समाचार चैनल का संवाददाता ज़ोर-ज़ोर चिल्ला रहा है
माँ गंगा को विध्वंसिनी और सुरसा बता रहा है
प्रकृति कर रही है अपनी मनमानी
गाँव, शहर और सड़क तक भर आया है बाढ़ का पानी
नदियों को सीमित करने वाले तटबंध टूट रहे हैं
और पानी को देखकर प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं
पानी की मार से जनता का जीवन दुश्वार हो रहा है
गंगा-यमुना का पानी आपे से बाहर हो रहा है
बैराजों के दरवाज़े चरमरा रहे हैं
और टिहरी जैसे बांध भी पानी को रोकने में ख़ुद को असमर्थ पा रहे हैं
किसी ने कहा- पानी क्या है साहब, तबाही है तबाही
प्रकृति को सुनाई नहीं देती मासूमों की दुहाई
नदियों के इस बर्ताव से मानवता घायल हो जाती है
सच कहें, बरसात के मौसम में नदियाँ पागल हो जाती हैं
ऐसा सुनकर माँ गंगा मुस्कुराई और बयान देने जनता की अदालत में चली आई
जब कठघरे में आकर माँ गंगा ने अपनी ज़बान खोली
तो वो करुणापूर्ण आक्रोश में कुछ यूँ बोली-
मुझे भी तो अपनी ज़मीन छिनने का डर सालता है
और मनुष्य, मनुष्य तो मेरी निर्मल धारा में केवल कूड़ा करकट डालता है
धार्मिक आस्थाओं का कचरा मुझे झेलना पड़ता है
ज़िन्दा से लेकर मुर्दों तक का अवशेष अपने भीतर ठेलना पड़ता है
अरे, जब मनुष्य मेरे अमृत से जल में पॉलीथीन बहाता है
जब मरे हुए पशुओं की सड़ांध से मेरा जीना मुश्क़िल हो जाता है
जब मेरी धारा में आकर मिलता है शहरी नालों का बदबूदार पानी
तब किसी को दिखाई नहीं देती मनुष्य की मनमानी????????
ये जो मेरे भीतर का जल है इसकी प्रकृति अविरल है
किसी भी तरह की रुकावट मुझसे सहन नहीं होती है
फिर भी तुम्हारे अत्याचार का भार धाराएँ अपने ऊपर ढोती है
तुम निरंतर डाले जा रहे हो मुझमें औद्योगिक विकास का कबाड़
ऐसे ही थोड़े आ जाती है बाSSSSSSSSSढ़
मानव की मनमानी जब अपनी हदें लांघ देती है
तो प्रकृति भी अपनी सीमाओं को खूँटी पर टांग देती है
नदियों का पानी जीवनदायी है
इसी पानी ने युगों-युगों से खेतों को सींच कर मानव की भूख मिटाई है
और मानव, मानव स्वभाव से ही आततायी है
इसने निरंतर प्रकृति का शोषण किया
और अपने ओछे स्वार्थों का पोषण किया
नदियों की धारा को बांधता गया
मीलों फैले मेरे पाट को कंक्रीट के दम पर काटता गया
सच तो ये है कि मनुष्य निरंतर नदियों की ओर बढ़ता आया है
नदियों की धारा को संकुचित कर इसने शहर बसाया है
ध्यान से देखें तो आप समझ पाएंगे कि नदी शहर में घुसी है
या शहर नदी में घुस आया है
जिसे बाढ़ का नाम देकर मनुष्य हैरान-परेशान है
ये तो दरअसल गंगा का नेचुरल सफाई अभियान है
नदियों का नेचुरल सफाई अभियान हैं ।
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