इधर भी 'आप', उधर भी 'आप', 'आप' के जलवे 'बाप रे बाप'। 'आप' को भाते मुल्ला-टोपी, भगवा से घबराते 'आप'। वंदे-मातरम सांप्रदायिक है, माँ भारती से कतराते 'आप'। कश्मीर में जनमत करवाते, पंडितों को भूल जाते 'आप'। लोकपाल पर अन्शन करते, और फ़िर पलटी खाते 'आप'। देश की जनता भोली-भाली, इसको मूर्ख बनाते 'आप'। इधर भी 'आप', उधर भी 'आप', 'आप' के जलवे 'बाप रे बाप'
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
Sunday, April 7, 2013
अजीबो गरीब किस्से
दुमास बीच (गुजरात) – इस बीच पर हिंदुओं के शवों का दाह-संस्कार किया जाता है. यहां कई बार असाधारण और हॉरर गतिविधियां महसूस की गई हैं. यहां आने वाले लोगों को अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं जबकि आस-पास कोई नहीं होता. ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में हर ओर मरे हुए लोगों की उपस्थिति रहती है.
रामोजी फिल्मसिटी (हैदराबाद) – यह स्थान कुख्यात और अमानवीय सैनिकों का कब्रिस्तान है. यहां उनकी आत्मा आज भी भटकती है. मृत सैनिक यहां आने वाले लोगों को बहुत परेशान करते हैं. कई बार लाइटमैन और कैमरा मैन गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं. स्थानीय लोग यहां आने से घबराते हैं लेकिन व्यवसाय को हानि ना पहुंचे इसीलिए आत्माओं की कहानियों को निराधार बताता जाता रहा है.
राज किरन होटल (मुंबई) – लोनावला, मुंबई स्थित राज किरन होटल में एक कमरा आत्माओं की चपेट में है. जिन लोगों ने वहां रहने की हिम्मत दिखाई है उनका कहना है कि रात के समय कोई उनकी चादर खींचता है और अजीबोगरीब आवाजें निकालता है. कभी-कभार उन्हें घायल करने की कोशिश भी की गई है.
सवॉय होटल (मसूरी) – अंग्रेजी शासन काल में इस होटल में एक ब्रिटिश लड़की की हत्या की गई थी जिसकी आत्मा आज भी अपने हत्यारे को ढूंढ़ रही है. इस स्थान को सीरियल किलिंग से भी जोड़कर देखा जाता है लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि इन हत्याओं के पीछे उसी लड़की लेडी ऑर्मे का हाथ है.
शनीवारवाडा किला (पुणे) – जब पश्चिम भारतीय प्रांत पर पेशवाओं का अधिकार था उस समय पेशवाओं के उत्तराधिकारी नारायण नामक बालक की उसके चाची के आदेशानुसार हत्या करवा दी गई थी. अपनी जान बचाने के लिए नारायण पूरे महल में घूमता रहा लेकिन फिर भी उसके हत्यारों ने उसे ढूंढ़ कर मार डाला. वह अपने चाचा को आवाज लगाता रहा पर कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया. स्थानीय लोगों ने आज भी कई बार उसकी कराहने की आवाजें सुनी हैं. चांदनी रात में वह जगह और अधिक भयानक हो जाती है.
डॉ हिल्स (पश्चिम बंगाल) – इस घने जंगल में ना जाने कितनी ही हत्याएं हो चुकी हैं. स्थानीय लोगों ने कई बार यहां अजीबोगरीब चीजें महसूस की हैं. विक्टोरिया ब्वॉयस स्कूल में छुट्टियों के दिनों में हलचल और लोगों की आत्माओं की उपस्थिति दर्ज की गई है.
डिसुजा चाल (मुंबई) – माहिम, मुंबई में स्थित डिसुजा चॉल के पास एक कुआं है. कहा जाता है कि इस कुएं में पानी भरते हुए एक महिला डूब कर मर गई थी. आज भी उस महिला की आत्मा उस कुएं और चॉल में घूमती है. वह किसी को परेशान नहीं करती लेकिन उसे अभी तक मुक्ति नहीं मिल पाई है.
बृज राज भवन (कोटा) – 1857 की लड़ाई में ब्रिटिश सैन्य अफसर मेजर बर्टन की हत्या इसी महल में की गई थी जिसकी आत्मा रात के समय यहां भटकती है और चौकीदारों को परेशान करती है.
Friday, April 5, 2013
WARNING WARNING - For all who are drinking Mountain Dew and other cool drinks
Mountain Dew is using a chemical called brominated vegetable oil (BVO) which is banned in more than 100 countries.
For further information check this.
http://voices.yahoo.com/
http://www.youtube.com/
Tuesday, April 2, 2013
ये मनमोहन सिंह ने कैसा समझोता किया
Sunday, March 31, 2013
हमारे महान पूर्वज
वो कम दुखी होते थे क्यूंकि उनकी दुःख कि परिभाषा कुछ अलग थी| हमारी परिभाषा के बहुत से दुखों को वे चुप चाप पी जाते थे, मानो वे दुखी हों ही नहीं| पर जब दुःख उनकी परिभाषा के अनुसार भी दुःख बन जाता था तो उससे आंसुओं के स्थान पर दर्शन टपकने लगता था|
उनके चेहरे पर ज्ञान तेज और तुष्टि बन कर चमकता था|उनकी जरूरतें बहुत कम थी वे सब कुछ अपने लिए नहीं चाहते थे| पेट भरने के बाद उनकी भूख तेज नहीं होती थी| वे बहुत कम चीजों से डरते थे, बहुत अधिक चीजों पर भरोसा करते थे और घृणा तो किसी भी चीज़ से नहीं करते थे|
वे कुछ जानने के लिए नहीं सोचते थे| जाने हुए का आनंद उठाने के लिए सोचते थे| उसे जीवन में उतरने के लिए सोचते थे|सोचते रहने के लिए सोचते थे| उन लोगों को दुनिया कि हर बात मालूम थी| जो हो चुकी थी वह भी, जो होने वाली थी वह भी और जो होने वाली थी वह भी , जो नहीं हो सकती थी वह भी| उनकी आँखों के आगे तीनों काल और सातों लोक पलक झपकते ही खुल जाते थे|
देखने का उनका तरीका भी कुछ कम अजीब नहीं था| हम कुछ देखने के लिए आँखे फाड़ फाड़ कर , चश्मे और दूरबीन लगा कर देखते हैं और वे देखने के लिए आँखे बंद कर लेते हैं| उनका मानना था कि ब्रह्माण्ड बाहर नही है | सारा ब्रह्माण्ड उनके भीतर भरा हुआ है| काल उनके भीतर छुपा हुआ है|बाहर तो मात्र उसकी छांया है| यह आसान सी बात भी इतनी गूढ़ थी कि इसे समझने के लिए गुरु का होना और उसके मुंह से इसे सुनना जरुरी था| उनकी आँखें कुछ इस तरह बनी थी कि उनकी पुतलियाँ पलक झपकते ही बाहर से भीतर कि तरफ लौट जाती थी और कोई चीज़ दुनिया में कहाँ है, क्यों है, है या नहीं है,होगी या नहीं होगी, यह सब उन्हें दिखाई देने लगता था |
वे अपनी दुनिया कि चिंता ना करते हुए भी अपनी दुनिया से अधिक हमारी दुनिया के बारे में सोच रहे थे- पर्यावरण के ध्वंस पर, प्राकर्तिक साधनों के अपव्यय पर, उपभोक्ता संस्कृति कि विकृतियों पर, विज्ञान के पागलपन पर, मानव मूल्यों के ह्रास पर, संवेदन शून्यता कि विडंबना पर और भाषा के दुष्प्रयोग पर| इस दृष्टि से वे आज के महान से महान वैज्ञानिक की तुलना में भी अधिक दूरदर्शी थे|
वे कह रहे थे कि संसार में ऐसा तो कुछ है ही नहीं जिसमे ईश्वर का निवास न हो|उसे पाने के लिए किसी देवालय या मस्जिद या गुरूद्वारे या गिरजा में जाने कि जरुरत नहीं है| इसके लिए सच्चा मानव प्रेम ही काफी है| पर यह मानव प्रेम खोखला शब्द नहीं है| यह तुम्हारे आचार से जुड़ा है और इस आचार का एक महत्वपूर्ण पक्ष आर्थिक है| तुम त्यागपूर्वक भोग करो| अपने पास अतिरिक्त संचय न करो| लोभ में अंधे न बनो| पैसा किसी का हुआ ही नहीं है|