😢❤️😢
पैसे वाले लोगों की एक आश्चर्यजनक रीति चल पड़ी है...,
बुजुर्ग बीमार हुए, एम्बुलेंस बुलाओ, जेब के अनुसार अच्छे अस्पताल ले जाओ, ICU में भर्ती करो और फिर जैसा जैसा डाक्टर कहता जाए, मानते जाओ!
और
अस्पताल के हर डाक्टर, कर्मचारी के सामने आप कहते है कि "पैसे की चिंता मत करिए, बस इनको ठीक कर दीजिए"
और
डाक्टर और अस्पताल कर्मचारी लगे हाथ आपके मेडिकल ज्ञान को भी परख लेते है और
फिर आपके भावनात्मक रुख को देखते हुए खेल आरम्भ होता है...
कई तरह की जांचे होने लगती है, फिर रोज रोज नई नई दवाइयां दी जाती है, रोग के नए नए नाम बताये जाते है और आप सोचते है कि बहुत अच्छा इलाज हो रहा है!
80 साल के बुजुर्ग के हाथों में सुइयां घुसी रहती है, बेचारे करवट तक नही ले पाते, ICU में मरीज के पास कोई रुक नही सकता या बार बार मिल नही सकते!
भिन्न नई नई दवाइयों के परीक्षण की प्रयोगशाला बन जाता है 80 वर्षीय शरीर।
आप ये सब क्या कर रहे है एक शरीर के साथ????
जबकि आपके ग्रन्थों में भी बताया गया है कि मृत्यु सदा सुखद परिस्थिति में होने, लाने का प्रयत्न करना चाहिए!
इसलिए
वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग अंतिम अवस्था मे घर मे हैं तो जिन लोगो को वो अंतिम समय मे देखना चाहते है, अपना वंश, अपना परिवार, वो सब आसपास रहते है!
बुजुर्ग की कुछ इच्छा है खाने की तो तुरन्त उनको दिया जाता है, भले ही वो एक कौर से अधिक नही खा पाएं,
लेकिन मन की इच्छा पूरी होना आवश्यक है...
मन की अंतिम अवस्था शांत, तृप्त होगी तो मृत्यु आसान, कष्टरहित लगती है!
अस्पताल के ICU में क्या ये संभव होता है?????
अस्पताल में कष्टदायक, सुइयां घुसे शरीर की पीड़ा...
क्या अस्पताल के ICU में बुजुर्ग की हर इच्छा पूरी होती है????
रोज नई नई दवाइयों का प्रयोग, कष्टदायक यांत्रिक उपचार, मनहूस जैसे दिनभर दिखते अपरिचित चेहरों के बीच बुजुर्ग के शरीर को बचाईये!!!
अगर आप सक्षम हैं तो अच्छी नर्स को घर मे रखिये, डॉक्टर फ़ीस लेकर रोज घर पर चेकअप करते है, घर मे सभी सुविधाएं उपचार करने का प्रयत्न कीजिये!
इस बुजुर्ग के पैर चेन से बंधे है, हाथ ड्रिप से स्थिर है, मुँह को ऑक्सीजन किट से बंद कर रखा है!
बुजुर्ग को कैदी बना रखा है!
क्या आप आपके अंतिम समय में ऐसी मौत चाहेंगे????
Neha Dixit Sharma