क्रिकेट सिर्फ समय की बर्बादी और कुछ नहीं
इस गरीब, अविकसित, भ्रष्टतंत्र से पीड़ित देश को कभी भी "क्रिकेट" की जरुरत नहीं थी लेकिन उस पर यह जबरजस्ती थोपा गया! एक बार ठन्डे दिमाग से सोचिये की जितना "पैसा और समय" इस फालतू के खेल पर बर्बाद किया गया है उतना पैसा और समय अगर हम अपने किसानो और देश के जवानो को देते तोह आज हमारे यहाँ "बासमती चावल" 4 रूपए किलो मिलता और चीन के सीमा 19 किलोमीटर अन्दर हमारे जवान अपने केम्प लगाए बिअर पी रहे होते!!!!
"पैसा और समय" हर देश के पास होते है, कोई देश उसको "अपने विकास" में लगाते है तोह कोई देश उसको "दुसरे देशो के विकास" में लगाते है!
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