एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए बयान में विराट कोहली कहता है कि, “जब मैं यात्रा कर रहा होता हूँ तो मैं कल्पना करता (Visualise) रहता हूँ कि मैं आनेवाले मैंच में किस गेंदबाज को किस प्रकार खेल रहा हूँगा”।
जब आप ऐसा करते हैं तो आप अपने अवचेतन मन को उस घटना में उसी प्रकार से व्यवहार करने के लिए तैयार कर देते हैं। आप अपने लिए भविष्य को निश्चित कर चुके होते हैं। भविष्य कि निश्चितता की उम्मीद आपके अवचेतन मन की सबसे बडी शक्ति हैं।
कहा भी गया है कि जब हमारे पास कुछ नहीं होता तब भी भविष्य होता है। लेकिन दुभार्ग्यपूर्ण स्थिति तब होती है जब भविष्य निश्चित नहीं अनिश्चित या अंधकारमय हो।
इतने अहम् प्रशिक्षण को हमें हमारे बचपन में सिखा देना चाहिए लेकिन आज भी कोई स्कूल, शिक्षण बोर्ड, सरकार या अन्य संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहल नहीं कर रही हैं। अगर आप छात्रों व युवकों से पूछे कि वे अपने भविष्य की किस तरह की तस्वीर देखते हैं – तो अधिकांश या तो भविष्य को देख ही नहीं पाते या उनमें से भी अधिकांश भविष्य की तस्वीर को एक धुँधला, स्थिर, छोटा व अंधकारमय चित्र की तरह देखते हैं। इस तस्वीर को लेकर उनका अवचेतन मन किसी भी कार्य जैसे पढना, स्वस्थ रहना, अच्छी व महत्त्वपूर्ण चीजों के प्रशिक्षण के प्रति उनकी प्रेरणा को शून्य कर देता है।
यही कारण है कि पढाई जैसी प्रक्रिया (जिसमे किसी भी छात्र को न्यूनतम शारीरिक कार्य करना पडता हैं) में तनाव का अनुभव होता है और वे बडे स्तर पर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। क्योकिं उनके पास वे मानचित्र ही नहीं हैं जो उन्हें इन कामों के लिए प्रेरित कर सकें।
2 comments:
Bilkul sahi kah bhaia
Bikul sahi kah bhaia
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