अमेरिका में Intel कम्पनी की एक साइंस प्रतियोगिता में "किशोर वैज्ञानिक" हेतु भारतीय मूल के 17 वर्षीय किशोर नितिन रेड्डी तुम्मा ने पुरस्कार जीता और उन्हें Intel की ओर एक लाख डॉलर मिला है…।
17 साल के नितिन तुम्मा द्वारा कैंसर कोशिकाओं पर खोज का एक नायाब आइडिया दिया गया है। Intel कम्पनी ने नितिन की आगे की खोज एवं पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फ़ैसला किया है। अमेरिका के प्रसिद्ध कैंसर वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि यदि नितिन इसी तरह अपनी प्रतिभा दर्शाते रहे तो उन्हें एक दिन नोबल पुरस्कार भी मिल सकता है।
यही नहीं… पिछले वर्ष भी 16 वर्षीय श्रीचन्द्र बोस और नाओमी शाह ने भी दवा निर्माण के क्षेत्र में भारतीय प्रतिभा प्रदर्शित करके Intel की ओर से भारी-भरकम पुरस्कार जीते थे…
नितिन तुम्मा को बधाईयाँ एवं शुभकामनाएं…
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लगता है भारतीय प्रतिभाएं, देश के बाहर जाकर अधिक नाम कमाती हैं। यहाँ तो लालफ़ीताशाही, आरक्षण, भाई-भतीजावाद और नेतागिरी उनका गला घोंट देती है…।
हम लोग भी ऐसे प्रतिभाशाली और बुद्धिमानों को कोई सम्मान मिलने पर "हें हें हें हें हें हें हें हें हें… ये तो भारतीय मूल के ही हैं…" कहकर खामख्वाह खुश हो लेते हैं…
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