देश गृहयुद्ध के तरफ पूरी तरह से बढ़ता जा रहा है और इसके आसार साफ़ तौर पर
देखे जा सकते हैं| पर इससे मीडिया को क्या उसको तो उसकी दलाली की कीमत मिल
रही है न भाई| कोई मीडिया का रहनुमा आसाम दंगे की तुलना गुजरात दंगे से कर
रहा है और बताना चाह रहा है की भाई गुजरात में तो १००० लोग मारे गए तो
आसाम में भी उतना हो जाने दो| पर आज तक मैंने ये नहीं देखा की मीडिया ने ये
दिखाने की कोशिस की हो की गुजरात दंगे को ३ दिन के अन्दर ख़तम कर दिया गया
तथा गुजरात में बीते १० सालों में कोई दंगा नहीं हुआ पर वहीँ जम्मू और
कश्मीर तथा आसाम के साथ-साथ देश के अनगिनत हिस्सों में ज़माने से दंगे चलते
चले आ रहे हैं और रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं|
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