Monday, June 10, 2013

हिन्दुओं की मूर्खता का आलम

आज हिन्दुओं के मूर्खता का आलम यह है कि..... आज अजमेर ( राजस्थान ) को..... ख्वाजा मोइद्दीन 

चिश्ती के दरगाह के लिए ज्यादा जाना जाता है..... और, लोग अजमेर उसी की दरगाह पर चादर चढाने हेतु 

जाया करते हैं...!

लेकिन.... आपको यह जान कर हैरानी मिश्रित दुःख की अनुभूति होगी कि..... उसी अजमेर से लगभग 11 

किलोमीटर दूर पुष्कर झील है.... जिसके पास ही एक अतिप्राचीन (14 वीं सदी का ) भगवान ब्रम्हा का 

एकमात्र मंदिर है.... और, कहा जाता है कि..... बिना पुष्कर झील में स्नान किये.... चारो धाम ( 

केदारनाथ, बद्रीनाथ , रामेश्वरम और द्वारका ) की यात्रा भी पूर्ण नहीं हो पाती है...!

फिर भी हिन्दुजन अपने मूर्खता से वशीभूत होकर ... ऐसे पवित्र उपासना स्थल की अवहेलना कर.... मोइ

द्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढाने को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं....!

जहाँ तक बात रही ख्वाजा (???) मोइद्दीन चिश्ती की .... तो भारत में इस सूफी की ख्याति... कदाचित 

सबसे अधिक है...!

इस सूफी को ... महान संत... देवता का अवतार..... धर्मनिरपेक्षता ... और, भारत के गंगा-जमुना की 

सम्मिलित संस्कृति की साक्षात् मूर्ति कहा जाता है.....!

छोटे लोगों की तो बात ही जाने दें..... हमारे प्रधानमंत्री... और, राष्ट्रपति तक भी इसके मजार पर जा कर 

शीश नवाने और.... चादर चढाने में गर्व की अनुभूति करते हैं....!

लेकिन.... बहुत कम लोगों को ही ये मालूम है कि...... इस व्यक्ति ने भारत के इस्लामीकरण में कितनी 

उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी..... और, अपनी मृत्यु के 800 साल भी निभा रहा है...!

कमोबेश... लगभग हरेक सूफी और मजारों के चमत्कारों के किस्सों की तरह.... मोइद्दीन चिश्ती के 

चमत्कारों की भी काफी कथाएँ प्रचलित हैं...!

वैसे.... आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि..... ये मोइद्दीन चिश्ती साहब.... मोहम्मद साहब के वंशज 

समझे जाते हैं..... और, इन्होने सूफी की दीक्षा उस्मान हरवानी से ली थी.... जो की अपने समय के माने 

हुए सूफी संत कहलाते थे...!

सियर अल अकताब नामक पुस्तक के अनुसार..... मोइद्दीन चिश्ती के भारत आने के बाद से ही..... भारत 

में इस्लाम का पदार्पण हुआ....!

इस किताब के अनुसार... उन्होंने अपने तर्क और विद्वता से.... हिंदुस्तान में शिर्क (हिन्दू धर्म ) और कुफ्र 

( मूर्ति पूजा ) के अँधेरे को नष्ट कर दिया....!

सत्तर वर्ष तक मोइद्दीन चिश्ती .... भारत की भूमि पर लगातार नमाज पढ़ते रहे..... और, उस दौरान जिस 

पर भी इनकी नजर पढ़ी..... वो... तुरत मुसलमान बन कर ... तथाकथित अल्लाह का सामीप्य पा गया...!

हालाँकि.... कहा जाता है कि.... मोइद्दीन चिश्ती सोना बनाना जानते थे.... लेकिन... ये बात सत्य है कि.... 

इनके पाकशाला में इतना भोजन बनता था.... कि... नगर के सभी दरिद्र लोग वहां भोजन कर सकें...!

कहा जाता है कि.... जब नौकर उनसे धन मांगने जाता था तो.... वे अपने नमाज के दरी का कोन उठा देते 

थे..... जहाँ ढेर सारा सोना पड़ा रहता था....!

ये मोइद्दीन चिश्ती .... भारत कैसे पहुँच गए.... इसके बारे में एक बहुत ही मशहूर कहानी है कि....

एक बार जब ... मोइद्दीन चिश्ती ... मुहम्मद साहब के मजार की यात्रा करने गए तो..... वहां मजार से 

आवाज आई कि..... मोइद्दीन, तुम हमारे मजहब के सार हो और तुम्हे हिंदुस्तान जाना है.... क्योंकि... 

हिंदुस्तान के अजमेर में मेरा एक वंशज जिहाद करने गया था..... परन्तु वो..... काफिरों के हाथो मारा गया 

..... और, अब वो भूमि काफिर हिन्दुओं के हाथ में चली गयी है...!

अतः... तुम्हारे हिंदुस्तान जाने से ... इस्लाम एक बार फिर.... वहां अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा.... और, 

काफिर हिन्दू अल्लाह के कोप का भजन बनेंगे....!

इसपर... मोइद्दीन चिश्ती ने कहा..... ""हालाँकि वहां झील के पास बहुत से मूर्ति और मंदिर हैं.... लेकिन, 

अगर अल्लाह और पैगम्बर ने चाहा तो....मुझे उन मंदिरों और मूर्तियों को मिटने में ज्यादा समय नहीं 

लगेगा...!

इसके बाद .... ये मोइद्दीन चिश्ती साहब ... हिंदुस्तान आकर .... यहाँ अपने इस्लाम का परचम लहराने 

लगे....!

अगर... मोइद्दीन चिश्ती के बारे में कहे जाने वाले.... चमत्कारिक कहानियों को वास्तविकता में कहें तो.... 

वो इस प्रकार की रही होगी कि.....

अजमेर में ... मोइद्दीन चिश्ती से पहले भी कोई सूफी.... भारत में इस्लाम फैलाने के उद्देश्य से आया था.... 

जो कि.... यहाँ के हिन्दुओं के हाथो मारा गया...!

जब मोइद्दीन चिश्ती.... हज करने गए तो.... वहां के मुसलमानों ने चिश्ती को यह बात बताई..... और, 

उन्हें ढेर सारा धन देकर .... उन्हें जिहाद हेतु भारत जाने को प्रेरित किया....!

मोइद्दीन चिश्ती भारत आये.... और, अपने अथाह धन ( जो उन्हें जिहाद के लिए अरब के मुस्लिम शासकों 

द्वारा मिल रहा था) ... और झूठे चमत्कारों के बल पर..... यहाँ के गरीब और अन्धविश्वासी लोगों में 

अपनी पैठ बना कर ... उनका धर्मान्तरण शुरू कर दिया....!

फिर कुछ प्रभावशाली लोगों ने ...जो किन्ही कारणों से .... दिल्ली के महाराज .... पृथ्वीराज चौहान से 

किसी कारण से रुष्ट थे..... चिश्ती से संपर्क किया ....और, उन सब ने मिल मोहम्मद गोरी को भारत पर 

आक्रमण के लिए प्रेरित किया.... और, उसे यहाँ हर संभव मदद का आश्वासन दिया....

अंततः.... गोरी ने भारत पर आक्रमण किया.... और, एक सच्चे हिन्दू राजा पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर 

दी गयी.... और... उसके बाद भारत में इस्लाम के प्रसार का मार्ग प्रशस्त हो गया...!

सियर अल अकताब किताब के अनुसार.... इस घटना से पहले ही.... चिश्ती .... उस समय के मशहूर 

योगी.... अजयपाल को.... मुस्लिम बने में सफल हो गया था.... और, उसके मुसलमान बनाते ही..... 

चिश्ती ने अपना डेरा अजयपाल के विशाल मंदिर में ही जमा लिया...!

मोइद्दीन चिश्ती के मजार के बाहर.... विशाल बुलंद दरवाजों पर बने हिंदूवादी नक्काशी आज भी इस बात 

के गवाही देते हैं कि.... मोइद्दीन चिश्ती कि अगुआई में किस प्रकार भारत में धन और झूठे चमत्कारों के 

बल पर.... भारत का इस्लामीकरण का धंधा चलाया गया...!

आज भी एक ब्राह्मण परिवार चन्दन घिस कर.... मोइद्दीन चिश्ती के दरगाह में भेजता है.... जिसका लेप 

चिश्ती के मजार पर लगाया जाता है...!

परन्तु.... यह सभी जानते हैं कि.... इस्लाम में चन्दन घिसने की कोई प्रथा है ही नहीं...!

जाहिर है कि..... पुरातन काल से आज तक वो चन्दन ... महंत अजयपाल के मंदिर के मूर्तियों के लिए 

भेजी जाती रही होंगी.... जिसे अब मजार पर लगा दिया जाता है...!

सियार अल अफीरिन... नामक पुस्तक.... चिश्ती के बारे में लिखते हैं कि..... चिश्ती के भारत आने से... 

भारत में इस्लाम का मार्ग प्रशस्त हो गया.... और, चिश्ती ने भारत में इस्लाम के प्रति अन्धविश्वास को 

ख़त्म कर.... भारत में इस्लाम को चारो और फैलाया....!

आमिर खुर्द की चौपाइयों के अनुसार.... चिश्ती के आने से पहले.... हिंदुस्तान .. इस्लाम और शरियत 

कानून से अनभिज्ञ था.... और... किसी को अल्लाह की महानता का ज्ञान नहीं था.... ना ही किसी ने काबा 

के दर्शन नहीं किये थे....!

लेकिन.... ख्वाजा के आने बाद..... उसकी तलवार और बुद्धि के कारण कुफ्रों की भूमि में ... मंदिरों और 

मूर्तियों की जगह ... मस्जिदों के मेहराब बन गए...!

जिस भूमि पर पहले.... सिर्फ मूर्तियों का गुणगान और मंदिरों की घंटियाँ सुनाई थी .. अब उस भूमि पर 

..... नारिये तकबीर ( अल्लाहो -अकबर ) सुनाई देती है....!

मोइद्दीन चिश्ती के इस्लाम के प्रति इन्ही योगदानों के कारण उन्हें..... "" नबी ए हिन्द "" ( हिंदुस्तान का 

पैगम्बर ) भी कहा जाता है..... क्योंकि.... भारत में इस्लाम उन्ही के बदौलत फैला है....!

मोइद्दीन चिश्ती के.... इस्लाम पर किये गए इन्ही योगदानों के कारण.... हर पाकिस्तानी या बांग्लादेशी 

प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति उनका शुक्रिया अदा करने उनके मजार पर जाता है..... क्योंकि.... मोइद्दीन चिश्ती के 

बिना.... भारत में इस्लाम का फैलना बेहद ही मुश्किल था...!

अब आप खुद ही सोचें..... कि.... क्या हम हिन्दुओं से भी ज्यादा मूर्ख कोई हो सकता है..... जो अपने 

विनाशकर्ता को पूजे और.... उसपर अंध श्रद्धा दिखाए...?????

जागो हिन्दुओं...... अगर ऐसे ही आँख बंद करके भेडचाल में चलते रहे तो...... कल को तुम्हारा कोई 

नामलेवा नहीं बचेगा....!

Sunday, June 9, 2013

मेरा देश भारत है.... "इण्डिया नहीं"...


इण्डिया बोलने से पहले विचारे : क्या अर्थ है
इण्डिया का ?.......इण्डियन शब्द को अंग्रजो ने इडियट शब्द से बनाया है, अर्थात
जो इडियट (जाहिल गंवार) होता है वो इण्डियन है।
इसीलिए उन्होंने भारत देश में आकर पूर्व दिशा में (कलकत्ता) अपने पहले कॉर्पोरेट दफ्तर
(कम्पनी) का नाम"ईस्ट इण्डिया"
रखा क्यूंकि वो भारत के लोगों का शोषण करने के लिए आये थे, उन पर राज करने के लिए ...आये थे। अंग्रेजो को भारत नाम बोलने मे परेशानी होती थी -अंग्रेज़ 'इंडियन' उस
व्यक्ति को कहते है जो उनके हिसाब से जाहिल माना जाता है, अंग्रेज़ इंडियन उस
व्यक्ति को कहते थे जो पाषाण कालीन जीवन जीता है।
"Remember the old British notorious
signboard 'Dogs and Indians not
allowed."
वो भारत के लोगों को जाहिल गंवार यानि इडियट
मानते थे इसीलिए इडियट शब्द में थोडा परिवर्तन
करके उन्होंने यहाँ के लोगों को इण्डियन कहना शुरू किया। इसीलिए आप देखें विश्व में
जहाँ - जहाँ अंग्रजों का राज था वहां पर 'इण्डियन' यानि इडियट मिल जायेंगे। "जैसे रेड इण्डियन, ब्लैक इण्डियन, वेस्टइंडीज" इत्यादि।
हर भारतीय के नाम का अर्थ है.... हमारे यहाँ बिना भावार्थ के नाम रखने की असांस्कृतिक
परंपरा नहीं है। लेकिन हमारे भारत के नाम का अर्थ है:
भारत : भा = प्रकाश रत =लीन... (यानि हमेशा प्रकाश, ज्ञान मे लीन)
इतना महान अर्थ से परिपूर्ण हमारे देश का नाम है फिर भी
क्यूँ हम ऐसे लोगो के दिये नाम 'इण्डिया' का इस्तेमाल करें जिन्होने हमारे देश के शहीदों पर इतने अत्याचार किए ? क्यूँ हम अपने ही देश
को गाली दें ? जो भारत को इण्डिया कहते है वे मात्र मैकाले के दिये वचनो का पालन कर रहे हैं। भारत और इण्डिया मे काफी अंतर है हमारा देश भारत है इंडिया नहीं। जो भारतीय भाई - बहन मेरी बातों से सहमत
हो वो कृपया इस जानकारी को उन पढ़े लिखे काले अंग्रेजों तक जरूर पहुँचायें जो अपने-
आपको इडियट यानि (इण्डियन) कहलाने में
ज्यादा गर्व महसूस करते हैं। उन्हें समझाए की उन्हें भारतीय कहलाना ज्यादा पसन्द है या इडियट यानि मूर्ख..??

वाह रे काले अंग्रेजो....गोरे अंग्रेजों ने अगर तुम्हारी प्रसंशा की होती तो वो समझ में
आती थी....पर उनके द्वारा मुर्ख कहे जाने पर भी तुम अपने आपको अगर महान गौरवान्वित महसूस करते हो तो तुम्हारा भगवान ही मालिक है। वैसे मैकाले का उद्देश्य भी ये ही था। मैकाले तो इस दुनिया से कब का चला गया लेकिन उसके उत्पाद आज भी उत्पादित हो रहे हैं।

शर्म करो.... शर्म करो.... शर्म करो....!!
ईडियट ईन्डियन नही भारतीय बनो.... आज से..... अभी से......

Friday, June 7, 2013

साईं का पर्दाफाश :




आज आर्यावर्त मेँ तथाकथित भगवानोँ का एक दौर चल पड़ा है। यह संसार अंधविश्वास और तुच्छ ख्याति- सफलता के पीछे भागने वालोँ से भरा हुआ है।
“यह विश्वगुरू आर्यावर्त का पतन ही है कि आज परमेश्वर की उपासना की अपेक्षा लोग गुरूओँ, पीरोँ और कब्रोँ पर सिर पटकना ज्यादा पसन्द करते हैँ।”

आजकल सर्वत्र साँई बाबा की धूम है, कहीँ साँई चौकी, साँई संध्या और साँई पालकी मेँ मुस्लिम कव्वाल साँई भक्तोँ के साथ साँई जागरण करने मेँ लगे हैँ। मन्दिरोँ मेँ साँई की मूर्ति सनातन काल के देवी देवताओँ के साथ सजी है। मुस्लिम तान्त्रिकोँ ने भी अपने काले इल्म का आधार साँई बाबा को बना रखा है व उनकी सक्रियता सर्वत्र देखी जा सकती है। इन सबके बीच साँई बाबा को कोई विष्णु का ,कोई शिव का तथा कोई दत्तात्रेय का अवतार बतलाता है।

साईँ के जीवनचरित्र की एकमात्र प्रामाणिक उपलब्ध पुस्तक है- “साँईँ सत्चरित्र”॥

इस पुस्तक के अध्ययन से साईँ के जिस पवित्र चरित्र का अनुदर्शन होता है,
क्या आप उसे जानते हैँ?

चाहे चीलम पीने की बात हो, चाहे स्त्रियोँ को अपशब्द कहने की?
चाहे माँसाहार की बात हो, या चाहे धर्मद्रोही, देशद्रोही व इस्लामी कट्टरपन की….

इन सबकी दौड़ मेँ शायद ही कोई साँई से आगे निकल पाये। यकीन नहीँ होता न?
तो आइये चलकर देखते हैँ…

]साँई माँसाहार का प्रयोग करता था व स्वयं जीवहत्या करता था?
प्रमाण:-
(1)मस्जिद मेँ एक बकरा बलि देने के लिए लाया गया। वह अत्यन्त दुर्बल और मरने वाला था। बाबा ने उनसे चाकू लाकर बकरा काटने को कहा।
-:अध्याय 23. पृष्ठ 161.

(2)तब बाबा ने काकासाहेब से कहा कि मैँ स्वयं ही बलि चढ़ाने का कार्य करूँगा।
-:अध्याय 23. पृष्ठ 162.

(3)फकीरोँ के साथ वो आमिष(मांस) और मछली का सेवन करते थे।
-:अध्याय 5. व 7.

(4)कभी वे मीठे चावल बनाते और कभी मांसमिश्रित चावल अर्थात् नमकीन पुलाव।
-:अध्याय 38. पृष्ठ 269.

(5)एक एकादशी के दिन उन्होँने दादा कलेकर को कुछ रूपये माँस खरीद लाने को दिये। दादा पूरे कर्मकाण्डी थे और प्रायः सभी नियमोँ का जीवन मेँ पालन किया करते थे।
-:अध्याय 32. पृष्ठः 270.

(6)ऐसे ही एक अवसर पर उन्होने दादा से कहा कि देखो तो नमकीन पुलाव कैसा पका है? दादा ने योँ ही मुँहदेखी कह दिया कि अच्छा है। तब बाबा कहने लगे कि तुमने न अपनी आँखोँ से ही देखा है और न ही जिह्वा से स्वाद लिया, फिर तुमने यह कैसे कह दिया कि उत्तम बना है? थोड़ा ढक्कन हटाकर तो देखो। बाबा ने दादा की बाँह पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन मेँ डालकर बोले -”अपना कट्टरपन छोड़ो और थोड़ा चखकर देखो”।
-:अध्याय 38. पृष्ठ 270.

प्रश्न:-
{1}क्या साँई की नजर मेँ हलाली मेँ प्रयुक्त जीव ,जीव नहीँ कहे जाते?{2}क्या एक संत या महापुरूष द्वारा क्षणभंगुर जिह्वा के स्वाद के लिए बेजुबान नीरीह जीवोँ का मारा जाना उचित होगा?{3}सनातन धर्म के अनुसार जीवहत्या पाप है।
तो क्या साँई पापी नहीँ?{4}एक पापी जिसको स्वयं क्षणभंगुर जिह्वा के स्वाद की तृष्णा थी, क्या वो आपको मोक्ष का स्वाद चखा पायेगा?{5}तो क्या ऐसे नीचकर्म करने वाले को आप अपना आराध्य या ईश्वर कहना चाहेँगे?


{1}साँई जिन्दगी भर एक मस्जिद मेँ रहा, क्या इससे भी वह मुस्लिम सिध्द नहीँ हुआ? यदि वह वास्तव मेँ हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक होता तो उसे मन्दिर मेँ रहने मेँ क्या बुराई थी?{2}सिर से पाँव तक इस्लामी वस्त्र, सिर को हमेशा मुस्लिम परिधान कफनी मेँ बाँधकर रखना व एक लम्बी दाढ़ी, यदि वो हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक होता तो उसे ऐसे ढ़ोँग करने की क्या आवश्यकता थी?
क्या ये मुस्लिम कट्टरता के लक्षण नहीँ हैँ?{3}वह जिन्दगी भर एक मस्जिद मेँ रहा, परन्तु उसकी जिद थी की मरणोपरान्त उसे एक मन्दिर मेँ दफना दिया जाये, क्या ये न्याय अथवा धर्म संगत है? “ध्यान रहे ताजमहल जैसी अनेक हिन्दू मन्दिरेँ व इमारते ऐसी ही कट्टरता की बली चढ़ चुकी हैँ।”{4}उसका अपना व्यक्तिगत जीवन कुरान व अल-फतीहा का पाठ करने मेँ व्यतीत हुआ, वेद व गीता नहीँ?, तो क्या वो अब भी हिन्दू मुस्लिम एकता का सूत्र होने का हक रखता है?{5}उसका सर्वप्रमुख कथन था “अल्लाह मालिक है।”परन्तु मृत्युपश्चात् उसके द्वितीय कथन “सबका मालिक एक है” को एक विशेष नीति के तहत सिक्के के जोर पर प्रसारित किया गया। यदि ऐसा होता तो उसने ईश्वर-अल्लाह के एक होने की बात क्योँ नहीँ की?

फकीरों के साथ वो मांस और मच्छली का सेवन करते थे. कुत्ते भी उनके भोजन पत्र में मुंह डालकर स्वतंत्रता पूर्वक खाते थे.(अध्याय 7 साईं सत्चरित्र ) अपने स्वार्थ वश किसी प्राणी को मारकर खाना किसी इश्वर का तो काम नहीं हो सकता और कुत्तों के साथ खाना खाना किसी सभ्य मनुष्य की पहचान भी नहीं है.

अमुक चमत्कारों को बताकर जिस तरह उन्हें भगवान् की पदवी दी गयी है इस तरह के चमत्कार तो सड़कों पर जादूगर दिखाते हें . काश इन तथाकथित भगवान् ने इस तरह की जादूगरी दिखने की अपेक्षा कुछ सामाजिक उत्तथान और विश्व की उन्नति एवं समाज में पनप रहीं समस्याओं जैसे बाल विवाह सती प्रथा भुखमरी आतंकवाद भास्ताचार अआदी के लिए कुछ कार्य किया होता!


साई को अगर ईश्वर मान बैठे हो अथवा ईश्वर का अवतार मान बैठे हो तो क्यो?आप हिन्दू है तो सनातन संस्कृति के किसी भी धर्मग्रंथ में साई महाराज का नाम तक नहीं है।तो धर्मग्रंथो को झूठा साबित करते हुये किस आधार पर साई को भगवान मान लिया ?( और पौराणिक ग्रंथ कहते है कि कलयुग में दो अवतार होने है ….एक भगवान बुद्ध का हो चुका दूसरा कल्कि नाम से अंतिम चरण में होगा……. ।){ वेदों में तो अवतारवाद नहीं हैं |}




अगर साई को संत मानकर पूजा करते हो तो क्यो? क्या जो सिर्फ अच्छा उपदेश दे दे या कुछ चमत्कार दिखा दे वो संत हो जाता है?साई 

महाराज कभी गोहत्या पर बोले?, साई महाराज ने उस समय उपस्थित कौन सी सामाजिक बुराई को खत्म किया या करने का प्रयास किया |

अगर आप पौराणिक हो और अगर मनोकामना पूर्ति के लिए साई के भक्त बन गए हो तो तुम्हारी कौन सी ऐसी मनोकामना है जो कि भगवान शिवजी , या श्री विष्णु जी, या कृष्ण जी, या राम जी पूरी नहीं कर सकते सिर्फ साई ही कर सकता है?तुम्हारी ऐसी कौन सी मनोकामना है जो कि वैष्णो देवी, या हरिद्वार या वृन्दावन, या काशी या बाला जी में शीश झुकाने से पूर्ण नहीं होगी ..वो सिर्फ शिरडी जाकर माथा टेकने से ही पूरी होगी।


ॐ साई राम ……..ॐ हमेशा मंत्रो से पहले ही लगाया जाता है अथवा ईश्वर के नाम से पहले …..साई के नाम के पहले ॐ लगाने का अधिकार कहा से पाया? जय साई राम ………. श्री मे शक्ति माता निहित है ….श्री शक्तिरूपेण शब्द है ……. जो कि अक्सर भगवान जी के नाम के साथ संयुक्त किया जाता है ……. तो जय श्री राम में से …..श्री तत्व को हटाकर ……साई लिख देने में तुम्हें गौरव महसूस होना चाहिए या शर्म आनी चाहिये?


संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये , संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे … इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो … कितनी भयावह मूर्खता है ये ….महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ?




यह संसार अंधविश्वास और तुच्छ ख्यादी एवं सफलता के पीछे भागने वालों से भरा पड़ा हुआ है. दयानंद सरस्वती, महाराणा प्रताप, शिवाजी, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, सरीखे लोग जिन्होंने इस देश के लिए अपने प्राणों को न्योच्चावर कर दीये लोग उन्हिएँ भूलते जा रहे हैं और साईं बाबा जिसने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में न कोई योगदान दिया न ही सामाजिक सुधार में कोई भूमिका रही उनको समाज के कुछ लोगों ने भगवान् का दर्जा दे दिया है. तथा उन्हें योगिराज श्री कृष्ण और मायादापुरुशोत्तम श्री राम के अवतार के रूप में दिखाकर न केवल इन महापुरुषों का अपमान किया जा रहा अपितु नयी पीडी और समाज को अवनति के मार्ग की और ले जाने का एक प्रयास किया जा रहा है.

आवश्यकता इस बात की है की है की समाज के पतन को रोका जाये और जन जाग्रति लाकर वैदिक महापुरुषों को अपमानित करने की जो कोशिशे की जा रही, उनपर अंकुश लगाया जाये.



मैंने अधिकतर साईं भक्तो को देखा है जो शिर्डी साईं की अंधभक्ति करते है, पर ऐसे अंधभक्तो को एक आँख खोलने वाला उपाय बता रहा, कृपया करके आप साईं सत्चरित्र जरुर पढ़े तीसरे अध्याय तक आप साईं को मानना ही छोड़ देंगे यदि आप शाकाहारी है, अगले अध्यायों में आप 22, 23 और 38 अध्याय पढ़ कर तो बस क्या कहू, अगर बुद्धि होगी और दिमाग की बत्ती जल होगी तो इस साईं नाम के राक्षस को अपने जीवन से निकल कर बाहर फेंक देंगे और बकियों को भी बचाने की सोचेंगे, पर अगर मुर्ख होंगे तो ही आप साईं ही भक्ति करेंगे, आज के समय में हिन्दुओ के पतन का सबसे बड़ा कारण साईं ही है, इसलिए जितने भी साईं भक्त है उनसे मेरी प्रार्थना है की साईं सत्चरित्र अवश्य पढ़े,,, ये आपकी अंधश्रद्धा नहीं बल्कि आपके लाखो साल पुराने सनातन धर्म के अस्तित्व का प्रशन है जो आपकी मुर्खता के कारण पतन की और जा रहा है, अगर आप अब भी नहीं संभले तो आपके आने वाली संताने खतना करा कर नमाज पढ़ती नजर आयेंगी,, इसलिए पढ़े और जागे..... असतो मा सद्गमयः तमसो मा ज्योतिर्गमयः (हे परमेश्वर! हमेँ बुराई से अच्छाई, व अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो)


जैसे सूर्य आकाश में छिपकर नहीं रह सकता, वैसे ही मार्ग दिखलाने वाले महापुरुष भी संसार में छिप कर नहीं रह सकते। वेदव्यास (महाभारत, वनपर्व)) यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम् गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं. जैसे की ये साईं

Jai Hind...







Thursday, June 6, 2013

शब्दों का मैं सवेरा हूँ........ इन्कलाब लिखता हूँ....!

शब्दों का मैं सवेरा हूँ........ इन्कलाब लिखता हूँ....! अपने स्वर्णिम हिन्दू धर्म के इतिहास की... स्वर्णिम किताब लिखता हूँ.. माना सवाल बहुत से उठते हैं ....मुझ पर अब... लेकिन मैं अपने शब्दों से ही ...दुश्मनों को जवाब लिखता हूँ......!! क्योंकि... हो अगर मौसम प्यार की तो.... मैं भी प्यार लिखूंगा...! चूड़ियों की खनक और..... प्रेमिका के पायल की झंकार लिखूंगा...!! मगर... जब खून से खेलें.... मजहबी ताकत जेहाद के नाम पर.... डुबा कर लेखनी को खून में अपने... शब्दों के बदले अंगार लिखूंगा....!! जय महाकाल...!!!

मिलावट से जंग:




मिलावट से बचने के लिए ----------
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 इस काम की जानकारी को सभी Share करें...

 1) सेब की चमक देखकर ज्यादा खुश मत होइए। ज्यादातर यह चमक सेब पर वैक्स पॉलिश की वजह से दिखती है। इसकी जांच के लिए बस एक ब्लेड लीजिए और सेब को हल्के-हल्के खुरचिए। अगर कुछ सफेद पदार्थ निकले, तो आपको बधाई क्योंकि आप मोम खाने से बच गए!

 2) अगली बार चाय बनाने से पहले चायपत्ती को जरूर जांचें। चायपत्ती ठंडे पानी में डालने पर रंग छोड़े तो साफ है कि उसमें मिलावट है या वह एक
 बार यूज हो चुकी है।

 3) मटर के दाने खरीदें हैं, तो उसमें से एक हिस्से को पानी में डालकर हिलाएं और 30 मिनट तक छोड़ दें। अगर पानी रंगीन हो जाता है तो नमूने में मेलाकाइट हरे की मिलावट है। ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां (अल्सर, ट्यूमर आदि) होने का खतरा रहता है।

 4) खाने में पिसी हल्दी का रोजाना इस्तेमाल होता है। हल्दी में मेटानिल येलो की मौजूदगी से कैंसर हो सकता है। इसका टेस्ट भी हल्दी पाउडर में पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पांच बूंद पानी डालकर कर सकते हैं। अगर सैंपल बैंगनी हो जाए, तो हल्दी मिलावटी है।

 5) अगर आप पिसी हल्दी में मिलावट से बचने के लिए साबूत हल्दी को लाकर खुद पिसवाते हैं या किसी और तरीके से साबूत हल्दी को इस्तेमाल करते हैं, तो यह भी काफी रिस्की है। हल्दी की पहचान करने के लिए पेपर पर हल्दी को रखकर ठंडा पानी मिलाएं। अगर रंग अलग हो जाए तो हल्दी पॉलिश की हुई है।

 6) मसाले में इस्तेमाल होने वाली दालचीनी में अमरूद की छाल मिलाई जाती है। इसे हाथ पर रगड़कर देखें, अगर यह नकली होगी तो कोई कलर नहीं आएगा। —