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विद्वान् पाठकों को FDI के बारे में अवश्य ही पता होगा फिर भी सामान्य पाठकों की जानकारी के लिए सरल शब्दों में मेने दिव्या श्रीवास्तव से ली है, अवश्य पड़े और जाने की क्या है सच्चाई --
FDI अर्थात किसी देश का अन्य देश में निवेश करना। यह निवेश किसी भी क्षेत्र में हो सकता है , लेकिन आजकल जो मुद्दा सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है , वह है FDI- Retail का। उदाहरण के लिए 'वालमार्ट' ।विदेशी कंपनी ५१ प्रतिशत की भागीदारी के साथ हमारे देश में 'वालमार्ट' आदि के द्वारा निवेश करना चाहती है, जिसकी अनुमति श्री सिंह ने दी है।
- > क्यों करना चाहती है निवेश ? विदेशी कंपनी को क्या लाभ होगा ?
#जाहिर सी बात है , पैसा कमाने के लिए।
#निस्वार्थ तो करेगी नहीं दान देने की प्रथा केवल भारत में है , विदेशों में नहीं।
#भारत का हित तो चाहेंगे नहीं, अपना हित देखकर ही निवेश कर रहे हैं।
#इससे इन्हें एक बड़ी मार्केट मिलेगी , इनका नाम , प्रचार और टर्न -ओवर बढ़ जाएगा।
#मालामाल पहले से थीं , अब और हो जायेंगी।
#सीधा लाभ निवेश करने वाले देश को होगा। उसकी आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।
- > FDI -Retail से भारत को क्या लाभ होगा ?
#एक अच्छी और निरंतर सप्लाई मिलेगी खाद्य और अन्य वस्तुओं की --#लेकिन यह आपूर्ति हम अपने स्वदेशी संसाधनों द्वारा बखूबी कर सकते हैं।
#अपने गोदामों में सड़ते अनाज का इस्तेमाल करके भी कर सकते हैं।
#एक लाभ है क्वालिटी और variety मिलेगी (क्या अपने देश में क्वालिटी नहीं है ? यदि नहीं है तो उस दिशा में प्रयास किये जाएँ)
#देश को एक अच्छा इन्फ्रा-स्ट्रक्
- > इस निवेश से संभावित नुक्सान--
# छोटे तथा घरेलू उद्योग समाप्त हो जायेंगे।
जैसे अमेरिका जैसे बड़े देशो में हुआ ....
# छोटे व्यापारी उजड़ जायेंगे।
# किसान बर्बाद हो जायेंगे। वे अपनी ही जमीं पर नौकर बन जायेंगे
# गरीबों की आजीविका छीन जायेगी।
# वालमार्ट अपना पाँव पसारेगा तो धीरे धीरे हमारी ज़मीनें भी महंगे
दामों में खरीद कर अपनी जडें मजबूत करेगा और रियल स्टेट के दाम बढेंगे।
# पूर्व में गुलामी भी इसी तरह विदेशी कंपनियों की घुसपैठ से ही मिली थी।
हज़ारों लोग बेरोजगार हो जायेंगे।
# दूसरा कोई विकल्प न होने के कारण ये आत्महत्या करने पर मजबूर हो जायेंगे।
# अपने देशवासियों के साथ घात करके विदेश को संपन्न करना कहाँ की अकलमंदी है?
इस तरह से तो हमारा देश तरक्की नहीं करेगा बल्कि हम अपने देश की गरीब जनता, छोटे मोटे व्यापारी , उधोगपति, किसानों आदि के पेट पर लात मारेंगे।
श्री सिंह तो देशवासियों के दर्द को समझ नहीं रहे , लेकिन हम और आप इस निवेश के खिलाफ एकजुट होकर इसका बहिष्कार कर सकते हैं। हमने स्वदेशी के इस्तेमाल द्वारा आजादी पायी थी और विदेशी सामानों का बहिष्कार किया था। आज एक बार फिर उसी जागरूकता की ज़रुरत है वरना देश पुनः इन विदेशियों के चंगुल में चला जाएगा।
बेरोजगारी से पीड़ित हो हज़ारों लोग भूखे मरेंगे , रोयेंगे और कलपेंगे, आत्महत्या करेंगे,
वहीँ हमारी आने वाली पीढियां हो सकता है गुलाम भारत में ही जन्म लें। अतः सचेत रहने की अति-आवश्यकता है।
ये विदेशी कम्पनियाँ हम पर राज करेंगी और हमें कई दशक पीछे धकेल देंगीं ।