Sunday, April 24, 2022

हमें नहीं बनना प्राइवेट स्कूल जैसा ...

आखिर क्यों करते हैं हम

प्राइवेट स्कूलों से बराबरी

हम क्यों कहते हैं....

कि हमारे स्कूल प्राइवेट स्कूलों से कम नहीं...सच तो ये है

हमारे स्कूलों सा एक भी प्राइवेट स्कूल नहीं
और हो भी नहीं सकता।।।
हम बच्चे के एडमिशन से पहले नही लेते बच्चे का टेस्ट और
माता पिता का साक्षात्कार .....ये जांचने के लिए कि  वो बच्चे को पढ़ाने के लिए योग्य हैं या नहीं ....या उनके जीवन का स्तर जांचने के लिए।।।
हमें पता होता है कि हमारे बच्चों के अधिकतर माता पिता के लिए अक्षर केवल काला रंग भर हैं।।।।
बड़ी चुनौती है जिसे केवल हमारे स्कूल  स्वीकार करते हैं ।

होली दीवाली ईद बकरीद क्रिस्टमस हर त्योहार को खास  बनाने के लिए पूरी जान लगा देते हैं और बड़े बड़े स्कूलों की तरह हमारे स्कूल इसके लिए कोई एक्टिविटी फीस नहीं लेते हैं ।।।।

किसी भी क्षेत्र में बच्चों को कुछ करना हो तो
हम अभिभावक बन कर उनके लिए सारे सामान जुटाते हैं उन्हें मंच तक पहुचाते हैं
हमारे स्कूल प्राइवेट स्कूलों की तरह सामान की लिस्ट घर पर कहाँ भिजवाते है?

प्राइवेट स्कूल जो कि लेते हैं नर्सरी के बच्चों से भी कंप्यूटर फीस हमारे स्कूलों की smartclass की कीमत तो  बच्चों की मुस्कान से पूरी हो जाती है।

हमारे स्कूल फैंसी ड्रेस कॉम्पटीशन के नाम पर  पेरेंट्स को बाजार दर बाजार घूमने पर मजबूर नहीं करते ।

हमारे स्कूल जिम्मेदारी लेते हैं लिखाने पढ़ाने और सिखाने की।।। बड़े बड़े स्कूलों की तरह ये लिखाने के बाद
समझाने और याद कराने की जिम्मेदारी अभिभावक को नहीं सौंपते ।

हमारे स्कूल let us learn पर चलते हैं पाठ लिखाकर learn it पर नहीं।।।

हमारे स्कूलों का बस्ता थोड़ा कम अच्छा सही पर वजन उतना ही होता है जितने में बच्चों के शरीर,मन और मस्तिष्क पर बोझ न पड़े ।।।।प्राइवेट स्कूलों की तरह हमारे स्कूल बस्ता भारी और अभिभावक की जेब हल्की नहीं करते।।।।।

हमारे बच्चे बीमार होते हैं तो पूरे स्कूल को पता होता है पर बड़े बड़े स्कूलों का फ़ोन पेरेंट्स के पास केवल तब आता है जब फीस 2 दिन late हो जाती है ।

हमारे स्कूल ,शिक्षक और हमारे अभिभावक बच्चों को सहजता से सीखने देते हैं  बच्चों के 60% को भी सेलिब्रेट करते हैं 90%कि दौड़ में भगाते भगाते उनका बचपन नहीं छीनते।।।।

नहीं होना है हमें प्राइवेट स्कूलों की तरह हमें  देना है अपने बच्चों को सरल सी दुनियाँ उनके जीवन से जुड़े अनगिनत खेल कविता और कहानियां  पेड़ पौधों का साथ और दोस्तों की मस्त टोलियां खिलखिलाते हंसी के फव्वारे और सीखने के लिए सुविधाओं से भरे केवल वो  कमरे नहीं जो कुछ दिनों में उबाऊ हो जाते हैं ।।।।।प्रकृति का सजाया हुआ खुला  आसमान देना है।।।।तो गर्व से कहें कि हम सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं।।।

- via Santosh Kumari जी

4 comments:

Unknown said...

बहुत ही सराहनीय लेख भ्राता जी ।।।

Unknown said...

Bahut hi badhiya,thanks sir 🙏🙏

Unknown said...

Very nice jii

Meenu said...

सराहनीय लेख👏👏