संजीव भट्ट बहुत ही महत्वाकांक ्षी व्यक्ति है .. उन्हें रिटायरमेंट के बाद केन्द्र सरकार मे कोई बड़ी नियुक्ति का लालचकांग्रेस के नेताओ ने दिया..फिर ये पूरा खेल खेला गया ..???????? ?????????? ?? आखिर इसदेश की नीच मीडिया संजीव भट्ट
की पूरी सच्चाई इस देश को क्यों नहीं बताती ?? मित्रों कांग्रेस और विदेशी ताकतों केफेके टुकड़े पर पलने वाली भांड मिडिया आखिर संजीव भट्ट के बारे मे इस देश के सामने सिर्फ आधी सच्चाई ही क्यों दिखा रही है ? असल मे संजीव भट्ट एक"विसिल ब्लोव्वर "नहीं बल्कि कांग्रेस के हाथोखेलने वाले एक"खिलौना " भर है .. जैसे कोई बच्चा किसी खिलौने से सिर्फ कुछ दिन खेलकर उसे कूड़ेदान मे फेक देता है ठीक वही हाल कांग्रेस संजीव भट्ट का भी करने वाली है .. एक बार अमर सिंह से पूछ लो कांग्रेस क्या है ? लेकिन मीडिया जिस तरह से संजीव भट्ट को एक "नायक " दिखा रही है वो एक झूठ है . मै आपको संजीवभट्ट के बारे मे सच बताता हूँ :- १- जब ये जनाब १९९६ मे बनासकाठा के एसपी थे तब इन्होने सिपाही पद की भर्ती मे बड़ा घोटाला किया था . इनके खिलाफ बड़े गंभीर आरोप लगे ..इन्होने भर्ती की पूरी प्रक्रिया को नकार दिया था और ना ही उमीदवारों के रिकार्ड रखे थे . २-ये जनाब २००१ में राजस्तान [पाली]का एक वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित जो अपनी कार से अहमदाबाद आ रहा था उससे चेकिंग के नाम पर पैसे की मांग की थी जब उसने मना किया तो इन्होने उसके कर में ५०० ग्राम हेरोइन बरामद बताकर उसे नार्कोटिक् स की गंभीर धाराओं मेंजेल में डाल दिया.. असल में उस वकील के पास उस वक्त कोई सुबूत नहीं था जिससे पता चले की वो एक वकील है .. बाद में पाली बार एसोसियेसन की अपील पर राजस्थानहाई कोर्ट ने क्राईम ब्रांच सेअपने अंडर जाँच करवाई तो संजीव भट्ट को दोषी पाया गया .. जिसके खिलाफ संजीव भट्टने सुप्रीम कोर्टमें अपील किया जो आज भी चल रहा है.. लेकिन भारत सरकारके मानवाधिकार आगोग ने अपनी जाचं में संजीव भट्ट को दोषी पाते हुए गुजरात सरकार को सुमेर सिंह राजपुरोहित को एक लाख रूपये हर्जाना अदा करकेका हुक्कम
दिया जो गुजरात सरकार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते से अदा किया गया .. ये सारी घटनाये गुजरात दंगे से पहले की है .. ....
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