Thursday, June 6, 2013

शब्दों का मैं सवेरा हूँ........ इन्कलाब लिखता हूँ....!

शब्दों का मैं सवेरा हूँ........ इन्कलाब लिखता हूँ....! अपने स्वर्णिम हिन्दू धर्म के इतिहास की... स्वर्णिम किताब लिखता हूँ.. माना सवाल बहुत से उठते हैं ....मुझ पर अब... लेकिन मैं अपने शब्दों से ही ...दुश्मनों को जवाब लिखता हूँ......!! क्योंकि... हो अगर मौसम प्यार की तो.... मैं भी प्यार लिखूंगा...! चूड़ियों की खनक और..... प्रेमिका के पायल की झंकार लिखूंगा...!! मगर... जब खून से खेलें.... मजहबी ताकत जेहाद के नाम पर.... डुबा कर लेखनी को खून में अपने... शब्दों के बदले अंगार लिखूंगा....!! जय महाकाल...!!!

2 comments:

पूरण खण्डेलवाल said...

सुन्दर लिखा है !!

Sanjeev Dagar said...

शुक्रिया बंधुवर