Tuesday, September 20, 2011

टोपी पहनने से कौन सी सदभावनाआएगी ? (मोदी और टोपी की सियासतके बीच कुछ ध्यान देने योग्य बातें )

६-दिल्ली के शाही इमाम ने वंदे मातरम कहने से माना किया था | तो उसके खिलाफ किसीने कुछ नही कहा | लेकिन मोदि ने सिर्फ़ टोपी पहनने से मना किया तो मीडिया ने उसे हवा देदि | ये तो मोदि के खिलाफ हमेशा ग़लतप्रचार करते है| अगर हिम्मत है तो उस शाही इमाम के खिलाफ कुछ लिख के दिखाओ
७-वंदेमातरम और भारत माता की जय ना कहना धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद लेकिन टोपी ना पहनना कट्टरपंथ की निशानी ! वाह रेमेरे देश के महान सेक्यूलर लोग और निष्पक्ष मीडिया धन्य है आप
८- ये मौलवी सदभावना की बात मोदी को तिलक लगा के क्यों नहीं करते | क्या इससे उनका इस्लाम खतरेमें पड़ जायेगा ?
बहुत से धर्म गुरुओं ने उन्हे गंगा जल लाकर दिया. उसे उन्होने स्वीकार किया. अगर कोई उन्हे गोमास लाकार देता तो क्या उन्हे स्वीकार करना चाहिए था?
मोदी जी ना नौटंकी करते हैं , न उस पर विश्वास रखते हैं . देश के कई मुस्लिम रास्ट्र -पति/राज्यपाल/मुख्यमंत्री इस देश मे हुए क्या कभी उन्होने भगवावस्त्र धारण किए जो हिंदुओं का प्रतीक है, वह तो दूर की बात है गाँधी टोपी ग्रहणकिए क्या ? नरेंद्र मोदी जी का सीधा सरल जीवन, जो वोट के लिए कभी किसी को खुश नही किए, इस बात से साबित होता है | अच्छा लगा , यह कांग्रेसियों से या भारतीय जनता पार्टी के कुछ और नेताओं से भिन्न है. मुझे आज तक यह समझ मे नही आया की ये नेता वोट के लिए नौटकी क्यों करते है. विकास पर वोट लीजिए और विकास पर वोट देना भी चाहिए|

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