेंकिसी भी धर्म के व्यक्ति को मंच पर आने से नहीं रोका. वो भी तो देशहित में कार्य कर रहे थे .उस आन्दोलन को अन्नाजी ने कोई भारी समर्थन भी नहीं दिया उस राष्ट्रभक् त बाबा रामदेव को इस अनशन आन्दोलन के मंच न कोई स्थान दिया गया या प्रवचन करने का मौका. बल्कि देश के युवा धन को दारू की बोतल जेब में रखने की बात करने वाले नचनियाओमपुरी और बिभस्तगाली जिसमे है ऐसी फिल्म डेली बेली बनानेवाले आमिरखान को मंच पर बिठाया और भाषण देने का मौका भी दिया. क्या यही चरित्र निर्माण है भारत का. ऐसा क्यों?
२. जहा बाबा रामदेव भारत देश को पूर्णतः कैसे स्वावलंबी बनाया जाय उस विषय में और देश के बेरोजगार युवा धनअवम गरीबो को रोजी मिले ऐसे कार्य कर रहे है, और आयुर्वेद के माध्यम से देश की जनता के स्वास्थ्य को लेकर जाग्रति फेला रहे है, वहा अन्नाजी की टीम में विदेशी कम्पनियो के दलालऐसे एन.जी.ओ. को मंच का पूर्णतः सञ्चालन सोप दियागया. और जन लोकपाल में सब लोगो को दायरे में लाने की बात की मगर एन.जी.ओ. को कभी भी इस दायरे में नहीं लाया जायेगाऐसा उसी मंच से कहा विदेशी कम्पनियो के दलालएन.जी.ओ. संचालक केजरीवाल ने. तो क्या अन्नाजी का आन्दोलन विदेशी कंपनियो के हाथ में था जो भारत को दीमक की तरह खा रही है. ऐसा क्यों?
३. में सर्व धर्म का आदर अवम सम्मान करता हु. बाबा रामदेव ने भी मंच पर मुसलमान साधुओ कोस्थान दिया था. मगर अन्नाजी के आन्दोलन में दो बार इफतारी की गयी. मगर हाजिर जनता के सामने जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्म का उत्सव मनाने की नहीं सूजी. क्यों ऐसा करने से कोई नाराज हो जाता क्या? ऐसा क्यों?
४. तिहाड़ जेल में जब बांध दे अन्नाजी तब समाज में अपनी भारी प्रतिष्टा अवम सम्मान होते हुए रातभर बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर जेलके बहार खड़े होकर अन्नाजी का समर्थन करते रहे. क्या अन्नाजी का ऐसी शख्सियतो की अवहेलना करना शोभास्पद लगता हैया फिर अन्नाजी को ऐसे करते हुए रोका गया था. या फिर भारत की जनता की भावना का लगातार बहते रहनेवाले पुर के कारन अन्नाजी को अहंकार हो गया. मगर अन्नाजी के मंच से इसाई पादरी भाषण दे सकता है. ऐसा क्यों?

अन्ना टीम द्वारा 16 अगस्त का अनशन जिन मांगों को लेकर किया गया था. उन मांगों पर आज हुए समझौते में कौन हारा कौन जीता इसका फैसला करिए.

अन्ना टीम द्वारा 16 अगस्त का अनशन जिन मांगों को लेकर किया गया था. उन मांगों पर आज हुए समझौते में कौन हारा कौन जीता इसका फैसला करिए.
पहली मांग थी : सरकार अपना कमजोरबिल वापस ले. नतीजा : सरकार ने बिल वापस नहीं लिया.
दूसरी मांग थी : सरकार लोकपाल बिलके दायरे में प्रधान मंत्री कोलाये. नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र तक नहीं.
तीसरी मांग थी : लोकपाल के दायरे में सांसद भी हों :नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र नहीं.
चौथी मांग थी : तीसअगस्त तक बिल संसद में पास हो. नतीजा : तीस अगस्त तो दूर सरकार ने कोई समय सीमा तक नहीं तय की कि वह बिल कब तक पास करवाएगी.
पांचवीं मांग थी : बिल को स्टैंडिंगकमेटी में नहीं भेजा जाए. नतीजा : स्टैंडिंग कमिटी के पास एक के बजाय पांच बिल भेजे गए हैं.
छठी मांग थी : लोकपाल की नियुक्ति कमेटी में सरकारी हस्तक्षेप न्यूनतम हो. नतीजा : सरकार ने आज ऐसा कोई वायदा तक नहीं किया. अन्ना को दिए गए समझौते के पत्र में भी इसका कोई जिक्र तक नहीं.
सातवीं मांग : जनलोकपाल बिल पर संसद में चर्चा नियम 184 के तहत करा कर उसके पक्ष और विपक्ष में बाकायदा वोटिंग करायी जाए. नतीजा :चर्चा 184 के तहत नहीं हुई, ना ही वोटिंग हुई.
कौन जीता..? कैसी जीत...? किसकी जीत...?

Saturday, August 27, 2011

Ek teer se 3 nishane....

एक तीर तिन शिकार करने वाली कोंग्रेस-- -
!. बाबा का आन्दोलनकुचलना. .
२ अन्ना के आन्दोलन के माध्यम से एन.जी.ओ.के भ्रष्टाचार कोबढ़ावा,राह ुल की ताजपोशी,और बाबा के आन्दोलन से जागृत जनता के आक्रोश से बचाकर सत्ता बनाये रखना
३ महत्त्व पूर्ण बात यह इस आन्दोलन की आड़ में भारत को गुमराह रखते हुए बहुसंख्यक विरोधी- सांप्रदायि क एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-२०१ १ पास कर देना.

एक चौधरी था...

एक चौधरी था, उसे गाँव के पंद्रह-बीस लोगों के साथ दिल्ली जाना था.. उसने एक टिकट ली और चल दिया सबके साथ ट्रेन में... दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा तो टिकट चैकर के सामने जाके आँख सेआँख मिलाई और दौड़लगा दी... चौधरी आगे-आगे और TC पीछे-पीछे.. एक पटरी पार की.. दूसरी की.. फिर चौधरी रुक गया... TC ने आके उसे पकड़ लिया और बोला- टिकट दिखा.?? चौधरी ने टिकट निकाल के दिखा दी...TC ने पूछा- जब टिकट थी तो भागा क्यूँ..?? चौधरी- वो बीस लोग भी तो पार करवाने थे... हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. निष्कर्ष- ये चौधरी साहब तो हैं- हमारे सरदार मनमोहन सिंह जो ईमानदारी की टिकट लेके सारा प्रपंच रच रहे हैं... और बीस लोग हैं- कांग्रेस के भ्रष्ट मंत्री जो करोड़ो के घोटाले करके पार हो गए हैं...

Anna ka samarthan na krne par kya hoga...

1) यदि आप जनलोकपाल बिल पर कोई सवाल उठाते हैं तो आप"भ्रष्ट" हैं…
2) यदि आप भूषण जोड़ी और अग्निवेश के खिलाफ़ कोई सवालउठाते हैं तो आप"शंकालु" हैं…
3) यदि अण्णा आंदोलन का खुलकर समर्थन नहीं करते तो आप"भ्रष्टाचार के समर्थक" हैं…
4) यदि आप बाबा रामदेव और अण्णा की तुलना करते हैंतो आप"साम्प्रदायिक" हैं…
5) यदि आप अण्णा की टीम को मिले चन्देऔर उनके NGOs पर सवाल उठाते हैं तोआप "संघ के एजेण्ट" हैं…
6) यदि बाबा रामदेव और अण्णा को सरकार द्वारा मिले"ट्रीटमेण्ट" की तुलना करते हैं तोआप "आंदोलन को कमजोर करने वाले तत्व" हैं…
तात्पर्य यह है किआप "शंकालु","भ्रष्टाचारी","साम्प्रदायिक","संघ के एजेण्ट","शरारती तत्व" इत्यादि कहलाना नहीं चाहते हों तोखबरदार!! अण्णा के आंदोलन को आँख मूंदकर, कान ढँककरसमर्थन देते रहिये…................................................................................

राजनामा: अन्ना के अनशन से छंट रही है धूंध

राजनामा: अन्ना के अनशन से छंट रही है धूंध: नीरज कुमार मिश्र (दिल्ली के रामलीला मैदान से) दिल्ली का आँखों देखा हाल लिखना बहुत मुश्किल लग रहा है मैं आज दिन भर रामलीला मैदान में ख़ाक छ...

राजनामा: इस नग्नता पर नारी संगठनों को लज्जा क्यों नहीं आती ...

राजनामा: इस नग्नता पर नारी संगठनों को लज्जा क्यों नहीं आती ...: " अन्ना हजारे जी को सपोर्ट के बहाने टोपलेश होनेवाली अभिनेत्री "योगिता" के कदम को कितना जायज माना जाना चाहिए ? और कहाँ गई वो " नारी संघटन ...

राजनामा: अनशन में अन्ना पीते हैं विटामिन मिला पानीः जी. आर...

राजनामा: अनशन में अन्ना पीते हैं विटामिन मिला पानीः जी. आर...: इन दिनों जारी आंदोलन को आज भले ही मीडिया द्वारा ऐतिहासिक क्रांति कह कर पुकारा जा रहा हो, लेकिन मेरे खयाल से इसके नेता अन्ना हजारे की तुलना ...

Friday, August 26, 2011

"किरण,केजरीवाल अन्ना को यूज कररहे हैं"

"किरण,केजरीवाल अन्ना को यूज कररहे हैं" http://www.patrika.com/news.aspx?id=664402

Rajiv Dixit ji..

Aapki yaadein bhulai nahi jati....

Wednesday, August 24, 2011

Kya tha Rajiv Dixit ji ki maut ka karan???

Rajiv ji ki yaad bhulayi nhi jati..
ye dukh ki kahani sunai nhi jati...
http://protectthefreedom.blogspot.com/2010/12/reasons-of-death-of-rajiv-dixit.html

Tuesday, August 23, 2011

Team anna par shak kyun na karein.

बहुत भरोसा है भारतवासियो को अन्ना हजारे पर.
टीम अन्ना की पिछले दिनों की हरकत देखो. क्या भारत का भरोसा कायम रख पाएंगे अन्ना ?
१. मंच से माँ भारती की तस्वीर हटाना.
२.श्री श्री रविशंकरजी जैसे आदरणीय संतपुरुष की विष्टिकार की भूमिका को नकार देना.
३. बाबा रामदेव को भी इस आन्दोलन से अलग रखना.
४. जन लोकपाल में प्रधानमंत् री,न्याय पालिका का समावेश जरुरी मगर एन.जी.ओ. को जन लोकपाल के दायरे से बहार रखना. क्या एन.जी.ओ. को संविधान के कोई अलग दरज्जा दिया है जो प्रधानमंत् री,न्याय पालिका से ऊपर है क्या?
५.विष्टिका र के रूप में प्रधान मंत्री और वरिष्ठमंत्री तक ठीक है, मगर खास रूप से राहुल गाँधी का आग्रह क्यों रखतेहै अन्ना. जबकि राहुल गाँधी सिर्फ सांसद ही है. और राजनीती में आज तक कोई खास जलवा भी नहीं दिखा पाए है.
६. इन दिनों महाराष्ट्र में किसानो पर हुए अत्याचार के विषयमें अन्ना ने मुह तक नहीं खोला है. जबकि इस आन्दोलन से पहले उन्हों ने सिर्फ महाराष्ट्र में ही जलवा दिखाया है.
७. अरविन्द केजरीवाल एन.जी.ओ. को जन लोकपाल के दायरे से बहार रखना क्यों चाहतेहै. जन लो जरा की अन्ना की टीम में कौन कौन सामिल है. अग्निवेश, मेघा पाटकर, अरुंधती रॉय, तीस्ता सेतलवाड, मनीष सिसोदिया, अरुणा रॉय, मल्लिका साराभाई. क्या यह सब दूध के धुले है क्या? इन्हों ने राष्ट्र हित में क्या किया है कोई बता सकता है जरा ?
८. अन्ना के मंच सेइसी पादरी भाषण दे सकते है मगर कोई हिन्दू साधू को मंच पर चढ़ने भी नहीं दिया जा रहा है. ऐसे अपने आप को बिनसांप्रद ायिक साबित करने की कोशिश की जा रही है. क्या हिन्दू समाज को गाली देने से राष्ट्र हित करतेहो यह सिद्ध होता है क्या?