Tuesday, August 27, 2013

दिल्ली का लालकिला लाल कोट ही है जो शाहजहाँ से कई साल पहले पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था।

टीइतिहास के नाम पर झूठ क्यों पढ़ रहे है ??
क्या कभी किसी ने सोचा है की इतिहास के नाम पर हम झूठ
क्यों पढ़ रहे है?? सारे प्रमाण होते हुए भी झूठ को सच
क्यों बनाया जा रहा है?? हम भारतीयो की बुद्धि की आज
ऐसी दशा हो गयी है की अगर एक आदमी की पीठ मे खंजर मार कर
हत्या कर दी गयी हो और उसको आत्महत्या घोषित कर
दिया जाए तो कोई भी ये भी सोचने का प्रयास
नही करेगा की कोई आदमी खुद की पीठ मे खंजर कैसे मार
सकता है....यही हाल है हम सब का की सच देख कर भी झूठ को सच
मानना फ़ितरत बना ली है हमने.....
***दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से भी कई
शताब्दी पहलेपृथवीराज चौहान द्वारा बनवाया हुआ लाल कोट
है*** जिसको शाहजहाँ ने पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश
करी थी ताकि वो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके..लेकिन
सच सामने आ ही जाता है.
*इसके पूरे साक्ष्य प्रथवीराज रासो से मिलते है
*शाहजहाँ से २५० वर्ष पहले १३९८ मे तैमूर लंग ने
पुरानी दिल्ली का उल्लेख करा है
(जो की शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है)
*सुअर (वराह) के मुह वाले चार नल अभी भी लाल किले के एक खास
महल मे लगे है. क्या ये शाहजहाँ के इस्लाम का प्रतीक चिन्ह है
या हमारे हिंदुत्व के प्रमाण??
*किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है राजपूत
राजा लोग गजो( हाथियों ) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात
थे ( इस्लाम मूर्ति का विरोध करता है)
* दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से कुंड बना है जिसके फर्श पर हिंदुओं
मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है, केसर कुंड हिंदू शब्दावली है जो की हमारे
राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्रयुक्त
होती रही है
* मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का कोई भी अस्तित्व
नही है दीवानेखास और दीवाने आम मे.
*दीवानेखास के ही निकट राज की न्याय तुला अंकित है ,
अपनी प्रजा मे से ९९% भाग को नीच समझने वाला मुगल
कभी भी न्याय तुला की कल्पना भी नही कर सकता,
ब्राह्मानो द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय
तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसीध है
*दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 के
अंबर के भीतरी महल (आमेर--पुराना जयपुर) से मिलती है
जो की राजपूताना शैली मे बना हुवा है
*लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने देवालय जिनमे से एक लाल
जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकार मंदिर दोनो ही गैर मुस्लिम है
जो की शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं ने बनवाए
हुए है.
*लाल किले का मुख्या बाजार चाँदनी चौक केवल हिंदुओं से
घिरा हुआ है, समस्त पुरानी दिल्ली मे अधिकतर आबादी हिंदुओं
की ही है, सनलिष्ट और घूमाओदार शैली के मकान भी हिंदू शैली के
ही है ..क्या शाजहाँ जैसा धर्मांध व्यक्ति अपने किले के आसपास
अरबी, फ़ारसी, तुर्क, अफ़गानी के बजे हम हिंदुओं के लिए मकान
बनवा कर हमको अपने पास बसाता ???
*एक भी इस्लामी शिलालेख मे लाल किले का वर्णन नही है
*""गर फ़िरदौस बरुरुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता,
हमीं अस्ता""--अर्थात इस धरती पे अगर कहीं स्वर्ग है तो यही है,
यही है, यही है....
इस अनाम शिलालेख को कभी भी किसी भवन
का निर्मांकर्ता नही लिखवा सकता ..और ना ही ये किसी के
निर्मांकर्ता होने का सबूत देता है
इसके अलावा अनेकों ऐसे प्रमाण है जो की इसके लाल कोट होने
का प्रमाण देते है, और ऐसे ही हिंदू राजाओ के सारे प्रमाण नष्ट करके
हिंदुओं का नाम ही इतिहास से हटा दिया गया है, अगर हिंदू
नाम आता है तो केवल नष्ट होने वाले शिकार के रूप मे......ताकि हम
हमेशा ही अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ कर इस झूठे इतिहास से
प्रेरणा ले सके...सही है ना???..लेकिन कब तक अपने धर्म को ख़तम करने
वालो की पूजा करते रहोगे और खुद के सम्मान को बचाने वाले
महान हिंदू शासकों के नाम भुलाते रहोगे..ऐसे ही....??????? -
इस सारी सच्चाई को ज्यादा जानने के लिए प्रो. पी.एन. ओक
जी की ये पुस्तके डाउनलोड करे और पढे ::

http://www.archive.org/download/HindiBooksOfP.n.Oak/
DilliKeLalKilaLalKothHeiP.n.Oak.pdf
http://www.archive.org/download/HindiBooksOfP.n.Oak/
FatehpurSikriEkHinduNagar.pdf

Thursday, August 15, 2013

झूठी आज़ादी की सच्ची कहानी।


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15 अगस्त आजादी नहीं धोखा है, देश का समझौता है , शासन नहीं शासक बदला है, गोरा नहीं अब काला है 15 अगस्त 1947 को देश आजाद नहीं हुआ तो हर वर्ष क्यों ख़ुशी मनाई जाती है ?

क्यों भारतवासियों के साथ भद्दा मजाक …किया जा रहा है l
यह नेहरू का वो पत्र है जो साबित करता है कि 15 अगस्‍त 1947 को भारत आजाद नहीं हुआ था। इस पत्र से जाहिर होता है कि देश को कांग्रेस ने एक और झूठ बताया है। 1948 में लिखे गए इस पत्र मे नेहरू ने इंग्‍लैंड की महारानी के निर्देश और आदेश पर राजगोपालाचारी को भारत उपनिवेश में महारानी का प्रतिनिधि बताया है।

भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सेवा करूँगा l ”

इस सन्दर्भ में निम्नलिखित तथ्यों को जानें …. :

1. भारत को सत्ता हस्तांतरण 14-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक प्रकाश में नहीं आने थे (50 वर्षों तक ) l

2. भारत सरकार का संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है l

3. संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा संसद की कार्यवाही अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में होने के बजाय अंग्रेजी भाषा में होगी l

4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए, यहाँ के घोषणा पत्र के खंड 3 में भारत वर्ष की इस इच्छा को निश्चयात्मक रूप में बताया है की वह …

क ) ज्यों का त्यों ब्रिटिश का राज समूह सदस्य बना रहेगा तथा

ख ) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशों के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट को चिन्ह (प्रतीक) समझेगा, जिनमे शामिल हैं ….. (इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका) … तथा

ग ) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा l

5. भारत की विदेश नीति तथा अर्थ नीति, भारत के ब्रिटिश का उपनिवेश होने के कारण स्वतंत्र नहीं है अर्थात उन्हीं के अधीन है l

6. नौ-सेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं है l

7. जन गन मन अधिनायक जय हे … हमारा राष्ट्र-गान नहीं है, अपितु जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उसके स्वागत में गाया गया गान है, उपनिवेशिक प्रथाओं के कारण दबाव में इसी गीत को राष्ट्र-गान बना दिया गया … जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l

8. सन 1948 में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत भाग 1 (1) 1948 के बर्तानिया के कानून के अनुसार हर भारतवासी बर्तानिया की रियाया है और यह कानून भारत के गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l

9. यदि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो प्रथम गवर्नर जनरल माउन्ट-बेटन को क्यों बनाया गया ??

10. 22 जून 1948 को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सव्वा करूँगा l ”

11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता विधि से भारत के दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें ब्रिटिश Common-Wealth की … धारा नं. 9 (1) – (2) – (3) तथा धारा नं. 8 (1) – (2) धारा नं. 339 (1) धारा नं. 362 (1) – (3) – (5) G – 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतर्गत …. इन उपरोक्त कानूनों को तोडना या भंग करना भारत सरकार की सीमाशक्ति से बाहर की बात है तथा प्रत्येक भारतीय नागरिक इन धाराओं के अनुसार ब्रिटिश नागरिक अर्थात गोरी सन्तान है l

12. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 तथा indian independence act 1947 के अधीन ही की जा सकती है … यह एक्ट ब्रिटिश सरकार ने लागू किये l

13. भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद नं. 366, 371, 372 एवं 392 को बदलने या रद्द करने की क्षमता भारत सरकार को नहीं है l

14. भारत सरकार के पास ऐसे ठोस प्रमाण अभी तक नहीं हैं, जिनसे नेताजी की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु साबित होती है l इसके उपरान्त मोहनदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ब्रिटिश न्यायाधीश के साथ यह समझौता किया कि अगर नेताजी ने भारत में प्रवेश किया, तो वह गिरफ्तार ककर ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया जाएगाl बाद में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान उन सभी राष्ट्रभक्तों की गिरफ्तारी और सुपुर्दगी पर मुहर लगाईं गई जिनको ब्रिटिश सरकार पकड़ नहीं पाई थी l

15. डंकल व् गैट, साम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजों से लाने का सुलभ रास्ता बनाया है ताकि भारत की सत्ता फिर से इनके हाथों में आसानी से सौंपी जा सके l
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है की सम्पूर्ण भारतीय जनमानस को आज तक एक धोखे में ही रखा गया है, तथाकथित नेहरु गाँधी परिवार इस सच्चाई से पूर्ण रूप से अवगत थे परन्तु सत्तालोलुभ पृवृत्ति के चलते आज तक उन्होंने भारत की जनता को अँधेरे में रखा और विश्वासघात करने में पूर्ण रूप से सफल हुए l

Wednesday, August 14, 2013

सुन नापाक पाक

भारत तुझको नमस्कार है।


भारत तुझसे मेरा नाम है,
भारत तू ही मेरा धाम है।
भारत मेरी शोभा शान है,
भारत मेरा तीर्थ स्थान है।
भारत तू मेरा सम्मान है,
भारत तू मेरा अभिमान है।
भारत तू धर्मों का ताज है,
भारत तू सबका समाज है।
भारत तुझमें गीता सार है,
भारत तू अमृत की धार है।
भारत तू गुरुओं का देश है,
भारत तुझमें सुख संदेश है।
भारत जबतक ये जीवन है,
भारत तुझको ही अर्पण है।
भारत तू मेरा आधार है,
भारत मुझको तुझसे प्यार है।
भारत तुझपे जां निसार है,
भारत तुझको नमस्कार है।

-अशोक कुमार वशिष

Tuesday, July 30, 2013

जागो रे।

जागो रे
एक राजा था जिसकी प्रजा हम भारतीयों की तरह सोई हुई थी ! बहुत से तीस मार खां लोगों ने कोशिश की प्रजा जग जाए .. अगर कुछ गलत हो रहा है  तो उसका विरोध करे, लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था !

राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये प्रजा चुप रही
राजा ने अजीबो गरीब टेक्स लगाए प्रजा चुप रही
राजा ज़ुल्म करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही

एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई उसने एक अच्छे-चौड़े रास्ते को खुदवा के एक पुल बनाया .. जबकि वहां पुल की कतई ज़रूरत नहीं थी .. प्रजा फिर भी चुप थी किसी ने नहीं पूछा के भाई यहा तो किसी पुल की ज़रूरत नहीं है आप काहे बना रहे है ?

राजा ने अपने सैनिक उस पुल पे खड़े करवा दिए और पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से टेक्स लिया जाने लगा फिर भी किसी ने कोई विरोध नहीं किया ! फिर राजा ने अपने सैनिको को हुक्म दिया कि जो भी इस पुल से गुजरे उसको 4 जूते मारे जाए और एक शिकायेत पेटी भी पुल पर रखवा दी कि किसी को अगर कोई शिकायेत हो तो शिकायेत पेटी मे लिख कर डाल दे लेकिन प्रजा फिर भी चुप !

राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल कर देखता की शायद किसी ने कोई विरोध किया हो लेकिन उसे हमेशा पेटी खाली मिलती ! कुछ दिनो के बाद अचानक एक एक चिट्ठी मिली ... राजा खुश हुआ के चलो कम से कम एक आदमी तो जागा ,,,,, जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे लिखा था - "हुजूर जूते मारने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए ... हम लोगो को काम पर जाने मे देरी होती है !
Yahi india me ho raha hai!