जब लाल बहादुर शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और घर आकर अपनी मां के चरण छुए तो उनकी माँ ने इतना कहा- "नन्हें, मैं चाहती हूं भले ही तुम्हें कुछ हो जाए, लेकिन देश को तुम्हारे रहते कुछ नहीं होना चाहिए, लोगों की सेवा तुम्हें जी-जान से करनी है, बिना अपनी जान की परवाह किए।"
नमन ऐसी माँ को जिसकी कोख से देश के लाल ने जन्म लिया....!
जय जवान, जय किसान !
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