Friday, June 20, 2014

साईं भक्ति यानी भक्ति जिहाद।

सीधा सा प्रशन साईं के भगवान् होने का सबूत किस ग्रन्थ में है, सीधा जवाब दे...
साईं सत्चरित्र में कही नहीं लिखा की साईं भगवान् श्री राम के भक्त थे या उनका नाम जपते थे?? तो साईं के भक्त साईं राम क्यों कहते है ?
शिर्डी साईं बाबा संत है या भगवान्??? अगर भगवान् है तो कहाँ लिखा है, अगर संत है तो क्या एक संत को भगवान् की तरह पूजना ठीक है?
साईं बड़ा या राम, अगर राम से बड़ा राम का नाम तो उनके साथ एक यवनी(मुसलमान) का नाम क्यों जोड़ा जा रहा है?
कोई कहता है शिर्डी साईं शिव का अवतार, कोई कहता है राम जी का भक्त, कुछ दत्तात्रेय का अवतार कहते है, क्या कोई बता सकता है की ऐसा कंफ्यूजन क्या श्री राम या श्री कृष्ण के बारे में है ?
हमने राम नाम पैदा होते ही सुना है, पर साईं का नाम आपने कब सुना?
कृपया इमानदारी से बताये. साईं सत्चरित्र लिखने वाले लेखक श्री गोबि द राव रघुनाथ दाभोलकर (हेमाडपंत) हिन्दू थे मुसलमान?
शिर्डी के साईं बाबा उर्फ़ चाँद मियां उर्फ़ अब्दुल रहीम, ये हिन्दू थे या मुस्लिम?
कोई शिर्डी साईं को संत कह रहा है, कोई राम जी का भक्त तो कोई शिव का अवतार, जिसके बारे में सही से नहीं पता उसे लोग क्यों जबरदस्ती भगवान् बना रहे है?
क्या आप साईं भक्त है, अगर हाँ तो आपके लिए मांस खाना अनिवार्य है, क्यूंकि साईं बाबा प्रसाद में मांस मिलाते थे और भक्तो को बाँटते थे..
हम गुरुवार(ब्रहस्पतिवार)को किस देवता की पूजा करते हैं?
साईं सत्चरित्र में साफ़ साफ़ लिखा है की सब केवल अल्लाह मालिक बोलता था, कही भी ये वर्णित नहीं है की साईं ने ॐ बोला या राम, फिर साईं के मुर्ख भक्त ॐ साईं राम क्यों बोलते है, क्यों एक यावनी, मुसलमान को ज़बरदस्ती हिन्दू बनाने का एक घोर षड्यंत्र चल रहा है ?
साईं भक्त स्पष्ट करे, वो भी प्रमाण के साथ गीता में भगवान् कृष्ण कहते है की कलयुग में धर्म के अर्थ ही बदल जायेंगे, अब तक जहा केवल धर्म और अधर्म होता था कल्युग में धर्म तो रहेगा पर अधर्म भी स्वयं को धर्म कहेगा और हजारो धर्म बन जायेंगे साथ ही ऐसे दुष्ट लोग भी होंगे जो स्वयं को भगवान् और इश्वर कहेंगे, पर मैं ही इश्वर हु, मैं ही परब्रह्म हु और मैं ही सत्य हु, मुझे में सर्व्व्यपर्क और सब कुछ मुझसे ही उत्पन्न होता है और मुझमें समां जाता है, दूसरी तरफ शिर्डी के साईं बाबा जो साईं सत्चरित्र में हर जगह केवल अल्लाह मालिक कहते है, अब ये अल्लाह कौन है कोई साईं भक्त बतायेगा, क्या अल्लाह को मालिक कहना ये हमारे भगवान् श्री कृष्ण का अपमान नहीं है ?

ऐसे में आप बताये साईं सच्चा है या भगवान् कृष्ण, सच्चा तो एक ही होगा न इनमे से,,, साँईँ के चमत्कारिता के पाखंड और झूठ का ता चलता है, उसके "साँईँ चालिसा" से। आईये पहले चालिसा का अर्थ जान लेते है:- "हिन्दी पद्य की ऐसी विधा जिसमेँ चौपाईयोँ की संख्या मात्र 40 हो, चालिसा कहलाती है।" क्या आपने कभी गौर किया है?.

कि साँईँ चालिसा मेँ कितनी चौपाईयाँ हैँ?  यदि नहीँ, तो आज ही देखेँ.... जी हाँ, कुल 100 or 200. तनिक विचारेँ क्या इतने चौपाईयोँ के होने पर भी उसे चालिसा कहा जा सकता है? नहीँ न?..... बिल्कुल सही समझा आप.... जब इन व्याकरणिक व आनुशासनिक नियमोँ से इतना से इतना खिलवाड़ है, तो साईँ के झूठे पाखंडवादी चमत्कारोँ की बात ही कुछ और है! कितने शर्म की बात है कि आधुनिक विज्ञान के गुणोत्तर प्रगतिशिलता के बावजूद लोग साईँ जैसे महापाखंडियोँ के वशिभूत हो जा रहे हैँ॥ हिन्दुओ का सबसे बड़ा खतरा भी मोमिनो यानि मुसलमानों से है !  करोडो हिन्दू अपना माथा एक मोमिन की ह चौखट पर रगड रहे है !  शिर्डी वाले साईं महाराज एक मोमिन है ! " गोपीचंदा मंदा त्वांची उदरिले ! मोमिन वंशी जन्मुनी लोंका तारिले !" ( शिर्डी साईं मंदिर की तथाकथित "आरती का अंश ") क्या ये सब बाते आप को मालूम नहीं है ? या सब कुछ जानते हुए भी अपने सनातन धर्म के साथ एक मोमिन का नाम जुड़ना देखना चाहते है ? 

कल की ही एक घटना है, सत्य, इसमें मिलावट कुछ नहीं है,, कल मैं सुबह ऑफिस जा रहा था, रास्ते में एक मंदिर है जिसकी दिवार पर भगवानो की फोटो वाली टाइल्स लगी हुई है, मैंने देखा की एक आदमी आगे जा रहा था और वो केवल साईं के आगे झुका और चल दिया बाकी किसी भी सनातनी भगवान् के आगे उसने सर नहीं झुकाया, वो थोडा और आगे गया और एक और साईं की टाइल को छुआ और आगे फिर यही करता रहा, तीन टाइल छूने के बाद मैं भाग कर उसके पास गया और पूछा आपने साईं को प्रणाम किया पर बाकी अपने भगवानो को क्यों नहीं, उन्होंने कहा की अपनी अपनी श्रद्धा है, मैंने कहा वाह श्रद्धा में भी भेदभाव, फिर मैंने उनसे पूछा आपने साईं सत्चरित्र पढ़ी है, उन्होंने कहा नहीं, मैंने कहा पढ़िए और 22, 23 और 38 अध्याय जरुर पढ़े, उसे पढने के बाद मेरा विश्वास ह ै की आप साईं को भगवान् मानना बंद कर देंगे, अब वो महाशय आगे तो बढे पर आगे साईं की किसी टाइल को नहीं छुआ, ये है समझदार इंसान की पहचान जो पहले विश्लेषण करता है,,, अगर कोई मुर्ख होता तो वही मुझे पकड़ लेता और,,,,

साँई के अन्धभक्त अंधश्रध्दा मेँ डूबकर कहते हैँ कि "साँईं न तो हिन्दू हैँ और न ही मुस्लिम"। परन्तु वे इस बात का प्रत्य त्तर तो देँ:- 'श्री साँई बाबा संस्थान विश्वस्त व्यवस्था' से प्रकाशित साँईँ के जीवन की एकमात्र प्रामाणिक पुस्तक "साँईं सत्चरित्र" के 'अध्याय 28' के पृष्ठ 197 पर स्पस्ट वर्णन है कि..... {वे गर्जन कर कहने लगे की इसे बाहर निकाल दो, फिर मेधा की ओर देखकर साँईँ यह कहने लगे कि 'तुम तो एक उच्च कुलीन ब्राह्मण हो और मैँ एक निम्न जाति का एक यवन(मुसलमान) } अर्थात्‌ यहाँ साँईं स्वयं का मुसलमान होना कबूल करता है। साईं सत्चरित्र में कही भी ऐसा नहीं लिखा है की साईं बाबा ॐ जपते थे ये राम का नाम लेते थे, तो फिर साईं के भक्त ॐ साईं राम क्यों लिखते है या बोलते है, यही नहीं साईं सत्चरित्र में १४ जगह पर साईं ने कहा अल्लाह मालिक, साथ ही वे कहते थे सबका मालिक एक, और उसके कहने के दो चार सेकंड बाद ही कहते थे अल्लाह मालिक, तो आखिर क्यों उन्हें सनातन धर्म में जबरदस्ती घुसाया जा रहा है ?

कौन सी है वो ताकते जो हमारे ही धर्म को दूषित कर रही है ?  मैंने अधिकतर साईं भक्तो को देखा है जो शिर्डी साईं की अंधभक्ति करते है, पर ऐसे अंधभक्तो को एक आँख खोलने वाला उपाय बता रहा, कृपया करके आप साईं सत्चरित्र जरुर पढ़े तीसरे अध्याय तक आप साईं को मानना ही छोड़ देंगे यदि आप शाकाहारी है, अगले अध्यायों में आप 22, 23 और 38 अध्याय पढ़ कर तो बस क्या कहू, अगर बुद्धि होगी और दिमाग की बत्ती जल होगी तो इस साईं नाम के राक्षस को अपने जीवन से निकल कर बाहर फेंक देंगे और बकियों को भी बचाने की सोचेंगे, पर अगर मुर्ख होंगे तो ही आप साईं ही भक्ति करेंगे, आज के समय में हिन्दुओ के पतन का सबसे बड़ा कारण साईं ही है, इसलिए जितने भी साईं भक्त है उनसे मेरी प्रार्थना है की साईं सत्चरित्र अवश्य पढ़े,,, ये आपकी अंधश्रद्धा नहीं बल्कि आपके लाखो साल पुराने सनातन धर्म के अस्तित्व का प्रशन है जो आपकी मुर्खता के कारण पतन की और जा रहा है, अगर आप अब भी नहीं संभले तो आपके आने वाली संताने खतना करा कर नमाज पढ़ती नजर आयेंगी,, इसलिए पढ़े और जागे..... असतो मा सद्गमयः तमसो मा ज्योतिर्गमयः (हे परमेश्वर! हमेँ बुराई से अच्छाई, व अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो)

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जैसे सूर्य आकाश में छिपकर नहीं रह सकता, वैसे ही मार्ग दिखलाने वाले महापुरुष भी संसार में छिप कर नहीं रह सकते। वेदव्यास (महाभारत, वनपर्व)) यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम् गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं. जैसे की ये साईं

Jai Hind...

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Saturday, April 19, 2014

शराब छुडाने के आसान तरीके (by राजीव दिक्षित जी)

साथियों,
बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है ! बार बार वो कहते है हमे मालूम है
ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???
बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????
तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शराब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत
अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है !
पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते, इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!
मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ !
जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस
भरो और छोड़ो ! बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है !
और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिय
होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी ! और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे ! और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत
आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो ! ये एक तरीका है ! और बहुत आसन है !
दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते
हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस ओषधि का नाम है अदरक !
और आसानी से सबके घर मे होती है !
इस अदरक के छोटे छोटे टुकड़े कर लो उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है
बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदभुत चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा ! बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से
लिख देता हूँ !
अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़  दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो !  डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लार मे घुलना शुरू हो जाएगा आप
देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –
तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट
आदि की इच्छा ही नहीं होगी !
सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार
कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !
आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????
यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (केमिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम
अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है !
तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे
नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है ! और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है कि कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके  शरीर मे सल्फर की कमी होती है !
तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की!
तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव
भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद परिणाम सामने आए है !
बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है
बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !
अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दवा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दवा देगा ! और सल्फर नाम की दवा होमिओपेथी मे पानी के
रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे
आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !
तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है !  5 मिली लीटर  दवा की शीशी लगभग 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ
पर डाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियक्कड़ है ! जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियक्क्ड़ो की दारू छूट जाएगी ! राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियक्क्ड़ों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस
इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा ! तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है ! लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे
तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो !
आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियक्क्ड है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले ! आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब  छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से !
लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह
बायीं नाक से सांस ले ! और
अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!
अब एक खास बात !
बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है ! उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे !
गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने
वालों के शरीर मे phosphorus तत्व    की कमी होती है ! उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !
और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है ! उसके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करे ।
हमें आपकी फ़िक्र है
अपना भारत अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव
वन्दे मातरम्

Sunday, April 6, 2014

मच्छर भगाने के देसी तरीके।

मित्रो मच्छर भगाने के लिए आप
अक्सर घर मे अलग अलग दवाएं इस्तेमाल
करते हैं ! कोई तो liquid form मे
होती हैं ! और कोई कोई coil के रूप
मे और कोई छोटी टिकिया के रूप
मे !! और all out ,good night,
baygon,hit जैसे अलग-अलग नामो से
बिकती है !
इन सबमे जो कैमिकल इस्तेमाल
किया जाता है !
वो डी एथलीन है मेलफो क्वीन है
और फोस्टीन है !! ये तीन खतरनाक
कैमिकल है ! और ये यूरोप मे 56 देशो मे
पिछले 20 -20 साल बैन है !और हम
लोग घर मे छोटे छोटे बच्चो के ऊपर
ये लगाकर छोड़ देते हैं ! 2-3 महीने
का बच्चा सो रहा होता है !
और साथ मे ये जहर जल
रहा होता है !!TV
विज्ञापनो ने आम
आदमी का दिमाग पूरा खराब
कर दिया है !
वैज्ञानिको का कहना है ये मच्छर
मारने वाली दवाए कई कोई
बार तो आदमी को ही मार
देती हैं !! इनमे से निकलने
वाली सुगंध मे धीमा जहर है
जो धीरे - धीरे शरीर मे
जाता रहता है !!और कोई बार
आपने भी महसूस किया होगा इसे
सुघने से गले मे हल्की हल्की जलन होने
लगती है !!
ये जो तीन खतरनाक कैमिकल
डी एथलीन है मेलफो क्वीन है और
फोस्टीन है ! इन पर कंट्रोल
विदेशी कंपनियो का है !
जो आयात कर यहाँ लाकर बेच रहे
है ! और कुछ
स्वदेशी कंपनिया भी इनके साथ
इस व्यपार मे शामिल है !
तो आप से निवेदन है
कभी भी इसका इस्तेमाल न करे !!
_________________
आप कहेंगे फिर मच्छर कैसे भगाये ??
सबसे आसान उपाय है ! आप
मच्छरदानी का प्रयोग करे !
सस्ती है ! स्वदेशी है ! पूर्व से
पश्चिम उत्तर से दक्षिण सब जगह
उपलब्ध है ! और आज कल तो अलग अलग
तरह की मिल रहे है ! एक गोल
प्रकार की है ! एक ऊपर ओढ़ कर सोने
जैसी भी है !!
और इससे भी एक बढ़िया उपाय है !
नीम एक तेल बाजार से ले आए ! और
उसको दीपक मे डाल कर
बत्ती बना कर जला दे ! जबतक
दीपक जलेगा ! एक भी मच्छर आस
पास नहीं फड़केगा !! 40 -50 रुपए
लीटर नीम का तेल मिल
जाता है ! और 2 से 3 महीने चल
जाता है !!
___________________
एक और काम आप कर सकते है ! गाय के
गोबर से बनी दूप या अगरबत्ती ले !
उसको जलाए सब मच्छर भाग
जाएँगे ! आजकल
काफी गौशाला वाले गोबर से
बनी दूप अगरबत्ती आदि बना रहे !
आसानी से आपको उपलब्ध
हो जाएगी !
__________________
और आप अगर ये
अगरबत्ती आदि खरीदेंगे
तो पैसा किसी न
किसी गौशाला को जाएगा !
गौ शाला को पैसा जाएगा !
तो गौ माता की रक्षा होगी !
गौ माता की रक्षा होगी !
तो भारत
माता की रक्षा होगी !!
__________________
वो दूसरे जहर खरीदेंगे तो एक
आपका पैसा बर्बाद और
दूसरा आपका अनमोल शरीर !!

Saturday, March 29, 2014

हिन्दुओ पर मुस्लिम अत्याचार और धर्म निरपेक्ष मीडिया।

पार्ट 3: सितम्बर 14, 1989
BJP के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और जाने माने वकील,
कश्मीरी पंडित, तिलक लाल तप्लू की JKLF ने हत्या कर दी ।
तत्पश्चात जस्टिस नील कान्त गंजू को गोली मार दी गयी।
इसी प्रकार सारे मुख्य कश्मीरी नेताओं की एक एक कर
हत्या कर दी गयी। उसके बाद 300 से अधिक हिन्दू महिलाओ
और पुरुषो की नृशंश हत्या की गयी। एक कश्मीरी पंडित नर्स
जो श्रीनगर के सौर मेडिकल कोलेज अस्पताल में काम
करती थी, का एक भीड़ ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके
बाद मार मार कर उसकी हत्या कर दी। यह घिनौना ख़ूनी खेल
चलता रहा और अपने सेकुलर राज्य और केंद्र सरकार,
मीडिया ने कुछ नहीं किया। कुछ भी नहीं।
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पार्ट 4: जनुअरी 4, 1990
आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार, ने हिज्ब - उल -
मुजाहिदीन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की -
"सभी हिन्दू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले
जायें" । एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा, ने इस
निष्कासन के आदेश को दोहराया। तत्पश्चात मस्जिदों में भारत
एवं हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे।
सभी कश्मीरियों को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं।
सिनेमा और विडियो-पार्लर आदि बंद कर दिए गए।
लोगों को कहा गया की वो अपनी घड़ी पाकिस्तान के समय के
अनुसार करे लें। उस समय कश्मीर की फारूक
अब्दुल्ला की सरकार आँखें फेरे चुप बैठी रही ।
अधिक जानकारी के लिए यह लिंक और ब्लॉग आप देख सकते
है:
http://kasmiripandits.blogspot.co.uk/
http://www.rediff.com/news/2005/jan/
19kanch.htm - [19/01/90: When Kashmiri Pandits
fled Islamic terror]
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पार्ट 5: जनुअरी 19, 1990
सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजो पर नोट
लगा दिया जिसमे लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ
या कश्मीर छोड़ के भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार
हो जाओ"। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधान मंत्री बेनज़ीर
भुट्टो ने PTV पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से आज़ादी के
लिए भड़काना शुरू कर दिया। कश्मीर के सारे मस्जिदों में एक
टेप चलाया गया जिसमे मुस्लिमो को कहा गया की वो हिन्दुओ
को कश्मीर से निकाल बाहर करें या मार डालें । उसके बाद सारे
कश्मीरी मुस्लिम सडको पर उतर आये - ये केवल
आतंकवादी नहीं थे, ये कश्मीर का आम मुस्लिम थे ।
ये वो मुस्लिम थे जिनका कुछ दिन पहले तक हिन्दुओं के साथ
उठाना-बैठना था, मित्रता थी , भाईचारा था । और मारे जाने
वाले ये वो हिन्दू थे जो मुसलमान को अपना भाई समझते थे,
विश्वास करते थे , अपनी पढ़ी-लिखी आधुनिक एवं
धर्मनिरपेक्ष सोच पे गर्व करते थे।
यह मुसलमान कश्मीर पंडितों के घरों में भीड़ बन के घुसे, घर के
पुरुषों को बिठा कर वहीँ उनके सामने उनकी माँ-बेटियों-बहन
ों की एक-एक कर उनके सामने इज्ज़त लूटी , बलात्कार कर
उनके सामने उनके घरवालों की हत्या कर दी, घर
को लोगों सहित जला दिया। कई महिलाओं को लोहे के गरम
सलाखों से मार दिया गया और उनके नग्न शरीर को पेड़ों से
लटका दिया । मासूम बच्चों को स्टील के तार से गला घोटकर
या दीवार पर सर पटक कर मारा। अपनी ऐसी अमानवीय
दुर्गति से बचने के लिए कई कश्मीरी बहनों ने ऊंचे
मकानों की छतों से कूद कर जान दे दी । वे सारे मुस्लिम,
कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या करते रहे और उस पर नारा लगाते
चले गए की उनपर अत्याचार हुआ है और उनको भारत से
आजादी चाहिए!!!
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पार्ट 6: कश्मीरी पंडितो का पलायन
जब इतने खुले नरसंहार के पश्चात भी राज्य अथवा केंद्र से
कोई सहायता नहीं आई तो कश्मीरी पंडितों के पास पलायन के
सिवा कोई रास्ता नहीं बचा । 350 ,000 कश्मीरी पंडित
अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए। कश्मीरी पंडित
जो कश्मीर के मूल निवासी है उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और तब
भी कश्मीरी मुस्लिम कहते है की उन्हें आजादी चाहिए!!!
यह सब कुछ चलता रहा लेकिन धर्मनिरपेक्ष मीडिया चुप रही-
उन्होंने देश के लोगो तक यह बात कभी नहीं पहुंचाई, इसलिए देश
के लोगों को आज तक पता नहीं चल पाया की क्या हुआ
था कश्मीर में। देश-विदेश के लेखक, तथाकथित बुद्धिजीवी चुप
रहे, भारत का संसद चुप रहा, देश के सारे हिन्दू, मुस्लिम,
सेकुलर चुप रहे। किसी ने भी 350,000 कश्मीरी पंडितो के बारे
में कुछ नहीं कहा।
आज भी अपने देश की मीडिया 2002 के दंगो के रिपोर्टिंग में
व्यस्त है। वो कहते है की गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए थे
लेकिन यह कभी नहीं बताते की 750 मुस्लिमो के साथ साथ
250 हिन्दू भी मरे थे। यह भी कभी नहीं बताते
की दंगो की शुरुआत मुस्लिमो ने की थी जब उन्होंने 59 हिन्दुओ
को ट्रेन में गोधरा में जिन्दा जला दिया था। कहते हैं की हिन्दुओं
पर अत्याचार की बात की रिपोर्टिंग से अशांति फैलेगी, लेकिन
मुस्लिमों पर हुए अत्याचार की रिपोर्टिंग से अशांति नहीं फैलती।
इसे कहते है सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) पत्रकारिता।
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पार्ट 7: कश्मीरी पंडितो के आज की स्थिति
आज 4.5 लाख कश्मीरी पंडित अपने ही देश में
ही शरणार्थी की तरह रह रहे है। पूरे देश-विदेश में कोई
भी नहीं है उनको देखने वाला। कोई भी मीडिया नहीं है जो उनके
बारे में हुए अत्याचार को बताये। कोई भी सरकार
या पार्टी या संस्था नहीं है जो की विस्थापित
कश्मीरियों को उनके पूर्वजों की भूमि में वापस ले जाने को तैयार
है। कोई भी नहीं इस इस दुनिया में जो कश्मीरी पंडितो के लिए
"न्याय" की मांग करे। कश्मीरी पंडित काफी-पढ़े लिखे लोगों के
तरह जाने जाते थे आज वो नितांत निर्धनों की तरह पिछले २२
सालो से टेंट में रह रहे है। उन्हें मुलभुत सुविधाए भी नहीं मिल
पा रही है, पिने के लिए पानी तक की समस्या है, दूषित नालों के
बीच निर्वाह करने को बाध्य हैं । भारतीय और विश्व मीडिया,
मानवाधिकार संस्थाए आदि गुजरात दंगो में मरे 750
मुस्लिमो की बात करते है (वो भी मारे गए 310 हिन्दुओ
को भूलकर) । लेकिन यहाँ हजारों मारे गए और ४.५ लाख
विस्थापित कश्मीरी पंडितो की बात करने वाला कोई नहीं है
क्योकि वो हिन्दू है। 20 ,000 कश्मीरी हिन्दू तो बस धुप
की गर्मी के कारण मर गए क्योकि वो कश्मीर के ठन्डे मौसम में
रहने के आदि थे।
अधिक जानकारी के लिए यह विडियो आप देख सकते
है: http://www.youtube.com/watch?v=kqSqn0id-IE
[Shocking, Tragic and Horrible story of Kashmiri
Pandits]
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पार्ट 8: कश्मीरी पंडितो और सेना के खिलाफ
मीडिया का षड़यंत्र
आज देश के लोगो को भारतीय मीडिया कश्मीरी पंडितो के
मानवाधिकार-हनन के बारे में नहीं बताती है लेकिन
आंतकवादियों के मानवाधिकार के बारे में अपनी आवाज जरूर
उठाती है । आज सभी को यह बताया जा रहा है की AFSPA
नाम का किसी कानून का भारतीय सेना काफी ज्यादा दुरूपयोग
किया है.. कश्मीर में अलगावादी संगठन मासूम
लोगो की हत्या करवाते है.और भारतीय सेना के जवान जब उन
आतंकियों और उनके सहयोगियों के विरुद्ध कोई करवाई करते
है.. तो यह देशद्रोही अलगावादी नेता अपने बिकी हुए
मीडिया की सहायता से चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं की "
देखो हमारे ऊपर कितना अत्याचार हो रहा है " !!!
मित्रो बात यहाँ तक नहीं रुकी है. अश्विन कुमार जैसे कुछ
फिल्म निदेशक "इंशाल्लाह कश्मीर" नामक भारत
विरोधी वृत्तचित्र बना रहे हैं जिससे यह पुरे विश्व
की लोगो को यह दिखा रहे है की कश्मीर के भोले-भाले मुस्लिम
युवाओं पर भारतीय सेना के जवानों ने अत्याचार किया है।
अश्विन कुमार अपने वृत्तचित्र को पूरे विश्व के पटल पर रख
रहे है । हर तरह से देश-विदेश में लोगों को दिखा रहे है
की अन्याय भारतीय सेना ने किया है। जो सच है उसे
वो बिलकुल छिपा दे रहे हैं।
इस विडियो में देखे की किस प्रकार भारतीय सेना के खिलाफ
षड़यंत्र किया जा रहा है: http://www.youtube.com/
watch?v=LofOulSw07k - [Anti Hindu and Anti
Indian Military - Indian Secular Media Exposed!]
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सारे मुस्लिम कहते है मोदी को फांसी दो जबकि मोदी ने गुजरात
की दंगो को समय रहते रोक दिया। आज तक एक भी मुस्लिम
को यह कहते नहीं सुना गया की कांग्रेस के नेताओं, गाँधी परिवार
और अब्दुल्लाह परिवार को फांसी दो।
जो लाखो कश्मीरी पंडितो के नरसंहार को देखते रहे ! मित्रो इस
घटना को अगर आप पढ़ चुके है तो अपने बाकि मित्रो एवं
परिवारजनों को बताएं,शेयर करें, सत्य से अवगत कराएं।
जो कश्मीर में हुआ था वाही आज मुस्लिम-बहुल केरला, पश्चिम
बंगाल, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हिन्दुओं पर आज
देश के कई जगहों में अत्याचार हो रहा है। लेकिन सेकुलर
मीडिया इसे दबा देती है इसलिए आपको और हमें कुछ
पता नहीं चल पता है। हमारा या आपका कोई दोष भी नहीं है-
यदि हमें कुछ पता ही नहीं चलेगा तो हम करेंगे क्या? आज
जितनी भी प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया है अधिकाँश
को सउदी अरब से पैसा मिलता है। यह सेकुलर मीडिया हिन्दुओ
के विनाश के बाद ही रुकेगी क्योकि कोई भी हिन्दू संस्था,
पार्टी कभी मीडिया-प्रसार पर ध्यान ही नहीं देती। आज
की सेकुलर मीडिया आधी जिहादियो और आधी कोंग्रेसियों के
नियत्रण में है। हिन्दुओ के साथ हो रहे अत्याचार को बताने के
लिए एक भी टीवी या प्रिंट मीडिया नहीं है। - See more at:
http://oyepages.com/blog/view/id/
51f8b21fbc54b27673000000#sthash
.6TT7jhGQ.dpuf

Saturday, March 22, 2014

मैकाले शिक्षा पद्यति। एक गहरा सडयंत्र

*मैकाले* नाम हम अक्सर सुनते है मगर ये कौन था? इसके उद्देश्य और विचार क्या थे कुछ बिन्दुओं की विवेचना का प्रयास हैं करते. *मैकाले:* मैकाले का पूरा नाम था *थोमस बैबिंगटन मैकाले* .. अगर ब्रिटेन के नजरियें से देखें तो अंग्रेजों का ये एक अमूल्य रत्न था .. एक उम्दा* इतिहासकार, लेखक प्रबंधक, विचारक और देशभक्त* ..इसलिए इसे लार्ड की उपाधि मिली थी और इसे लार्ड मैकाले कहा जाने लगा..अब इसके महिमामंडन को छोड़ मैं इसके एक ब्रिटिश संसद को दिए गए प्रारूप का वर्णन करना उचित समझूंगा जो इसने भारत पर कब्ज़ा बनाये रखने के लिए दिया था...

*२ फ़रवरी १८३५ को ब्रिटेन की संसद में मैकाले की भारत के प्रति विचार और योजना मैकाले के शब्दों में.*.

*" "मैं भारत के कोने कोने में घुमा हूँ..मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो ,जो चोर हो, इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है,इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं,की मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएँगे,जब तक इसकी रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है.
और इसलिए मैं ये प्रस्ताव रखता हूँ की हम इसकी पुराणी और पुरातन शिक्षा व्यवस्था,उसकी संस्कृति को बदल डालें,क्युकी अगर भारतीय सोचने लग गए की जो भी बिदेशी और अंग्रेजी है वह अच्छा है,और उनकी अपनी चीजों से बेहतर है ,तो वे अपने आत्मगौरव और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बनजाएंगे जैसा हम चाहते हैं.एक पूर्णरूप से गुलाम भारत" """*

कई सेकुलर बंधू इस भाषण की पंक्तियों को कपोल कल्पित कल्पना मानते है.. *अगर ये कपोल कल्पित पंक्तिया है, तो इन काल्पनिक पंक्तियों का कार्यान्वयन कैसे हुआ???* सेकुलर मैकाले की गद्दार औलादे इस प्रश्न पर बगले झाकती दिखती है..और कार्यान्वयन कुछ इस तरह हुआ की आज भी मैकाले व्योस्था की औलादे छद्म सेकुलर भेष में यत्र तत्र बिखरी पड़ी हैं..

अरे भाई मैकाले ने क्या नया कह दिया भारत के लिए??,भारत इतना संपन्न था की पहले सोने चांदी के सिक्के चलते थे कागज की नोट नहीं..धन दौलत की कमी होती तो इस्लामिक आतातायी श्वान और अंग्रेजी दलाल यहाँ क्यों आते..लाखों करोड़ रूपये के हीरे जवाहरात ब्रिटेन भेजे गए जिसके प्रमाण आज भी हैं मगर ये मैकाले का प्रबंधन ही है की आज भी हम लोग दुम हिलाते हैं अंग्रेजी और अंग्रेजी संस्कृति के सामने..*हिन्दुस्थान के बारे में बोलने वाला संकृति का ठेकेदार कहा जाता है और घृणा का पात्र होता है इस सभ्य समाज का..*

*शिक्षा व्यवस्था में मैकाले प्रभाव :* ये तो हम सभी मानते है की हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे समाज की दिशा एवं दशा तय करती है..बात १८२५ के लगभग की है..जब ईस्ट इंडिया कंपनी वितीय रूप से संक्रमण काल से गुजर रही थी और ये संकट उसे दिवालियेपन की कगार पर पहुंचा सकता था..कम्पनी का काम करने के लिए ब्रिटेन के स्नातक और कर्मचारी अब उसे महंगे पड़ने लगे थे..
१८२८ में गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक भारत आया जिसने लागत घटने के उद्देश्य से अब प्रसाशन में भारतीय लोगों के प्रवेश के लिए चार्टर एक्ट में एक प्रावधान जुड़वाया की सरकारी नौकरी में धर्म जाती या मूल का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा..
यहाँ से मैकाले का भारत में आने का रास्ता खुला..अब अंग्रेजों के सामने चुनौती थी की कैसे भारतियों को उस भाषा में पारंगत करें जिससे की ये अंग्रेजों के पढ़े लिखे हिंदुस्थानी गुलाम की तरह कार्य कर सकें..इस कार्य को आगे बढाया *जनरल कमेटी ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन के अध्यक्ष थोमस बैबिंगटन मैकाले ने* ....मैकाले की सोच स्पष्ट थी...जो की उसने ब्रिटेन की संसद में बताया जैसा ऊपर वर्णन है..
उसने पूरी तरह से भारतीय शिक्षा व्यवस्था को ख़तम करने और अंग्रेजी(जिसे हम मैकाले शिक्षा व्यवस्था भी कहते है) शिक्षा व्यवस्था को लागु करने का प्रारूप तैयार किया..
*मैकाले के शब्दों में:*
*"हमें एक हिन्दुस्थानियों का एक ऐसा वर्ग तैयार करना है जो हम अंग्रेज शासकों एवं उन करोड़ों भारतीयों के बीच दुभाषिये का काम कर सके, जिन पर हम शासन करते हैं। हमें हिन्दुस्थानियों का एक ऐसा वर्ग तैयार करना है, जिनका रंग और रक्त भले ही भारतीय हों लेकिन वह अपनी अभिरूचि, विचार, नैतिकता और बौद्धिकता में अंग्रेज हों"""*
और देखिये आज कितने ऐसे मैकाले व्योस्था की नाजायज श्वान रुपी संताने हमें मिल जाएंगी..जिनकी *मात्रभाषा अंग्रेजी है और धर्मपिता मैकाले..*
इस पद्दति को मैकाले ने सुन्दर प्रबंधन के साथ लागु किया..अब अंग्रेजी के गुलामों की संख्या बढने लगी और जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते थे वो अपने आप को हीन भावना से देखने लगे क्यूकी सरकारी नौकरियों के ठाट उन्हें दीखते थे अपने भाइयों के जिन्होंने अंग्रेजी की गुलामी स्वीकार कर ली..और ऐसे गुलामों को ही सरकारी नौकरी की रेवड़ी बटती थी....
कालांतर में वे ही गुलाम अंग्रेजों की चापलूसी करते करते उन्नत होते गए और अंग्रेजी की *गुलामी न स्वीकारने वालों को अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया*..विडम्बना ये हुए की आजादी मिलते मिलते एक बड़ा वर्ग इन गुलामों का बन गया जो की अब स्वतंत्रता संघर्ष भी कर रहा था..यहाँ भी *मैकाले शिक्षा व्यवस्था चाल कामयाब हुई अंग्रेजों ने जब ये देखा की भारत में रहना असंभव है तो कुछ मैकाले और अंग्रेजी के गुलामों को सत्ता हस्तांतरण कर के ब्रिटेन चले गए*..मकसद पूरा हो चुका था.... अंग्रेज गए मगर उनकी नीतियों की गुलामी अब आने वाली पीढ़ियों को करनी थी...और उसका कार्यान्वयन करने के
लिए थे *कुछ हिन्दुस्तानी भेष में बौधिक और वैचारिक रूप से अंग्रेज नेता और देश के रखवाले* ..(*"नाम नहीं लूँगा क्युकी एडविना की आत्मा को कष्ट होगा)"""*
कालांतर में ये ही पद्धति विकसित करते रहे हमारे सत्ता के महानुभाव..इस प्रक्रिया में हमारी भारतीय भाषाएँ गौड़ होती गयी और हिन्दुस्थान में हिंदी विरोध का स्वर उठने लगा..*ब्रिटेन की बौधिक गुलामी के लिए आज का भारतीय समाज आन्दोलन करने लगा.*.फिर आया उपभोगतावाद का दौर और मिशिनरी स्कूलों का दौर..चूँकि २०० साल हमने अंग्रेजी को विशेष और भारतीयता को गौण मानना शुरू कर दिया था तो अंग्रेजी का मतलब सभ्य होना,उन्नत होना माना जाने लगा..

हमारी पीढियां मैकाले के प्रबंधन के अनुसार तैयार हो रही थी और हम *"भारत के शिशु मंदिरों को सांप्रदायिक कहने लगे क्युकी भारतीयता और वन्दे मातरम वहां सिखाया जाता था."""*..जब से बहुराष्ट्रीय कंपनिया आयीं उन्होंने अंग्रेजो का इतिहास दोहराना शुरू किया और हम सभी सभ्य बनने में उन्नत बनने में लगे रहे मैकाले की पद्धति के अनुसार..
अब आज वर्तमान में *हमें नौकरी देने वाली हैं अंग्रेजी कंपनिया जैसे इस्ट इंडिया थी*..अब ये ही कंपनिया शिक्षा व्यवस्था भी निर्धारित करने लगी और *फिर बात वही आयी कम लागत वाली*, तो उसी तरह का *अवैज्ञानिक व्योस्था *बनाओं जिससे *कम लागत में हिन्दुस्थानियों के श्रम एवं बुद्धि का दोहन* हो सके..
एक उदहारण देता हूँ कुकुरमुत्ते की तरह हैं इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थान..मगर शिक्षा पद्धति ऐसी है की *१००० इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग स्नातकों में से शायद १० या १५ स्नातक ही रेडियो या किसी उपकरण की मरम्मत कर पायें *नयी शोध तो दूर की कौड़ी है..
अब ये स्नातक इन्ही अंग्रेजी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के पास जातें है, और जीवन भर की *प्रतिभा ५ हजार रूपए प्रति महीने पर गिरवी रख गुलामों सा कार्य करते है...फिर भी अंग्रेजी की ही गाथा सुनाते है*..
अब जापान की बात करें* १०वीं में पढने वाला छात्र भी प्रयोगात्मक ज्ञान रखता है...किसी मैकाले का अनुसरण नहीं करता.*.
अगर कोई संस्थान अच्छा है जहाँ भारतीय प्रतिभाओं का समुचित विकास करने का परिवेश है तो उसके छात्रों को ये कंपनिया*किसी भी कीमत पर नासा और इंग्लैंड में बुला लेती है और हम मैकाले के गुलाम खुशिया मनाते है* की हमारा फला अमेरिका में नौकरी करता है..
इस प्रकार मैकाले की एक सोच ने हमारी आने वाली शिक्षा व्यवस्था को इस तरह पंगु बना दिया की न चाहते हुए भी हम उसकी गुलामी में फसते जा रहें है..

*समाज व्यवस्था में मैकाले प्रभाव :* अब समाज व्योस्था की बात करें तो शिक्षा से समाज का निर्माण होता है.. शिक्षा अंग्रेजी में हुए तो समाज खुद ही गुलामी करेगा..वर्तमान परिवेश में *MY HINDI IS A LITTLE BIT WEAK* बोलना स्टेटस सिम्बल बन रहा है जैसा मैकाले चाहता था की *हम अपनी संस्कृति को हीन समझे *...
मैं अगर कहीं यात्रा में हिंदी बोल दू,मेरे साथ का सहयात्री सोचता है की ये पिछड़ा है..*लोग सोचते है त्रुटी हिंदी में हो जाए चलेगा मगर अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए.*.और अब हिंगलिश भी आ गयी है बाज़ार में..क्या ऐसा नहीं लगता की *इस व्योस्था का हिंदुस्थानी धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का होता जा रहा है.*...अंग्रेजी जीवन में पूर्ण रूप से नहीं सिख पाया क्यूकी बिदेशी भाषा है...और हिंदी वो सीखना नहीं चाहता क्यूकी बेइज्जती होती है...
हमें अपने बच्चे की पढाई अंग्रेजी विद्यालय में करानी है क्यूकी दौड़ में पीछे रह जाएगा..*माता पिता भी क्या करें बच्चे को क्रांति के लिए भेजेंगे क्या???* क्यूकी आज अंग्रेजी न जानने वाला बेरोजगार है..*स्वरोजगार के संसाधन ये बहुराष्ट्रीय कंपनिया ख़तम* कर देंगी फिर गुलामी तो करनी ही होगी..तो क्या हम स्वीकार कर लें ये सब?? या हिंदी पढ़कर समाज में उपेक्षा के पात्र बने????
*शायद इसका एक ही उत्तर है हमे वर्तमान परिवेश में हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित उच्च आदर्शों को स्थापित करना होगा..हमें विवेकानंद का "स्व" और क्रांतिकारियों का देश दोनों को जोड़ कर स्वदेशी की कल्पना को मूर्त रूप देने का प्रयास करना होगा""*..चाहे भाषा हो या खान पान या रहन सहन पोशाक...
अगर मैकाले की व्योस्था को तोड़ने के लिए मैकाले की व्योस्था में जाना पड़े तो जाएँ ....*जैसे मैं अंग्रेजी गूगल का इस्तेमाल करके हिंदी लिख रहा हूँ..*
क्यूकी कीचड़ साफ करने के लिए हाथ गंदे करने होंगे..हर कोई छद्म सेकुलर बनकर सफ़ेद पोशाक पहन कर मैकाले के सुर में गायेगा तो आने वाली पीढियां हिन्दुस्थान को ही मैकाले का भारत बना देंगी.. उन्हें किसी ईस्ट इंडिया की जरुरत ही नहीं पड़ेगी गुलाम बनने के लिए..और शायद हमारे आदर्शो राम और कृष्ण को एक कार्टून मनोरंजन का पात्र....

आइये एक बार गुनगुनाये भारतेंदु जी को...
बोलो भईया दे दे तान..
हिंदी हिन्दू हिन्दुस्थान........

जय हिंद...