Monday, September 19, 2011

"टोपी" प्रकरण ने साबित कर दिया कि "सेकुलर" लोग गंदगी में लोटने वाले कीड़े हैं… By Suresh Chiplunkar

नरेन्द्र मोदी नेएक इमाम की दी हुई जालीदार टोपी स्वीकार नहीं की तो मानो देश एक गम्भीर समस्या सेजूझने लगा…। सरकारी भाण्ड चैनलों पर जो"सेकुलर कीड़े" बिलबिला रहे थे, शायद अब उन्हें संतुष्ट करने के लिए यानी हिन्दुओं को स्वयं को सेकुलर साबित करने के लिए बुर्का धारण करना होगा, क्रास पहनना होगा…।
१९९८ में उदयपुर में मशहूर सेकुलरएक्टर दिलीप कुमार (युसूफ खान) ने मेवाड़ी पगड़ीपहनने से इनकार कर दिया था. हालांकि वह किसी पंडित, पुजारी या हिन्दू संगठन ने नहीं पहनाई थी. लेकिन दिलीप साहबको उस पगड़ी में महाराणा प्रताप की देशभक्ति की बू आ रही थी, जिसनेअकबर को उसकी नानी याद दिला दी थी. और दिलीप कुमार ये कैसे सहन कर सकता है…
एक तरफ तो मुसलमान हिन्दू प्रतीकों को छोड़ो, "भारतीय प्रतीकों" से भी नफ़रत करते हैं, वहीं दूसरी तरफ मुसलमान और उनके सेकुलर चमचे पूरेदुनिया की 'मुसलमानी' करने पे तुले हुए हैं...इसे कहते हैंसेकुलरिज्म…। क्या अजमेर की दरगाह पर मत्था टेकने वाले घटियाअभिनेताओं/नेताओं की कौम, यह बताएगी कि वैष्णोदेवी या अमरनाथ के दर्शन करने जाने वालों में कितने मुस्लिम अभिनेता या नेता हैं?
न जाने कितनी फ़िल्मों में आपनेदेखा होगा कि"हिन्दू नामधारी हीरो-हीरोइन" भागकर शादी करने अथवा संकट आने पर चर्च जाते हैं या सीने पर क्रास बनाते हैं… कितनीबार आपने मुस्लिमया ईसाई नामधारी हीरो-हीरोइन को फ़िल्म में मन्दिरमें पूजा करते देखा है? शायद एक भी नहीं… क्योंकिसिर्फ़ हिन्दू पर ही यह साबित करने की जिम्मेदारी होती है कि वह"सेकुलर" है, बाकियों पर यह नियम लागू नहीं होता…।
"वन्देमातरम" और"सरस्वती वन्दना" का विरोध करने वालों पर मेहरबानी करते, दो कौड़ी की मानसिकता वाले सेकुलर, इस देश के सबसे गन्दे कीड़े हैं…

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