लेख लम्बा जरूर है पर जन जागृति के लिए अत्यंत आवश्यक है, निवेदन है एक बार समय निकाल कर पढ़ें और यदि ठीक लगे तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाएं...
क्या खाओगे रोटी या कंप्यूटर ?
खाने के लिए रोटी की ज़रूरत होती है कंप्यूटर की नहीं??
आप लोग सोच रहे हैं ये क्या पागलपन की बात लिखी है कोई कंप्यूटर कब खाता या खिलाता है !
इसे आगे पढिये आप खुद जान जायेंगे क्या हो रहा है इस देश में ! जैंसा की हम सभी जानते हैं के हमारा देश हमेशा से कृषि प्रधान रहा है और हमारी देश का आधे से ज्यादा धन या अर्थव्यवस्था कृषि से ही आती है ! पर आज हमें खाने की चीज़े महंगे दामो पर मिल रही है ! लगभग हर फल या सब्जी में मिलावट है यहाँ तक के गाए के दूध तक में मिलावट ! जो फल या सबजिया पहले कभी हम मुफ्त में बाट दिया करते थे आज खरीद कर नहीं मिल रही क्यों ??????
इसका कारण जानना चाहते हैं :- ये एक बहुत बड़ा मुद्दा और समस्या है जिसे आज में उठा रहा हूँ , इसलिए ध्यान से पढियेगा इसे क्योंकि अगर आज इस चीज़ पर देश में ध्यान नहीं दिया गया तो हमारा सारा देश साथ ही कई पडोसी देश भी, जो एसा कर रहे हैं, भूखे मर जायेंगे |
ये सब किसी पार्टी के कारण नहीं हमारी सोच के कारण हो रहा है ! हम देश की तरक्की के नाम पर अपना ही नुकसान कर रहे हैं और ये ऐसे हो रहा है, के ये सारे बड़े बिल्डर्स ने अपना काम शहरों में पूरा कर लिया अब उनका धंधा शहर में खत्म होने लगा , तो उन्होंने गाँव का रुख किया है | आज सारे बड़े शहर चाहे वो मुंबई, पुणे हो या बंगलोर और दिल्ली सब आस पास के छोटे छोटे गाँव से मिलकर बने हैं, और सारे गाँव में किसानो की जमीनों को बिल्डर्स ने लालच देकर या डरा धमकाकर खरीद लिया और नेताओं ने भी तरक्की और विकास के नाम पर खेतो को ख़त्म करके वह बिल्डिंग्स बनाने दी और धीरे धीरे भारत के खेत ख़त्म होने लगे न ही सिर्फ खेत साथ ही किसान भी क्योंकि .....
हमारी गन्दी सोच है के जो सूट पहना है या tie लगाया है वो महान है और ज्ञानवान है और धोती पहनने वाले लोग मुर्ख है बस इसी सोच के कारण आज किसान अपने बेटों को किसान नहीं बना रहे बल्कि इंजीनियर या डोक्टर बना रहे हैं और वो सभी बाद मे बेरोजगार घूमते हैं ???
हर किसान आज शहर जाके कंप्यूटर और लैपटॉप और सूट लेना चाहता है और खेत में काम नहीं करना चाहता क्योंकि हम उसे वह सम्मान नहीं देते!
एक गरीब किसान जो अपने दिन रात एक करके हमारे लिए फसल उगाता है अनाज उगाता है, हम उसे इज्ज़त नहीं देते यहाँ तक के बस या ट्रेन में अपने पास तक नहीं बैठने देते और कोई कंप्यूटर इंजिनियर या सूट पहना MBA हो जो कंप्यूटर या लैपटॉप लिया हो ,उसके पास सब बैठते और चाहे वो कितना भी गधा हो उसकी इज्ज़त हैं | जबकि वह या तो आपको ख़राब सामान बेचकर जा रहा है या विदेशी कंपनी को भारत का धन लूट कर भेज रहा है, तब भी किसान से ज्यादा इज्ज़त उसे देंगे क्योंकि वह अंग्रेजो वाले कपडे पहनता है ना ??????
वाह शर्म आनी चाहिए हमे अपने आप पर .......
क्या सिर्फ सूट पहनने या शहर में रहने से ही ज्ञान आता है , अरे हमारे देश में तो 'सादा जीवन उच्च विचार' की संस्कृति है , और लाखों वर्षो से यहाँ के साधू-संत जंगलों में ज्ञान प्राप्त करते आये है, किसी विदेशी स्कूल में या शहर में नहीं , बल्कि उन महान ऋषियों ने हमेशा इन बेवकूफ शहर वालों को ज्ञान दिया है , आज हम जिस अमेरिका का अनुसरण कर रहे हैं वहां आज भी विवेकानंदा के और महिर्षि योगी या ओशो या बाबा रामदेव के कई चेले हैं, किसी भारतीय mba के नहीं क्यों????
क्योंकि ज्ञान सिर्फ computer चलाना और अंग्रेजी आना नहीं होता , और अगर इन पड़े लिखे लोगो को इनकी पढाई का ज्ञान है तो किसानो को भी धर्म का इंसानियत का फसल कब उगानी है कब लगानी है इन सबका ज्ञान है , आयर्वेद का ज्ञान हे , प्रकर्ति का ज्ञान हे !!!
पर आज विकास की इस अंधी दौड़ में हम खेती की जमीनों पर कब्ज़ा करकर शोपिंग मोल और बिल्डिंग बना रहे हैं , जिससे एक दिन सभी किसान ख़त्म हो जायेंगे ?????????
इसीलिए मैंने कहा था जब किसान ख़त्म हो जायेंगे तो रोटी और अन्न ख़त्म हो जायेगा और तब खाना लैपटॉप और कंप्यूटर !
और तब लैपटॉप आएंगे २ रुपये में और रोटी १ लाख में क्योंकि laptop के बिना इन्सान जी सकता है पर रोटी के बिना नहीं| आज जनसँख्या इतनी बढ गई है के किसान को बढ़ावा मिलना चाहिए और खाने की वस्तुओं का उत्पादन और बढना चाहिए बल्कि हो उल्टा रहा है ! किसान कम हो रहे हैं वाह क्या विकास हो रहा है !
कुछ समय पहले की बात है गुडगाँव के सारे किसानो ने जमीने बिल्डर्स को बेच दी और dlf और कई बड़ी कंपनियों ने वहां बिल्डिंगे बना दी अब वो बेचारे नासमझ किसान जो अनपड़ हे , जब तक पैसा खर्च नहीं होता तब तक ऐश से रहेंगे बाद में भूखे मरेंगे और बिल्डर्स ने तो अपना काम निकाल लिया ,लेकिन उस हरयाणा की ज़मीन पर या नॉएडा के पास उत्तर प्रदेश की ज़मीन पर ,या महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे के किसानो की ज़मीन पर जो खेत थे जो अन्न उगता था , सब ख़त्म, लाखो लोगो को जहा से अनाज मिल सकता था आज सब ख़त्म,........ अब खाओ शौपिंग माल और इंजीनियरिंग कालेज ??
और सबसे ज्यादा डर की बात अब यही हे के अब यही सब छोटे प्रदेशों में भी होने लगा है मध्य प्रदेश में हो रहा है आज, भोपाल और इंदौर के पास की सारी ज़मीने बिल्डर्स ने खरीद ली और यहाँ इंजीनियरिंग कॉलेज बना रहे है या कॉलोनियां बसा रहे हैं इसी तरह चलता रहा तो एक दिन सारे किसान मरेंगे फिर उनके बच्चे मरेंगे और फिर वो लोग जिन्हें खाने नहीं मिलेगा , और फिर ..............हम सब !
ये बिल्डर्स और नेता तो करोरो रुपये लेकर निकल जायेंगे यहाँ से विदेश पर हम सबका क्या होगा?? क्या होगा इस देश की १०० करोड़ से ज्यादा जनता का ये हमें सोचना है !!!!
और यही मेरी चिंता का विषय है..................
हमे किसानो को रोकना होगा ज़मीने बेचने से उन्हें उनकी खोई इज्ज़त वापस दिलाना होगी, जिस तरह लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था जय जवान जय किसान, वैसे ही और किसानो को समझाना होगा, अपने बच्चो को किसान ही बनाये उन्हें सारी चीज़े हम गाँव में ही मुहैया करवाएंगे और उन्हें पढ़ाएंगे भी और इज्ज़त भी देंगे और इन धोखेबाज़ और खुनी बिल्डर्स को रोकना होगा वरना ताकत और पैसे के नशे में चूर ये सारे देश को या तो विदेशियों के हाथों में बेच देंगे या बर्बाद कर देंगे और बना देंगे किसानो की लाशों पर बड़ी बड़ी इमारते !!
खेत और हरियाली ख़त्म होने से कई संकट है :-
1)हम और हमारे किसान भूखे मरेंगे |
2) global warming बढ़ेगी, पर्यावरण का नाश हो जायेगा |
3) हमारी अर्थ व्यवस्था डूब जाएगी क्योंकि खेती पर निर्भर है |
4)और हमे विदेशों से खाने की वस्तुए मंगनी होगी सोचो जब वो लोग पेट्रोल और डीसल जिसके बिना हम जीवित रह सकते हैं इतना महंगा देते हैं हमे क्योंकि वो हमारे पास नहीं है और उनके पास है तो .......
हमे खाना कितना महंगा देंगे ......सारे गरीब मर जायेंगे भुखमरी बढेगी
और जो अमेरिका हमें जंग के समय हथियार देने पर या पैसा उधार देने पर इतनी शर्ते लगा देता है सोचो जब खाना मांगना पड़ गया तब कैसी शर्ते माननी पड़ेगी ....
यदि वो बोले गुलाम बन जाओ तो ....................शायद
इसे रोकना होगा ..........हम लोग इस दिशा में जनजाग्रति का कार्य कर रहे हैं , आप भी सहयोग करे और भारत के हर जिले में किसानो को समझाए और लोगो को क्योंकि अकेला किसान इन बड़े बिल्डर्स और कॉर्पोरेट घरानों से नहीं लड़ सकता जनता को उनका साथ देना होगा और रोकना होगा हमें अपने भ्रष्ट नेताओं को जो किसानो की या सरकारी जमीनों का सौदा चंद रुपये खा कर कर देते है ?????????????
जब भी आपके शहर में नयी कालोनी बन रही हो या शहर के बाहर कुछ कालेज या शौपिंग माल बन रहा हो !!!!!! तो एक बार सोचियेगा जरुर के ये विकास हो रहा है या विनाश हमेशा ये याद रखे "खाने के लिए रोटी की ज़रुरत होती है कंप्यूटर या लैपटॉप की नहीं"
और खेती के लिए जमीन की ज़रूरत होती हे शोपिंग माल की नहीं।
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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
Sunday, January 31, 2016
ये विकास है या विनाश
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