महाराणा प्रताप के जीवन की कुछ रोचक बातें
महाराणा प्रताप को बचपन में 'कीका' नाम से जाना जाता था
प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी.
3. प्रताप का भाला 81 किलो का और छाती का कवच का 72 किलो था. उनका भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलो था.
महाराणा प्रताप निहत्थे दुश्मन के लिए भी एक तलवार रखते थे
महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक हवा से बातें करता था,हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक हाथी के सिर पर पांव रखकर खड़ा हो गया था जिस पर से उतरते समय हाथी के सूंड पर बंधी तलवार से उसका एक पांव कट गया था वह अपनी एक टांग कटने पर भी महाराणा प्रताप को कई किलोमीटर लेकर दौड़ा था और 26 फीट चौड़े बरसाती नाले को लांघ गया था जहाँ वह मृत्यु को प्राप्त हुआ।
चेतक घोड़ा इतना विशाल और ऊंचा था कि उसके मुंह पर हाथी मुखौटा लगाया जाता था और देखने वह ऐसा लगता था कि जैसे कोई विशाल हाथी युद्धक्षेत्र में आ गया हो।
महाराणा प्रताप के पास 'चेतक' और 'हेतक' नाम के दो घोड़े थे।
जहाँ चेतक मरा वहां आज भी उसका मन्दिर है।
महाराणा प्रताप 20 साल जंगलों में केवल घास की रोटी खाकर जीवन गुजारे।
महाराणा प्रताप ने कसम खाई थी कि जब तक वह मेवाड़ को मुगलों से मुक्त नही करा देते तब तक वह पत्ते पर खाना खाऐंगे और घास पर सोऐंगे,आज भी राजस्थान के कई राजपूत खाना से पहले अपने थाली के नीचे एक पत्तल लगा देते है और सोने से पहले अपने बिस्तर के नीचे घास रखते हैं।
हल्दीघाटी के युद्ध में भीलों ने महाराणा प्रताप की तरफ से भीषण युद्ध किया था।वह महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे,आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ भील है और एक तरफ राजपूत।
हल्दीघाटी के युद्ध के 300 साल बीतने पर आज भी वहां के मैदानों में तलवारें पाई जाती हैं।
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से 20000 और अकबर की तरफ से 85000 सैनिक लड़े थे,तब भी वह महाराणा प्रताप को पराजित न कर पाये।
महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़ा समेत दुश्मन सैनिकों को काट डालते थे।
महाराणा प्रताप ने जब महलों का परित्याग किया तब लोहार जाति के हजारों लोगों ने भी अपना घर छोड़कर महाराणा प्रताप के साथ जंगलों में चले गये थे और महाराणा के सैनिकों के लिए दिन रात एक कर तलवारें बनाते थे।
महाराणा ने मरने से पूर्व 85% मेवाड़ वापस जीत लिया था।
महाराणा प्रताप के अस्त्र शस्त्र आज भी उदयपुर राजघराने में सुरक्षित है।
महाराणा प्रताप के वंश को एकलिंग महादेव का दीवान माना जाता है।