एक बार फिर साबित हो गया कि प्राइवेट स्कूल संचालकों को बस पैसों से प्यार है, विद्यार्थी उनके कुछ नहीं लगते। इनका मुख्य उद्देश्य पैसे कमाना है ना कि शिक्षा देना। आप सभी जानते हैं कि ये मासूम बच्चों की किताबों, स्टेशनरी और स्कूल ड्रेस में से भी कमिशन खाते हैं।
हरियाणा सरकार ने SLC की अनिवार्यता को समाप्त करके बहुत अच्छा निर्णय लिया है। ये निजी स्कूल बच्चों को SLC के नाम बंधक बना लेते हैं, वो बच्चा चाह कर भी कहीं और एडमिशन नहीं ले पाता।
SLC की अनिवार्यता को समाप्त करने के सरकार के जनहितकारी निर्णय का विरोध करके प्राइवेट स्कूलों ने ये साबित कर दिया है कि अगर इन्हें फीस ना मिले तो ये मासूम विद्यार्थियों को ना तो खुद पढ़ाएंगे ना ही कहीं और पढ़ने देंगे और उनका साल खराब कर देंगे।
शिक्षा के इन ठेकेदारों को ये भी नहीं पता कि RTE (Right to Education) के अनुसार विद्यार्थियों के लिए निशुल्क अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। और बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने से रोकना कानूनन अपराध है।
जो भी प्राइवेट स्कूल किसी बच्चे की SLC देने से मना करता है, सरकार को उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए और उनकी मान्यता रद्द कर देनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करना RTE का सीधा सीधा उल्लंघन है।
अभिभावकों से भी निवेदन है कि वो इन लूटेरों को पहचाने और इनका बहिष्कार करें।
निवेदन है कि शेयर जरूर करें। 🙏🙏🙏
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